नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बेंगलुरु अधिवक्ता संघ में कोषाध्यक्ष का पद महिला वकीलों के लिए आरक्षित कर दिया. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ पीठ ने यह फैसला दिया. पीठ ने कहा, "हम संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करना उचित समझते हैं और निर्देश देते हैं- (i) कोषाध्यक्ष का पद विशेष रूप से महिला उम्मीदवारों के लिए निर्धारित किया जाएगा."
नामांकन तिथि बढ़ाने के निर्देशः पीठ ने कहा कि ज्ञापन और उपनियमों में ऐसा कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है, जहां संघ की महिला उम्मीदवारों के लिए सीटें निर्धारित की गई हों. न्यायमूर्ति कांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने चुनाव की देखरेख के लिए गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति और बार निकाय चुनावों के लिए मुख्य निर्वाचन अधिकारी को नामांकन आमंत्रित करने की तिथि बढ़ाने का निर्देश दिया. पीठ ने कहा कि यदि संभावना है तो चुनाव कुछ दिनों के लिए टाल दिए जाने चाहिए. बता दें कि बार निकाय के लिए चुनाव 2 फरवरी को निर्धारित है और नामांकन प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है.
युवा वकीलों की बढ़ेगी भागीदारीः एक वकील ने पीठ से गवर्निंग काउंसिल में युवा वकीलों की अधिक भागीदारी की अनुमति देने के लिए 10 साल के अनुभव के मानदंड में ढील देने का आग्रह किया. पीठ ने इस दलील को स्वीकार कर लिया और बेंगलुरु के एडवोकेट एसोसिएशन में दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन चुनाव मामले में लागू करने के लिए दिए गए आदेश की तरह एक व्यवस्था का आदेश दिया, जिसका कार्यकाल 19 दिसंबर को पूरा हो गया.
क्यों दायर की थी याचिकाः शीर्ष अदालत ने यह आदेश एक महिला वकील द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के मामले में जारी महिला आरक्षण के निर्देशों को लागू करने की मांग की गई थी. पिछले साल शीर्ष अदालत ने कोषाध्यक्ष के पद सहित महिला वकीलों के लिए सीटें आरक्षित करने का निर्देश दिया था.
किस निर्णय से है प्रभावितः हाल ही में, शीर्ष अदालत ने दिल्ली सेल्स टैक्स बार एसोसिएशन और दिल्ली टैक्स बार एसोसिएशन की कार्यकारी समिति में कोषाध्यक्ष का पद और महिला वकीलों के लिए 30 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का निर्देश दिया था. सर्वोच्च न्यायालय ने 20 जनवरी को निर्देश दिया था कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण बार एसोसिएशन के चुनाव में महिला वकीलों के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित होंगी.
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