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उत्तराखंड में 14 साल से कम उम्र के बच्चों का गायब होना बना रहस्य, डरावने हैं आंकड़े

उत्तराखंड में नाबालिग बच्चों के घरों से गायब होने का आंकड़ा साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है, जो चिंता का विषय है. पिछले चार सालों में सैड़कों बच्चे लापता हो चुके हैं.

Uttarakhand Minor Missing
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Published : Jun 25, 2021, 11:55 AM IST

Updated : Jun 25, 2021, 12:51 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में 14 साल से कम उम्र के बच्चे लगातार घरों से गायब हो रहे हैं. यह आंकड़ा साल-दर-साल बढ़ रहा है. नाबालिग बच्चों का गायब होना चिंता का विषय है. हालांकि, गनीमत यह है कि उत्तराखंड पुलिस 80 फीसदी से अधिक केस वर्कआउट कर रही है. पिछले 5 महीनों के आंकड़ों पर गौर करें तो नाबालिगों की गुमशुदगी और अपहरण के मामले सबसे ज्यादा उधम सिंह नगर जिले से सामने आए हैं.

ज्यादातर गुमशुदगी की वजह मानसिक परेशानी और पारिवारिक विवाद

अपर पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार के मुताबिक उत्तराखंड में नाबालिग बच्चों के घरों से गायब होने में मानव तस्करी और क्रिमिनल ऑफेंस कम बल्कि पारिवारिक परेशानियों वाले केस ज्यादा हैं. कम उम्र के बच्चों के लापता होने के अधिकांश केस घरों में झगड़े, मारपीट व अन्य पारिवारिक कलह से परेशानी वाले ज्यादा सामने आए हैं.

गुमशुदगी की वजह मानसिक परेशानी, पारिवारिक विवाद- ADG

तीन जनपदों में एक भी केस नहीं

एडीजी ने बताया कि इस साल (जनवरी से मई) नाबालिग बच्चों के गायब होने के सबसे ज्यादा मामले उधम सिंह नगर जिले से सामने आए हैं. वहीं, रुद्रप्रयाग, पौड़ी और बागेश्वर जनपद में एक भी केस नहीं मिला है. उत्तरकाशी, चंपावत और अल्मोड़ा में यह संख्या बेहद कम है.

Uttarakhand Minor Missing
लगातार बढ़ रही हैं घटनाएं.

पढ़ें- BJP नेताओं ने पैदा किया मुख्यमंत्री के लिए संवैधानिक संकट- प्रदीप टम्टा

सभी एसएसपी/एसपी को प्रमुखता से कार्रवाई के निर्देश

साल 2020 में 150 गुमशुदगी जैसे मामलों में 40 केस ही क्रिमिनल ऑफेंस के सामने आए. बाकी मामलों में घरों की समस्या के चलते बच्चे गायब हुए. इसके बावजूद कई कारणों से नाबालिग बच्चों के गायब होने का सिलसिला अपने आप में चिंताजनक है.

Uttarakhand Minor Missing
बच्चों के गायब होने का पिछले कुछ सालों का आंकड़ा.

अपर पुलिस महानिदेशक प्रशासन अभिनव कुमार के मुताबिक प्रमुख चार जिलों के अलावा अन्य जनपदों के सभी एसएसपी/एसपी को प्राथमिकता के तौर पर केस वर्कआउट करने की सख्त हिदायत दी गई है.

देहरादून: उत्तराखंड में 14 साल से कम उम्र के बच्चे लगातार घरों से गायब हो रहे हैं. यह आंकड़ा साल-दर-साल बढ़ रहा है. नाबालिग बच्चों का गायब होना चिंता का विषय है. हालांकि, गनीमत यह है कि उत्तराखंड पुलिस 80 फीसदी से अधिक केस वर्कआउट कर रही है. पिछले 5 महीनों के आंकड़ों पर गौर करें तो नाबालिगों की गुमशुदगी और अपहरण के मामले सबसे ज्यादा उधम सिंह नगर जिले से सामने आए हैं.

ज्यादातर गुमशुदगी की वजह मानसिक परेशानी और पारिवारिक विवाद

अपर पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार के मुताबिक उत्तराखंड में नाबालिग बच्चों के घरों से गायब होने में मानव तस्करी और क्रिमिनल ऑफेंस कम बल्कि पारिवारिक परेशानियों वाले केस ज्यादा हैं. कम उम्र के बच्चों के लापता होने के अधिकांश केस घरों में झगड़े, मारपीट व अन्य पारिवारिक कलह से परेशानी वाले ज्यादा सामने आए हैं.

गुमशुदगी की वजह मानसिक परेशानी, पारिवारिक विवाद- ADG

तीन जनपदों में एक भी केस नहीं

एडीजी ने बताया कि इस साल (जनवरी से मई) नाबालिग बच्चों के गायब होने के सबसे ज्यादा मामले उधम सिंह नगर जिले से सामने आए हैं. वहीं, रुद्रप्रयाग, पौड़ी और बागेश्वर जनपद में एक भी केस नहीं मिला है. उत्तरकाशी, चंपावत और अल्मोड़ा में यह संख्या बेहद कम है.

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लगातार बढ़ रही हैं घटनाएं.

पढ़ें- BJP नेताओं ने पैदा किया मुख्यमंत्री के लिए संवैधानिक संकट- प्रदीप टम्टा

सभी एसएसपी/एसपी को प्रमुखता से कार्रवाई के निर्देश

साल 2020 में 150 गुमशुदगी जैसे मामलों में 40 केस ही क्रिमिनल ऑफेंस के सामने आए. बाकी मामलों में घरों की समस्या के चलते बच्चे गायब हुए. इसके बावजूद कई कारणों से नाबालिग बच्चों के गायब होने का सिलसिला अपने आप में चिंताजनक है.

Uttarakhand Minor Missing
बच्चों के गायब होने का पिछले कुछ सालों का आंकड़ा.

अपर पुलिस महानिदेशक प्रशासन अभिनव कुमार के मुताबिक प्रमुख चार जिलों के अलावा अन्य जनपदों के सभी एसएसपी/एसपी को प्राथमिकता के तौर पर केस वर्कआउट करने की सख्त हिदायत दी गई है.

Last Updated : Jun 25, 2021, 12:51 PM IST
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