रुड़की: भले ही इस बार कोल्हू 15 दिन पहले शुरू हो गए हों लेकिन देहात क्षेत्रों में लगे कोल्हू संचालक लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. दरअसल गुड़ वैसे तो गन्ने के रस से बनाया जाता है लेकिन कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में कोल्हू संचालक चीनी और पुराने गुड़ से नया गुड़ तैयार कर मंडी तक पहुंचा रहे हैं. वहीं, इस ओर सम्बंधित विभाग भी कोई ध्यान नहीं दे रहा है.
हरिद्वार है गन्ने का हब
हरिद्वार में गन्ने की पैदावार बहुत अधिक होती है. हरिद्वार गन्ने की खेती में पूरे उत्तराखंड में सबसे आगे है. यहां का गन्ना और गुड़ दूर-दूर तक लोगों को भाता है. यही नहीं विदेशों में भी यह खूब पसंद किया जाता है. ऐसे में पूरे हरिद्वार में खासकर रुड़की के देहात क्षेत्रों में गन्ने के कोल्हू बड़ी तादाद में हैं. इन कोल्हुओं पर गुड़ को तैयार किया जाता है. लेकिन कुछ लोग अपने मुनाफे के लिए गलत तरीके अपना रहे हैं, जिससे गुड़ खाने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है.
प्रशासन के संज्ञान में है मामला
यह मामला अब प्रशासन के संज्ञान में आ चुका है. प्रशासन ऐसे गुड़ संचालकों के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है जो कोल्हू से गुड़ को बनाने में गलत चीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं. वहीं इस संबंध में रुड़की ज्वांइट मजिस्ट्रेट ने बताया कि सम्बंधित विभाग से बातचीत की जाएगी. यदि ऐसा कहीं पाया जाता है तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
पढ़ें- गुड़ की दुकान में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट का छापा, बरामद हुआ एसिड
ऐसे बन रहा है मिलावटी गुड़
कोल्हू संचालक पुराने गुड़ में चीनी मिलाकर मिलावटी गुड़ बना रहे हैं. इससे गुड़ चमकदार और नया दिखता है. ग्राहक चमकदार गुड़ देखते ही उसे खरीद लेते हैं. इस तरह ये लोग घटिया और मिलावटी गुड़ को ऊंचे दाम में बेच कर मोटा मुनाफा कमाते हैं.
मिलावटी गुड़ से हो सकते हैं ये नुकसान
मिलावटी गुड़ स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है. कई लोग चीनी नहीं खाते हैं. ऐसे लोग मीठे के लिये गुड़ का सेवन करते हैं. जब चीनी मिला गुड़ खाया जाता है तो वो नुकसान पहुंचाता है. खासकर डायबिटीज के पीड़ितों के लिए ये बहुत ही नुकसानदेय है. ऐसा गुड़ पाचन तंत्र और किडनी को भी नुकसान पहुंचाता है. यानी ये मीठे जहर की तरह अंदर ही अंदर इसका सेवन करने वाले व्यक्ति को खोखला कर देता है.