हरिद्वार: पवित्र धार्मिक स्थलों से पटे भारत में जब कभी भी श्रद्धालु मोक्ष की तलाश में इधर-उधर भटकते हैं तो उन्हें धर्म नगरी हरिद्वार की याद आती है. हरिद्वार का शाब्दिक अर्थ है 'हरि तक पहुंचने का द्वार'. लेकिन मोक्षनगरी मायापुरी में दूसरों को मुक्ति देने वाला विद्युत शवदाह गृह खुद की मुक्ति की बांट जोह रहा है. श्मशान घाट खड़खड़ी का विद्युत शवदाह गृह सालों से खराब पड़ा हुआ है और उसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.
पूरे उत्तराखंड में हरिद्वार ही एक ऐसा जगह है, जहां विद्युत शवदाह गृह मौजूद है. 1992 में स्थापित विद्युत शवदाह गृह काफी दिनों से खराब पड़ा हुआ है. लेकिन आज तक उसकी कोई सुध नहीं ली गई. हरिद्वार के खड़खड़ी श्मशान घाट में सेवा करने वाले राजेंद्र ठाकुर का कहना है कि अगर यह मशीन दोबारा से ठीक हो गई तो कोरोना संकट की इस घड़ी में इसका लाभ उठाया जा सकता है.
वहीं, खड़खड़ी श्मशान घाट की देखरेख कर रहे सेवा समिति के अध्यक्ष मुकेश त्यागी ने कहा कि शवदाह गृह का मोटर खराब होने के चलते मशीन धूल फांक रही है. सरकार इस मशीन को ठीक कर कोरोना से मृत मरीजों का अंतिम संस्कार करा सकती है. ऐसा करने पर संक्रमण फैलने का खतरा भी नहीं रहेगा और लोग सुरक्षित रहेंगे.
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देहरादून के विभिन्न श्मशान घाटों पर कोरोना से मृत मरीजों के अंतिम संस्कार को लेकर नोकझोंक होती रहती है. ऐसे में उत्तराखंड सरकार इस मशीन का प्रयोग कोरोना से मृत मरीजों के अंतिम संस्कार के लिए कर सकता है. मरीजों के दाह संस्कार को लेकर उठ रहे विरोध के स्वर पर पुलिस मुख्यालय अलर्ट हो गया है. ऐसे में देहरादून जिला प्रशासन मृत मरीजों के अंतिम संस्कार के लिए नई जगह चिन्हित कर रहा है.