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World Cancer Day: एक डॉक्टर के भरोसे दून मेडिकल कॉलेज का कैंसर विभाग, महिलाओं में तेजी से फैल रहा ब्रेस्ट कैंसर

भारत में कैंसर की बीमारी बड़ी समस्या बन चुकी है. उत्तराखंड जैसे राज्य में भी कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ रही है. कैंसर एक्सपर्ट की माने तो उत्तराखंड में मुंह और फेफड़े के कैंसर के मरीज काफी ज्यादा मिल रहे हैं, जिसमें से 40 प्रतिशत महिलाएं और 60 प्रतिशत पुरुष हैं.

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Published : Feb 4, 2023, 5:27 PM IST

Updated : Feb 4, 2023, 5:39 PM IST

उत्तराखंड में भी तेजी से बढ़ रहे कैंसर के मरीज.

देहरादून: हर साल चार फरवरी को वर्ल्ड कैंसर डे मनाया जाता है. कैंसर डे मनाने का उद्देश्य लोगों को कैंसर के प्रति जागरुक करना है, ताकि समय रहते लोग कैंसर के लक्षण पहचान सकें और समय से इस घातक बीमारी का इलाज कराकर अपना जीवन बचा सकें. उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में भी कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन समस्या ये है कि यहां कैंसर का इतना अच्छा उपचार नहीं मिल पा रहा है. उत्तराखंड के सबसे बड़े सरकारी मेडिकल कॉलेज दून हॉस्पिटल में कैंसर मरीजों के लिए सिर्फ एक डॉक्टर है.

आज कल हम जिस तरह की जीनवशैली जी रहे हैं, उसका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ रहा है और उसके गंभीर परिणाम भी हमारे सामने आ रहे है. यही कारण है कि भारत में भी कैंसर मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. उत्तराखंड में कैंसर मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में कैंसर के मरीजों का विशेष पंजीकरण शुरू कर दिया गया है, ताकि मरीजों की सही जानकारी मिल सके. लेकिन समस्या ये है कि यहां भी कैंसर के इलाज के लिए सिर्फ एक डॉक्टर उपलब्ध है. दून मेडिकल कॉलेज के अलावा जिले के किसी भी सरकारी हॉस्पिटल में कैंसर का इलाज संभव नहीं है.
पढ़ें- Womens को सर्वाइकल कैंसर से बचाने में बेहद लाभकारी हो सकती है सर्ववैक वैक्सीन, एक से अधिक पार्टनर भी हो सकते हैं कैंसर के कारण

बता दें कि करीब डेढ़ साल पहले दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कैंसर वॉर्ड शुरू किया गया था. इन डेढ़ सालों में यहां कैंसर का एक ही डॉक्टर उपलब्ध है. ऐसे में डॉक्टर के साथ-साथ मरीजों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ऐसे हालत में डॉक्टर भी मरीजों को पूरा समय नहीं दे पाते हैं. दून मेडिकल कॉलेज के ऊपर न सिर्फ गढ़वाल मंडल के मरीज निर्भर हैं, बल्कि पड़ोसी राज्य यूपी और हिमाचल के मरीज भी यहां बड़ी संख्या में इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं.

तमाम दिक्कतों को देखते हुए राज्य सरकार कैंसर नियंत्रण बोर्ड बनाए जाने पर भी विचार कर रही है. राजकीय दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के कैंसर रोग विभाग के हेड डॉ दौलत सिंह ने बताया कि उत्तराखंड में सबसे अधिक मुंह के कैंसर, आहार नाल का कैंसर और फेफड़े का कैंसर देखने को मिल रहा, इससे पीड़ित 40 प्रतिशत महिलाएं हैं तो 60 प्रतिशत पुरुष हैं.
पढ़ें- विश्व कैंसर दिवस: उत्तराखंड में तेजी से बढ़ रही मुंह और गर्भाशय कैंसर रोगियों की संख्या

उन्होंने कहा कि लोगों में जागरूकता का अभाव है. यही वजह है कि कैंसर जैसी बीमारी लगातार बढ़ रही है. दून अस्पताल में वर्ष 2022 में 1800 कैंसर के मरीज देखे गए, जिसमें से 340 कैंसर के नए मरीज थे. कुल 478 मरीजों को कीमोथेरेपी दी गई. उन्होंने बताया कि कैंसर के उपचार के लिए लगातार संसाधन बढ़ाने पर कार्य चल रहा है. साथ उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में लगातार कैंसर के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है.

