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प्रणव पंड्या मामलाः CJM ने पुलिस की अंतिम रिपोर्ट रद्द की, दोबारा होगी जांच

शांतिकुंज प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या पर लगे युवती से दुष्कर्म के मामले पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पुलिस की अंतिम रिपोर्ट रद्द कर दी है. कोर्ट ने मामले की सत्यता जांचने के लिए सक्षम अधिकारी से जांच कराकर 3 महीने के अंदर कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं.

haridwar
हरिद्वार
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Published : Sep 10, 2021, 5:15 PM IST

हरिद्वारः शांतिकुंज प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या और उनकी पत्नी शैलबाला की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं. दिल्ली की युवती से दुष्कर्म मामले पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मुकेश चंद्र आर्य ने पुलिस की अंतिम रिपोर्ट को रद्द कर दिया है. साथ ही कोर्ट ने नगर कोतवाली प्रभारी निरीक्षक को मामले में आगे की जांच करके 3 महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

ये है मामलाः दिल्ली की एक युवती ने दिल्ली के विवेक विहार थाने में 5 मई 2020 को जीरो एफआईआर दर्ज कराकर शांतिकुंज प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था. मामला हरिद्वार शांतिकुंज से जुड़ा होने की वजह से जीरो रिपोर्ट को शहर कोतवाली को 10 मई 2020 को ट्रांसफर कर दिया गया था. मुकदमे में डॉ. प्रणव की पत्नी शैलबाला को भी आरोपी बनाया गया था. मामले की जांच कर रहे जांच अधिकारी ने 10 अक्टूबर 2020 को अंतिम रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी थी. साथ ही कोर्ट में पीड़िता भी आरोपों से मुकर गई थी.

पीड़िता ने कोर्ट में कहाः पीड़िता ने कोर्ट में कहा था कि वह डॉ. प्रणव पंड्या और शैलबाला के विरुद्ध केस नहीं चलाना चाहती. यह कुछ लोगों की अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने और बदला लेने का हथकंडा था. उन्होंने उसका गलत इस्तेमाल किया और षड्यंत्र रचकर झूठा मुकदमा दर्ज कराया था. पीड़िता ने यह भी कहा था कि वह डॉ. प्रणव पंड्या और शैलबाला के विरुद्ध झूठे केस को नहीं चलाना चाहती. इसलिए पुलिस की ओर से दाखिल खात्मा रिपोर्ट को स्वीकार किया जाए.

ये भी पढ़ेंः हरक के बाद अनुकृति गुसाईं ने भी BJP को किया असहज, विकास कार्यों पर उठाये सवाल

इसके बाद पुलिस ने कोर्ट में अंतिम रिपोर्ट पेश कर दी थी. कोर्ट ने अंतिम रिपोर्ट पर सुनवाई करने के बाद कहा कि मामले के सही तथ्य सामने आना न्याय उचित प्रतीत होते हैं. इसलिए नियम अनुसार दोबारा से पूरे मामले की सक्षम अधिकारी से जांच कराकर 3 महीने के अंदर कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं.

बता दें कि पीड़िता ने शांतिकुंज प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था. जिसके तहत धारा 376 और 506 में मुकदमा दर्ज किया गया था. धारा के तहत अगर दोषी पर आरोप सिद्ध हो जाते हैं तो कम से कम 10 साल की सजा हो सकती है.

हरिद्वारः शांतिकुंज प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या और उनकी पत्नी शैलबाला की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं. दिल्ली की युवती से दुष्कर्म मामले पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मुकेश चंद्र आर्य ने पुलिस की अंतिम रिपोर्ट को रद्द कर दिया है. साथ ही कोर्ट ने नगर कोतवाली प्रभारी निरीक्षक को मामले में आगे की जांच करके 3 महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

ये है मामलाः दिल्ली की एक युवती ने दिल्ली के विवेक विहार थाने में 5 मई 2020 को जीरो एफआईआर दर्ज कराकर शांतिकुंज प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था. मामला हरिद्वार शांतिकुंज से जुड़ा होने की वजह से जीरो रिपोर्ट को शहर कोतवाली को 10 मई 2020 को ट्रांसफर कर दिया गया था. मुकदमे में डॉ. प्रणव की पत्नी शैलबाला को भी आरोपी बनाया गया था. मामले की जांच कर रहे जांच अधिकारी ने 10 अक्टूबर 2020 को अंतिम रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी थी. साथ ही कोर्ट में पीड़िता भी आरोपों से मुकर गई थी.

पीड़िता ने कोर्ट में कहाः पीड़िता ने कोर्ट में कहा था कि वह डॉ. प्रणव पंड्या और शैलबाला के विरुद्ध केस नहीं चलाना चाहती. यह कुछ लोगों की अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने और बदला लेने का हथकंडा था. उन्होंने उसका गलत इस्तेमाल किया और षड्यंत्र रचकर झूठा मुकदमा दर्ज कराया था. पीड़िता ने यह भी कहा था कि वह डॉ. प्रणव पंड्या और शैलबाला के विरुद्ध झूठे केस को नहीं चलाना चाहती. इसलिए पुलिस की ओर से दाखिल खात्मा रिपोर्ट को स्वीकार किया जाए.

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इसके बाद पुलिस ने कोर्ट में अंतिम रिपोर्ट पेश कर दी थी. कोर्ट ने अंतिम रिपोर्ट पर सुनवाई करने के बाद कहा कि मामले के सही तथ्य सामने आना न्याय उचित प्रतीत होते हैं. इसलिए नियम अनुसार दोबारा से पूरे मामले की सक्षम अधिकारी से जांच कराकर 3 महीने के अंदर कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं.

बता दें कि पीड़िता ने शांतिकुंज प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था. जिसके तहत धारा 376 और 506 में मुकदमा दर्ज किया गया था. धारा के तहत अगर दोषी पर आरोप सिद्ध हो जाते हैं तो कम से कम 10 साल की सजा हो सकती है.

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