हरिद्वार: कहा जाता है कि दुनिया में नेत्रदान से बड़ा कोई दूसरा दान नहीं है. आंख बंद होने के बाद भी इन्हीं नेत्रों से न केवल एक नेत्रहीन को नेत्र मिलते हैं बल्कि वे आंखें दुनिया को देखती हैं. व्यापारी नेता अजय अरोड़ा की 19 वर्षीय पुत्री खुशी अरोड़ा की आंखें मरने के बाद भी इस दुनिया देखेंगी. बीमारी के चलते खुशी अरोड़ा का मंगलवार की रात निधन हो गया. जिसके बाद पिता ने बेटी की आंखें दान करने का फैसला किया. लायंस क्लब टीम के सहयोग से आंखें दान करने की प्रक्रिया पूरी की गई.
उत्तरी हरिद्वार स्थित बिरला फार्म निवासी भीमगोड़ा व्यापार मंडल के पूर्व अध्यक्ष अजय अरोड़ा की पुत्री खुशी अरोड़ा (19 वर्ष) ऋषिकेश राजकीय डिग्री कॉलेज में बीए प्रथम वर्ष में अध्ययनरत थीं. वह काफी समय से अस्वस्थ चल रही थी. कुछ दिन पहले तबीयत बिगड़ने पर खुशी को देहरादून स्थित एक अस्पताल में भर्ती कराया गया. स्वस्थ होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. लेकिन मंगलवार की रात अचानक फिर से तबीयत बिगड़ गई. इसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया. जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया.
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लायंस क्लब से जुड़े रामशरण चावला ने परिवार को सांत्वना देने के साथ ही उन्हें बेटी की आंखें दान करने के लिए प्रेरित किया. इसके बाद पिता भी बेटी की आंखें दान करने के लिए तैयार हो गए. जिसके बाद ऋषिकेश एम्स से एक टीम उनके आवास पर पहुंची. साथ में ही आंखें निकालने की प्रक्रिया पूरी की गई. अब खुशी की आंखें मरने के बाद भी इस दुनिया को देखेंगी.
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वरिष्ठ पत्रकार की आंखें भी बनी ज्योति: लंबी बीमारी के बाद बीते साल हुई हरिद्वार के वरिष्ठ पत्रकार कमलकांत बुधकर की मौत के बाद उनकी इच्छा के अनुसार उनकी आंखें भी इसी तरह दान की गई थी. चिर निद्रा में सोने के बाद भी उनकी आंखें इस दुनिया को पहले की तरह देख रही हैं. यह एक सराहनीय कदम है. जिसकी शहर का हर आदमी आज भी सराहना कर रहा है.