हरिद्वार: बीते 17 सिंतबर को हरिद्वार से चारधाम, मठ, मंदिरों धार्मिक स्थलों के भ्रमण के लिए रवाना हुई प्राचीन पौराणिक छड़ी यात्रा आज जूना अखाड़ा स्थित माया देवी मंदिर में अपनी यात्रा पूर्ण कर वापिस लौटी है. छड़ी यात्रा के वापस लौटने पर मौजूद साधु-संतों ने भव्य स्वागत किया. उत्तराखंड के कई मठ मंदिरों धार्मिक स्थलों के दर्शन कर यह प्राचीन छड़ी हरिद्वार स्थित जूना अखाड़े में रखी जाएगी. वहीं, प्राचीन छड़ी यात्रा के हरिद्वार वापस लौटने के दौरान अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि ने राज्य के पहाड़ पर हो रहे पलायन के विषय मे चिंता जाहिर की.
बता दें कि जूना अखाड़े द्वारा प्राचीन काल से इस छड़ी यात्रा को निकला जाता है. लेकिन पिछले तकरीबन 70 सालों से यह छड़ी यात्रा किन्ही कारणों से बंद हो गई थी. प्राचीन समय से यह छड़ी यात्रा बागेश्वर से निकली जाती थी, दो साल पहले जूना अखाड़ा के हरि गिरि महाराज ने मुख्यमंत्री से इस प्राचीन छड़ी यात्रा को दुबारा शुरू करने की अनुमति मांगी थी. इस प्राचीन छड़ी को हरिद्वार लाकर स्थापित कर दिया था. पिछले साल सरकार की अनुमति मिलने के बाद इस छड़ी यात्रा को दुबारा शुरू किया गया है. और इस बार दूसरे वर्ष भी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस छड़ी यात्रा को उत्तराखंड के चारधाम यात्रा के लिए रवाना किया था. आज यह छड़ी यात्रा उत्तराखंड राज्य का भ्रमण कर हरिद्वार वापस लौट आई है.
जूना अखाड़े के थानापति और इस यात्रा की अगुवाई करने वाले प्रेम गिरि महाराज का कहना है कि बीपी 12 सितंबर को प्राचीन छड़ी यात्रा बागेश्वर से हरिद्वार पहुंची थी. यहां पर सभी मठ मंदिरों का भ्रमण करने के बाद यह प्राचीन छड़ी यात्रा 17 सितंबर को हरिद्वार से मुख्यमंत्री की उपस्थिति में उत्तराखंड के चार धाम के लिए रवाना की गई थी.
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हरिद्वार के संतों का कहना है कि इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देना, दुर्गम क्षेत्रों में सभी तरह की जरूरी व्यवस्थाओं को उपलब्ध कराना, और राज्य में बढ़ रहे पलायन को रोकना है. उन्होंने सरकार से मांग है कि सरकार दुर्गम क्षेत्रों में चिकित्सा जैसी और दूसरी मूलभूत सभी सुविधाएं उपलब्ध कराया जाएं ताकि रोजगार को बढ़ावा मिले. पर्यटन को उत्तराखंड में और ज्यादा बढ़ावा दिया जाना चाहिए, ताकि राज्य के पहाड़ों पर हो रहे पलायन को रोका जा सके.