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हरिद्वार महाकुंभ 2021: विवाद हैं कि पीछा नहीं छोड़ रहे

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Published : Jan 26, 2021, 3:46 PM IST

धर्मनगरी हरिद्वार में महाकुंभ अभी शुरू भी नहीं हुआ है, लेकिन आए दिन कुंभ से जुड़े विवाद सामने आ रहे हैं. अब तक कुंभ का स्वरूप भी तय नहीं हो पाया है, बावजूद इसके संतों के बीच कोई न कोई विवाद लगातार गरमाता जा रहा है. महाकुंभ 2021 के विवादों पर एक नजर.

हरिद्वार महाकुंभ 2021
हरिद्वार महाकुंभ 2021

हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में होने वाला महाकुंभ अभी शुरू भी नहीं हुआ है, लेकिन आए दिन कुंभ से जुड़े विवाद सामने आ रहे हैं. अब तक कुंभ का स्वरूप भी तय नहीं हो पाया है, बावजूद इसके संतों के बीच कोई न कोई विवाद लगातार गरमाता जा रहा है. महाकुंभ 2021 के विवादों पर एक नजर.

विवाद नंबर 1- अखाड़ों में हो रहे कार्यों को लेकर विवाद

उत्तराखंड सरकार द्वारा सभी 13 अखाड़ों को कार्य कराने के लिए एक करोड़ की धनराशि दी जा रही है. जिसे सरकार तीन किस्तों में दे रही है. जिसकी पहली किस्त तो अखाड़ों को मिल गई है, लेकिन दूसरी किस्त अभी तक नहीं दी गई है. वहीं दूसरी तरफ अखाड़ों से अलग अन्य आश्रमों की मांग है कि जिस तरह सभी अखाड़ों को कार्य कराने के लिए धनराशि दी जा रही है, उसी तरह आश्रम इत्यादि में निर्माण के लिए भी उत्तराखंड सरकार को धनराशि देनी चाहिए.

पढ़ें- महाकुंभ में SOP का पालन कराना चुनौती, CM अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों से करेंगे बात

विवाद नंबर 2- सौंदर्यीकरण के कार्यों से केंद्रीय मंत्री निशंक हुए नाराज

केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने हरिद्वार हरकी पैड़ी पर हो रहे सौंदर्यीकरण के कार्यों को लेकर सवाल उठाए थे. उन्होंने वेबकोर्स कंपनी द्वारा किए जा रहे कामों पर रोक लगाने के निर्देश दिए थे. कंपनी ने कार्य इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के सीएसआर फंड से मिले 34 करोड़ से करना था, लेकिन कंपनी ने इन रुपयों को हरकी पैड़ी पर लगाकर रोड़ी बेलवाला पर घास लगाने में खर्च कर दिया. जिससे केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक काफी नराज दिखे और उन्होंने कार्य रुकवाने को कहा था. उसके बाद से घास का कार्य रुका हुआ है.

विवाद नंबर 3- परी अखाड़ा

परी अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर त्रिकाल भवंता महाकुंभ में सुविधाओं के लिए हरिद्वार पहुंचे थीं. लेकिन अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि ने उनका विरोध किया है. उन्होंने कहा था कि हरिद्वार में होने वाले 2021 कुंभ में किसी भी फर्जी संत को उनकी तरफ से अनुमति नहीं दी जाएगी. इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखने की बात भी कही थी.

विवाद नंबर 4- किन्नर अखाड़ा

अभी कुछ दिन पहले अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि द्वारा किन्नर अखाड़ा का विरोध किया गया. उनका कहना था कि कोई भी अपना अलग से अखाड़ा स्थापित नहीं कर सकता. बावजूद इसके अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि किन्नर अखाड़ा के साथ खड़े रहे और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देने की बात कह दी थी. किन्नर अखाड़े ने जूना अखाड़े के साथ 2019 के प्रयागराज कुंभ में शाही स्नान किया था. उसी की तर्ज पर हरिद्वार महाकुंभ में भी किन्नर अखाड़ा जूना अखाड़े के साथ ही शाही स्नान करेगा.

पढ़ें- कुंभ में आने की तैयारी है तो केंद्र सरकार के इन नियमों का करना होगा पालन

विवाद नंबर 5- संतों द्वारा अखाड़ा परिषद पर उठाए गए सवाल

संतों की सर्वोच्च संस्था कही जाने वाली अखाड़ा परिषद में संन्यासी और वैष्णव अखाड़ों के बीच भी ठन गई थी. वैष्णव सम्प्रदाय के अखाड़ों ने अखाड़ा परिषद के महमंत्री हरि गिरि पर असंवैधानिक रूप से पद पर काबिज होने का आरोप लगाया था. वहीं वैष्णव अखाड़ों के अनुसार अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और महामंत्री दोनों पद संन्यासी अखाड़ों के पास हैं, जबकि इनमें से एक पद वैष्णव अखाड़ों के पास होना चाहिए.

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष पद पर प्रमुख संन्यासी अखाड़े निरंजनी के महंत नरेंद्र गिरि हैं. वहीं साल 2006 में महामंत्री के पद पर संन्यासी अखाड़े जूना के महंत हरिगिरि का कब्जा है, जो सरासर गलत है. बता दें कि 13 अखाड़ों वाली अखाड़ा परिषद में 7 संन्यासी, 3 वैष्णव और 2 उदासीन जबकि एक निर्मल अखाड़ा है.

