हरिद्वार: गंगा की अविरलता और निर्मलता की लड़ाई लड़ने वाली संस्था मातृ सदन एक बार फिर अनशन करने जा रही है. इस बार स्वामी शिवानंद के शिष्य ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद अनशन करेंगे. अनशन की शुरुआत 18 अगस्त से होगी. बताया जा रहा है कि अनशन की शुरुआत 10 अगस्त से ही होनी थी, लेकिन किन्हीं कारणों से इसे स्थगित कर दिया गया था.
ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद पिछले साल तीस जनवरी से भी अनशन पर थे. 24 दिन तक लगातार अनशन करने से उनकी हालत खराब हो गई थी. उनके गिरते स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था. तब 24 दिन में उनका वजन 9 किलोग्राम कम हो गया था.
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मातृ सदन के ब्रह्मचारी अपने निम्नलिखित संकल्पों के साथ तपस्या पर बैठेंगे-
1- साल 2011 में स्वामी निगमानंद की हत्या के मामले की आगे जांच के लिए उत्तराखंड उच्च न्यायालय के एक वर्तमान न्यायाधीश के नेतृत्व में विशेष जांच दल का गठन हो और इस मामले में आगे की कार्रवाई CBI करे.
2- साल 2018 में स्वामी सानंद की हत्या मामले की जांच के लिए उत्तराखंड उच्च न्यायालय के एक वर्तमान न्यायाधीश के नेतृत्व में विशेष जांच दल का गठन हो और सच को सबके सामने जल्द से जल्द लाया जाए.
3- साल 2020 में साध्वी पद्मावती के साथ हुए घटनाक्रम की जांच के लिए एक महिला जांच अधिकारी के नेतृत्व में विशेष जांच दल का गठन हो और इस मामले में त्वरित कार्रवाई की जाए.
4- जिला न्यायालय हरिद्वार में मातृ सदन के जितने भी मुकदमे लंबित हैं, उनपर एक विशेष पैनल बनाकर तत्काल सुनवाई हो.
5- गंगा को लेकर सरकार की ओर से मातृ सदन को जितने भी आश्वासन दिए गए हैं, जिनमें 9 अक्टूबर साल 2018, 1 अक्टूबर साल 2019, 2 सितंबर साल 2020 और 1 अप्रैल साल 2021 को सरकार द्वारा दिये गए पत्र मुख्य हैं, उन्हें अक्षरशः जमीन पर लागू किया जाए. जल शक्ति राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया द्वारा राज्य सभा में 31 जुलाई साल 2019 को मातृ सदन को दिए गए सारे आश्वासनों को प्रशासन तत्काल लागू करे.
6- धर्म नगरी कहे जाने वाले हरिद्वार में बीते कुछ सालों में राजनेताओं, पुलिस-प्रशासन और अब यहां तक कि जिला न्यायालय के कुछ जज और मजिस्ट्रेट का जो गठजोड़ हो गया है, उसके लिए केंद्र सरकार तत्काल एक पैनल बनाकर इनके खिलाफ जांच बैठाए. भगवान दास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ. निरंजन मिश्रा की गिरफ्तारी ऐसे ही गठजोड़ का परिणाम है.