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बसंत पंचमी: हर-हर गंगे की गूंज के बीच श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी

बसंत पंचमी का त्‍योहार खासकर उत्तर भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. शास्त्रों के अुनसार बसंत पचंमी से सर्दी का असर कम हो जाता है, जिसे ग्रीष्म ऋषि का आगमन भी माना जाता है. इस दिन मांगलिक कार्य शुभ माने जाते हैं.

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हर-हर गंगे की गूंज के बीच श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी.
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Published : Jan 29, 2020, 10:50 AM IST

Updated : Jan 29, 2020, 11:32 AM IST

हरिद्वार: पूरे देश के साथ ही देवभूमि उत्तराखंड में भी बसंत पंचमी की धूम मची हुई है. साथ ही धर्मनगरी हरिद्वार में बसंत पंचमी के पावन पर्व पर गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है और ये सिलसिला लगातार जारी है. वहीं गंगा घाटों पर श्रद्धालु स्नान कर मां सरस्वती की अराधना कर रहे हैं. इस दिन का हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए खास महत्व है. पर्व में लोग मां सरस्वती की सच्चे मन से उपासना करते हैं.

हर-हर गंगे की गूंज के बीच श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी.

हिन्दू धर्म में बसंत पंचमी का खास महत्व है. बताया जा रहा है कि इस साल इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है क्योंकि बसंत पंचमी के साथ कई अन्य शुभ योग भी बन रहे हैं. जिसको लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. माना जाता है कि इस अवसर पर गंगा स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इसलिए इस पर्व में गंगा स्नान का खास महत्व है. धार्मिक मान्यता है कि माघ मास की पंचमी तिथि को मां सरस्वती धरती पर अवतरित हुई थीं और मां सरस्वती भी गंगा का स्वरुप मानी जाती हैं. इस दिन यागोपवित धारण करवाना, विद्या आरंभ करवाना, गंगा में स्नान करने के बाद देवताओं का पूजन करना काफी फलदायी माना जाता है.

पढ़ें-ऋषिकेश: बसंतोत्सव का आगाज, पहले दिन दिखी उत्तराखंड की सांस्कृतिक झलक

यही नहीं गंगा के सानिध्य और गंगा का आचमन करने से अकाल मृत्यु नहीं होती है और सभी व्याधियों का विनाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. शास्त्रों में भी इस बात का उल्लेख है. माना जाता है कि गंगा में स्नान करने से सौ पुण्यों का लाभ मिलता है. वहीं तीर्थ पुरोहित उज्जवल पंडित का कहना है कि मां सरस्वती जोकि विद्या की देवी कही जाती हैं, यह त्योहार उनकी पूजा-अर्चना का त्योहार है. इस दिन मां सरस्वती की पूजा कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है.

आज के दिन स्त्री और पुरुष पीले वस्त्र पहनकर इस त्योहार को मनाते हैं. साथ ही मां सरस्वती को पीले चावलों का भोग भी लगाते हैं. इस बार बसंत पंचमी का पर्व 2 दिन पड़ रहा है, इसमें कोई भ्रम की स्थिति नहीं है. 29 तारीख को बसंत पंचमी 10:30 से प्रारंभ होकर 30 तारीख 1:00 बजे तक रहेगी. श्रद्धालु अपनी इच्छा अनुसार इस त्योहार को किसी भी दिन मना सकते हैं.

हरिद्वार: पूरे देश के साथ ही देवभूमि उत्तराखंड में भी बसंत पंचमी की धूम मची हुई है. साथ ही धर्मनगरी हरिद्वार में बसंत पंचमी के पावन पर्व पर गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है और ये सिलसिला लगातार जारी है. वहीं गंगा घाटों पर श्रद्धालु स्नान कर मां सरस्वती की अराधना कर रहे हैं. इस दिन का हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए खास महत्व है. पर्व में लोग मां सरस्वती की सच्चे मन से उपासना करते हैं.

हर-हर गंगे की गूंज के बीच श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी.