विवाद नंबर 6- निरंजनी अखाड़ा

निरंजनी अखाड़े द्वारा कैलाशानंद गिरि को अपने अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया गया. जिस कारण काफी समय तक यह विवाद चलता रहा है, लेकिन 14 जनवरी को हुए पट्टाभिषेक के बाद यह विवाद शांत है.

हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में होने वाला महाकुंभ अभी शुरू भी नहीं हुआ है, लेकिन आए दिन कुंभ से जुड़े विवाद सामने आ रहे हैं. अब तक कुंभ का स्वरूप भी तय नहीं हो पाया है, बावजूद इसके संतों के बीच कोई न कोई विवाद लगातार गरमाता जा रहा है. महाकुंभ 2021 के विवादों पर एक नजर.

विवाद नंबर 1- अखाड़ों में हो रहे कार्यों को लेकर विवाद

उत्तराखंड सरकार द्वारा सभी 13 अखाड़ों को कार्य कराने के लिए एक करोड़ की धनराशि दी जा रही है. जिसे सरकार तीन किस्तों में दे रही है. जिसकी पहली किस्त तो अखाड़ों को मिल गई है, लेकिन दूसरी किस्त अभी तक नहीं दी गई है. वहीं दूसरी तरफ अखाड़ों से अलग अन्य आश्रमों की मांग है कि जिस तरह सभी अखाड़ों को कार्य कराने के लिए धनराशि दी जा रही है, उसी तरह आश्रम इत्यादि में निर्माण के लिए भी उत्तराखंड सरकार को धनराशि देनी चाहिए.

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विवाद नंबर 2- सौंदर्यीकरण के कार्यों से केंद्रीय मंत्री निशंक हुए नाराज

केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने हरिद्वार हरकी पैड़ी पर हो रहे सौंदर्यीकरण के कार्यों को लेकर सवाल उठाए थे. उन्होंने वेबकोर्स कंपनी द्वारा किए जा रहे कामों पर रोक लगाने के निर्देश दिए थे. कंपनी ने कार्य इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के सीएसआर फंड से मिले 34 करोड़ से करना था, लेकिन कंपनी ने इन रुपयों को हरकी पैड़ी पर लगाकर रोड़ी बेलवाला पर घास लगाने में खर्च कर दिया. जिससे केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक काफी नराज दिखे और उन्होंने कार्य रुकवाने को कहा था. उसके बाद से घास का कार्य रुका हुआ है.

विवाद नंबर 3- परी अखाड़ा

परी अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर त्रिकाल भवंता महाकुंभ में सुविधाओं के लिए हरिद्वार पहुंचे थीं. लेकिन अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि ने उनका विरोध किया है. उन्होंने कहा था कि हरिद्वार में होने वाले 2021 कुंभ में किसी भी फर्जी संत को उनकी तरफ से अनुमति नहीं दी जाएगी. इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखने की बात भी कही थी.

विवाद नंबर 4- किन्नर अखाड़ा

अभी कुछ दिन पहले अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि द्वारा किन्नर अखाड़ा का विरोध किया गया. उनका कहना था कि कोई भी अपना अलग से अखाड़ा स्थापित नहीं कर सकता. बावजूद इसके अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि किन्नर अखाड़ा के साथ खड़े रहे और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देने की बात कह दी थी. किन्नर अखाड़े ने जूना अखाड़े के साथ 2019 के प्रयागराज कुंभ में शाही स्नान किया था. उसी की तर्ज पर हरिद्वार महाकुंभ में भी किन्नर अखाड़ा जूना अखाड़े के साथ ही शाही स्नान करेगा.

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विवाद नंबर 5- संतों द्वारा अखाड़ा परिषद पर उठाए गए सवाल

संतों की सर्वोच्च संस्था कही जाने वाली अखाड़ा परिषद में संन्यासी और वैष्णव अखाड़ों के बीच भी ठन गई थी. वैष्णव सम्प्रदाय के अखाड़ों ने अखाड़ा परिषद के महमंत्री हरि गिरि पर असंवैधानिक रूप से पद पर काबिज होने का आरोप लगाया था. वहीं वैष्णव अखाड़ों के अनुसार अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और महामंत्री दोनों पद संन्यासी अखाड़ों के पास हैं, जबकि इनमें से एक पद वैष्णव अखाड़ों के पास होना चाहिए.

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष पद पर प्रमुख संन्यासी अखाड़े निरंजनी के महंत नरेंद्र गिरि हैं. वहीं साल 2006 में महामंत्री के पद पर संन्यासी अखाड़े जूना के महंत हरिगिरि का कब्जा है, जो सरासर गलत है. बता दें कि 13 अखाड़ों वाली अखाड़ा परिषद में 7 संन्यासी, 3 वैष्णव और 2 उदासीन जबकि एक निर्मल अखाड़ा है.

विवाद नंबर 6- निरंजनी अखाड़ा

निरंजनी अखाड़े द्वारा कैलाशानंद गिरि को अपने अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया गया. जिस कारण काफी समय तक यह विवाद चलता रहा है, लेकिन 14 जनवरी को हुए पट्टाभिषेक के बाद यह विवाद शांत है.

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