हरिद्वारः उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत आगामी 29 अप्रैल को अपनी पुस्तक 'उत्तराखंडियत' का विमोचन करने वाले हैं, लेकिन पुस्तक के विमोचन से पहले ही किशोर उपाध्याय के निशाने पर आ गए हैं. किशोर उपाध्याय ने बिना नाम लिए ही हरीश रावत पर निशाना साधा है. साथ ही कहा कि उत्तराखंडियत शब्द उनकी (किशोर उपाध्याय) की देन है.
टिहरी से बीजेपी विधायक किशोर उपाध्याय ने कहा कि हरीश रावत उत्तराखंडियत को लेकर किताब जारी करने वाले हैं, लेकिन उत्तराखंडियत शब्द उनकी (किशोर उपाध्याय) की देन है. साल 2016 में हुए एक राजनीतिक घटनाक्रम में उन्होंने उत्तराखंडियत शब्द का प्रयोग किया था. आज कुछ लोग यदि उत्तराखंडियत शब्द को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो इसमें उन्हें कोई परेशानी नहीं है, लेकिन उन्हें ये भी स्वीकार करना चाहिए कि यह शब्द किशोर उपाध्याय का दिया हुआ शब्द है. इतना ही नहीं किशोर उपाध्याय ने ये भी कहा कि केवल आलू, कचालू और गेंठी खाना ही उत्तराखंडियत नहीं है.
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हरीश रावत बोले- कई पहलों को नाम देने के लिए चुराया उत्तराखंडियत शब्दः पूर्व सीएम हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखा है. जिसमें उन्होंने लिखा है, 'चोर चोरी से जाए, हेरा फेरी से न जाए' बड़ा ही दिलचस्प मुहावरा है और वास्तविकता भी है. हरदा लिखते हैं, बचपन में मां का प्यार चुराया, फिर गांव, घर, अड़ोस पड़ोस फिर ककड़ियां और फल चुराये, गुरुजनों से ज्ञान चुराया, लेकिन कुछ कम चुरा पाया. फिर मैंने उत्तराखंड आंदोलनकारी शब्द भी चुराया.
हरदा आगे लिखते हैं, विजय बहुगुणा, सतपाल, गोविंद सिंह से मैंने भराड़ीसैंण गैरसैंण शब्द भी चुराया और जब मैं मुख्यमंत्री बना तो अपनी कई पहलों को नाम देने के लिए 'उत्तराखंडियत' शब्द भी चुराया, मगर मैं निष्ठावान हूं. मां के प्रति, अपने घर गांव व अड़ोस-पड़ोस के प्रति, गुरुजनों के प्रति, भराड़ीसैंण गैरसैंण के प्रति, राज्य आंदोलन के प्रति और अब 'उत्तराखंडियत' के प्रति निष्ठावान हूं.
वहीं, हरीश रावत अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए लिखते हैं, भराड़ीसैंण राजधानी शब्द जिनसे चुराया. उनमें से दो लोग तो निष्ठावान नहीं रह गए हैं सतपाल और विजय!. देखते हैं जिससे उत्तराखंडियत शब्द चुराया वो उसके प्रति कितना निष्ठावान रह पाता है. हां मैं हेरा फेरी वाला नहीं हूं. अपनी धरती, अपने राज्य और अपनी पार्टी, अपने नेता, सबके प्रति मेरी निष्ठा अटूट है. हेरा फेरी की आदत में गड़बड़ है, जो एक बार डगमगाया, उस पर फिर कोई विश्वास नहीं करता है.
बता दें कि इन दिनों सोशल मीडिया पर दोनों दिग्गज नेताओं के बीच उत्तराखंडियत शब्द को लेकर खींचतान देखने को मिल रही है. जिसके बाद हरिद्वार पहुंचे किशोर उपाध्याय ने बिना नाम लिए ही हरीश रावत पर पलटवार किया है. गौर हो कि किशोर उपाध्याय पहले कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं, लेकिन हरीश रावत के सीएम बनने के बाद से इनके बीच में दूरियां आ गई. विधानसभा चुनाव से पहले किशोर ने पाला बदला और बीजेपी में शामिल हो गए. इतना ही नहीं टिहरी विधानसभा सीट से चुनाव लड़कर जीत हासिल की और विधायक बन गए.