हरिद्वारः एक निजी बैंक के होम लोन डिपार्टमेंट में लाखों रुपए का फर्जीवाड़ा सामने आया है. जिसमें विभाग में कार्यरत एक कर्मचारी ने अपने ही परिजनों के साथ मिलकर बैंक को लाखों रुपए का चूना लगा दिया. आरोप है कि होम लोन के नाम पर फर्जी कागजात जमा कर कर्मचारी और उसका परिवार बैंक के 28 लाख रुपए हड़प गए. अब बैंक की ओर से आरोपियों के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है.
बता दें कि सरकारी हो या फिर निजी बैंक, एक आम आदमी को लोन देने के लिए कई तरह की औपचारिकताएं पूरी कराता है. कई बार औपचारिकता पूरी करने के बाद भी लोग बैंकों के चक्कर काटते रह जाते हैं और उन्हें लोन नहीं मिलता, लेकिन हरिद्वार में स्थित आईसीआईसीआई बैंक के होम लोन डिपार्टमेंट में कार्यरत एक कर्मचारी ने अपने ही बैंक के साथ लाखों की धोखाधड़ी कर दी.
इस कर्मचारी ने संपत्ति के फर्जी कागजात बनाकर अपने परिवार के लोगों के नाम पर ₹28 लाख का लोन ले लिया. क्योंकि, यह लोन डिपार्टमेंट में ही कार्यरत कर्मचारी का था. इसलिए इसके कार्यों पर शायद विभाग ने ज्यादा कोई जांच-पड़ताल नहीं की, लेकिन अब जब इस मामले की जांच हुई तो लोन के लिए बैंक में दिए गए सभी कागजात फर्जी निकले.
कोतवाली ज्वालापुर पुलिस के विधि जानकारी के अनुसार, संदीप आर निवासी दुर्गानगर विहार राजलोक कॉलोनी ज्वालापुर आईसीआईसीआई होम लोन डिपार्टमेंट में कार्यरत था. उसने अपने पिता राजकुमार और हरकेश बहादुर निवासी कमल बिहार आन्नेकी हेतमपुर, सोनिया निवासी राजलोक कॉलोनी ज्वालापुर, सुमंत पाल और उसके बेटे प्रदीप पाल निवासीगण ऋषिकुल विद्यापीठ नगर कोतवाली के साथ मिलकर करीब 28 लाख से ज्यादा के लोन के लिए आवेदन किया था.
आरोप है कि षडयंत्र के तहत फर्जी दस्तावेज तैयार कर लोन के लिए इस्तेमाल किए और लोन स्वीकृत करा लिया. जिन संपत्ति को लोन में दर्शाया गया, जब उनसे जुड़े दस्तावेज चेक किए गए तो वो फर्जी निकले. इसके बाद कंपनी के क्षेत्रीय व्यवसाय प्रबंधक अवधेश अग्रवाल की तरफ से आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी समेत संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया. कोतवाली प्रभारी आरके सकलानी ने बताया कि मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी गई है. जांच में यदि बैंक का कोई अधिकारी या कर्मचारी का नाम सामने आता है तो उसके खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी.
लोन देने के बाद की कागजों की जांच: यदि कोई बैंक में कर्ज लेने जाता है तो उससे सुनिश्चित किया जाता है कि जिस संपत्ति के लिए वो कर्ज ले रहा है, उस संपत्ति को लेकर कोई विवाद न हो. जो गवाह है, उसकी संपत्ति का जांच भी किया जाता है. जब गिरवी रखी जाने वाली संपत्ति की पूरी जांच हो जाती है, उसके बाद ही किसी को लोन दिया जा सकता है, लेकिन हरिद्वार में सामने आया यह फर्जीवाड़ा इस बात की ओर इशारा करता है कि इस फर्जीवाड़े में बैंक के कुछ कर्मी भी शामिल हैं. लिहाजा, बिना जांच किए ही इतना बड़ा लोन कैसे स्वीकृत कर दिया गया.
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धोखाधड़ी मामले में कंपनी निदेशकों समेत पांच के खिलाफ केस दर्जः हरिद्वार में औद्योगिक फ्रॉड थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. इस कड़ी में गाजियाबाद की कंपनी से कच्चा माल खरीदने के बाद करोड़ों रुपए की रकम हड़पने का मामला सामने आया है. रकम हड़पने वाली रानीपुर कोतवाली क्षेत्र की कंपनी के चार निदेशकों समेत पांच लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी मामले में मुकदमा दर्ज किया गया है.
कोतवाली रानीपुर पुलिस के मुताबिक, हाईटेक फेरस एंड ननफेरस इंडिया प्रालि चंदपुरी कोतवाली घंटाघर, गाजियाबाद यूपी के डायरेक्टर प्रदीप कुमार ने पुलिस में एक शिकायत दी. जिसमें उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी लोहे के अलग-अलग क्वालिटी के तार की सप्लाई करती है. साल 2011 में निपमेन फास्टनर इंडस्ट्रीज प्रालि, प्लाट नं 9, औद्योगिक पार्क द्वितीय चरण, सलेमपुर महदूद के प्रबंध निदेशक प्रवीण मल्होत्रा ने उनसे संपर्क साधा. उन्हें जानकारी दी कि उनकी कंपनी को नट-बोल्ट के लिए लोहे की तार की जरूरत है. चार अप्रैल 2011 को एक परचेज ऑर्डर दिया गया. इसके बाद कंपनी को कच्चा माल दिया जाने लगा.
आरोप है कि माल का भुगतान करने के लिए कहा गया, लेकिन भुगतान नहीं हुआ. कंपनी की दूसरी निदेशक प्रियंका मल्होत्रा, निपुन मल्होत्रा, मानिक से संपर्क किया गया. उन्होंने देरी से भुगतान से होने वाले नुकसान के कारण 24 फीसदी ब्याज के साथ प्रतिवर्ष के हिसाब से भुगतान करने का भरोसा दिलाया, लेकिन आज तक भुगतान नहीं किया. अब तक करीब कच्चे माल, ब्याज और भाड़ा मिलाकर 38 करोड़ से ज्यादा की रकम धोखाधड़ी कर हड़पी गई. कार्यवाहक कोतवाली प्रभारी आनंद मेहरा ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी समेत संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. मामले की जांच की जा रही है.
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