हिन्दू धर्म में बसंत पंचमी का खास महत्व है. बताया जा रहा है कि इस साल इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है क्योंकि बसंत पंचमी के साथ कई अन्य शुभ योग भी बन रहे हैं. जिसको लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. माना जाता है कि इस अवसर पर गंगा स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इसलिए इस पर्व में गंगा स्नान का खास महत्व है. धार्मिक मान्यता है कि माघ मास की पंचमी तिथि को मां सरस्वती धरती पर अवतरित हुई थीं और मां सरस्वती भी गंगा का स्वरुप मानी जाती हैं. इस दिन यागोपवित धारण करवाना, विद्या आरंभ करवाना, गंगा में स्नान करने के बाद देवताओं का पूजन करना काफी फलदायी माना जाता है.

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यही नहीं गंगा के सानिध्य और गंगा का आचमन करने से अकाल मृत्यु नहीं होती है और सभी व्याधियों का विनाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. शास्त्रों में भी इस बात का उल्लेख है. माना जाता है कि गंगा में स्नान करने से सौ पुण्यों का लाभ मिलता है. वहीं तीर्थ पुरोहित उज्जवल पंडित का कहना है कि मां सरस्वती जोकि विद्या की देवी कही जाती हैं, यह त्योहार उनकी पूजा-अर्चना का त्योहार है. इस दिन मां सरस्वती की पूजा कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है.

आज के दिन स्त्री और पुरुष पीले वस्त्र पहनकर इस त्योहार को मनाते हैं. साथ ही मां सरस्वती को पीले चावलों का भोग भी लगाते हैं. इस बार बसंत पंचमी का पर्व 2 दिन पड़ रहा है, इसमें कोई भ्रम की स्थिति नहीं है. 29 तारीख को बसंत पंचमी 10:30 से प्रारंभ होकर 30 तारीख 1:00 बजे तक रहेगी. श्रद्धालु अपनी इच्छा अनुसार इस त्योहार को किसी भी दिन मना सकते हैं.

Intro:anchor:-हरिद्वार में  बसंत पंचमी के  पुन्य स्नान पर हर की पौड़ी पर स्नान करने के लिए लोगों की भीड़ सुबह से ही जुटनी शुरू  हो गई है  । माना  जाता है की आज से ही  बसंत कि शुरुआत मानी जाती है और इस दिन  माता सरस्वती कि पूजा कि जाती और इस दिन गंगा  में स्नान करने का विशेष महत्व माना जाता है | यह भी माना जाता है कि इस अवसर पर विष्णु के चरणों से ,ब्रह्मा के कमंडल से और शिव की जटाओं से निकली गंगा में स्नान करने से पुण्य कि प्राप्ति होती है | माघ मॉस कि पंचमी तिथि को माँ सरस्वती धरती पर अवतरित हुए थी और माँ सरस्वती भी  गंगा का स्वरुप ही है और इस दिन यागोपवित धारण करवाना ,विद्या आरंभ करवाना ,गंगा में स्नान करने के बाद देवताओ का पूजन करना लाभ दायक होता है |यही नहीं गंगा के सानिध्य और गंगा का आचमन करने से अकाल म्रत्यु नहीं होती है ,सभी व्याधियों का विनाश होता है और मोक्ष कि प्राप्ति होती है |शास्त्रों में भी इस बात का उल्लेख्य है | माना जाता है कि गंगा में स्नान करने से सौ पुण्यो का लाभ मिलता है|Body:vo :-वही बसंत पंचमी के त्यौहार व स्नान पर तीर्थ पुरोहित उज्जवल पंडित का कहना है कि मां सरस्वती जोकि विद्या  की देवी  कहीं जाती हैं यह त्योहार उनकी पूजा अर्चना का त्यौहार है इस दिन मां सरस्वती की पूजा कर मां सरस्वती को प्रसन्न किया जाता है आज के दिन स्त्री  व पुरुष पीले वस्त्र पहनकर इस त्योहार को मनाते हैं साथ ही  मां सरस्वती को पीले चावलों का भोग भी लगाया जाता है इस बार बसंत पंचमी का पर्व 2 दिन पड़ रहा है इसमें कोई भ्रम की स्थिति नहीं है 29 तारीख को बसंत पंचमी 10:30 से प्रारंभ होकर 30 तारीख  1:00 बजे तक रहेगी आप अपनी इच्छा अनुसार इस त्यौहार को किसी भी दिन बना सकते हैंConclusion:byte :-श्रद्धालु
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बाइट :-उज्जवल पंडित 
Last Updated : Jan 29, 2020, 11:32 AM IST
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