बेंगलुरु: कर्नाटक की राजधानी में कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय (यूएएस) में चल रहे 107वें भारतीय विज्ञान कांग्रेस में शनिवार (4 जनवरी) को देश के विभिन्न हिस्सों से वहां पहुंचे 10 छात्रों को पुरस्कार प्रदान किए गये. इन्हीं में देहरादून की दो छात्राओं पूजा ताप्ति और जीनत भी शामिल रहीं.
देहरादून की छात्रा पूजा ताप्ति ने 'जीवन से विज्ञान का संबंध और उससे होने वाले नुकसान' पर एक निबंध लिखा था. पूजा का मकसद पढ़ाई पूरी कर पीएचडी करना है और वो वैज्ञानिक बनकर देशहित में काम करना चाहती हैं. वहीं, जीनत को इन्फोसिस फाउंडेशन ISCA ट्रेवल अवार्ड से सम्मानित किया गया. जीनत ने भारत में विज्ञान की प्रगति पर एक निबंध लिखा था.
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गौर हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेंगलुरु में भारतीय विज्ञान कांग्रेस के 107वें सत्र को संबोधित किया था. प्रधानमंत्री ने इस मौके पर I-STEM पोर्टल को लॉन्च किया था, जो रिसर्च के क्षेत्र में काम करेगा. इस मौके पर उन्होंने युवा वैज्ञानिकों को इनोवेट (नया), पेटेंट (एकस्व) , प्रोड्यूस (उत्पादन) और प्रॉस्पर (समृद्ध) का मंत्र भी दिया.
भारतीय विज्ञान कांग्रेस को जानें-
- भारतीय विज्ञान कांग्रेस या Indian Science Congress Association / ISCA भारतीय वैज्ञानिकों की एक शीर्ष संस्था है.इसकी स्थापना साल 1914 में हुई थी. पहला सत्र वर्ष 1914 में 15-17 जनवरी आयोजित हुआ था.
- तब से हर साल जनवरी के पहले हफ्ते में इसका सम्मेलन होता है.
- पहले विज्ञान सत्र की अध्यक्षता तत्कालीन कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति आशुतोष मुखर्जी ने किया था.
- पहले विज्ञान कांग्रेस में कुल 35 शोध पत्र पेश हुए थे.
- तब से अबतक समय विज्ञान कांग्रेस के 105 सदस्य थे जो आज 16 हजार से अधिक हो चुके हैं.
- इसकी स्थापना भारत में विज्ञान को बढ़ावा देने के लिये की गयी थी.
- साल 2020 में विज्ञान कांग्रेस की थीम ग्रामीण विकास: विज्ञान एवं प्रद्योगिकी है.
- 7 जनवरी तक चलने वाले इस विज्ञान कांग्रेस में कृषि क्षेत्र में हुए इनोवेशन्स प्रदर्शित किए जाएंगे.
- यहां नोबल पुरस्कार विजेता भी सत्र को संबोधित करेंगे.
- यहां पर शोध पत्र भी पेश होंगे.
- देश भर के 150 एक्जीबीटर्स अपने उत्पादों और इन्वेंशन्स का प्रदर्शन कर रहे हैं.
- विज्ञान कांग्रेस का शताब्दी समारोह 2013 में कोलकाता में हुआ.
- कर्नाटक में इससे पहले वर्ष 2016 में मैसूरु में विज्ञान कांग्रेस का आयोजन हुआ था.