दूरदराज क्षेत्रों में सुविधाओं के अभाव में कैंसर के मरीजों की तादाद बढ़ने लगी है. सुविधाओं के अभाव में लोग खुद को नहीं दिखा पाते हैं. ऐसे में सरकार को चाहिए कि दूरदराज क्षेत्रों में कैंसर के कैंप लगाया जाए, जिससे कि बीमारी का पता चल सके. डॉ दौलत सिंह ने बताया कि 70 प्रतिशत मरीज ऐसे होते हैं जो कैंसर की आखिरी स्टेज में इलाज के लिए आते हैं. इसलिए इन मरीजों के ठीक होने की संभावना भी कम होती है. अगर मरीज शुरुआत में आ जाते हैं तो उनको ठीक करने में आसानी होती है.
पढ़ें- World Cancer Day: 10 साल में 2 गुना बढ़े कैंसर के रोगी, आप भी तो नहीं कर रहे ये लापरवाही!

विश्व कैंसर दिवस पर जनजागरूकता अभियान: योग करें-व्यायाम करें कैंसर का काम तमाम करें. इसी थीम के साथ विश्व कैंसर दिवस पर श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में जनजागरूकता अभियान चलाया गया. इस मौके पर मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस के छात्र छात्राओं ने लोगों को कैंसर बीमारी के प्रति सचेत किया. कार्यक्रम में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने मुख्य अतिथि के रूप में शिकरत की. मेडिकल कालेज के प्रांगण में आयोजित कैंसर रैली को स्वास्थ्य मंत्री एवं स्थानीय विधायक डॉ धन सिंह रावत ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.

इस मौके पर मेडिकल कॉलेज के विशेष डाक्टरों ने अपने संबोधन में कहा कि भारत में कैंसर पश्चिमी देशों की तुलना में कहीं अधिक तेजी से फैल रहा है, जिसमें महिलाओं में होने वाला ब्रेस्ट कैंसर सबसे अधिक तेजी से फैल रहा है. कहा कि मौजूदा समय का खानपान और जंगफूड कैंसर जैसी घातक बीमारियों को न्यौता दे रहा है.

उत्तराखंड में भी तेजी से बढ़ रहे कैंसर के मरीज.

देहरादून: हर साल चार फरवरी को वर्ल्ड कैंसर डे मनाया जाता है. कैंसर डे मनाने का उद्देश्य लोगों को कैंसर के प्रति जागरुक करना है, ताकि समय रहते लोग कैंसर के लक्षण पहचान सकें और समय से इस घातक बीमारी का इलाज कराकर अपना जीवन बचा सकें. उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में भी कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन समस्या ये है कि यहां कैंसर का इतना अच्छा उपचार नहीं मिल पा रहा है. उत्तराखंड के सबसे बड़े सरकारी मेडिकल कॉलेज दून हॉस्पिटल में कैंसर मरीजों के लिए सिर्फ एक डॉक्टर है.

आज कल हम जिस तरह की जीनवशैली जी रहे हैं, उसका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ रहा है और उसके गंभीर परिणाम भी हमारे सामने आ रहे है. यही कारण है कि भारत में भी कैंसर मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. उत्तराखंड में कैंसर मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में कैंसर के मरीजों का विशेष पंजीकरण शुरू कर दिया गया है, ताकि मरीजों की सही जानकारी मिल सके. लेकिन समस्या ये है कि यहां भी कैंसर के इलाज के लिए सिर्फ एक डॉक्टर उपलब्ध है. दून मेडिकल कॉलेज के अलावा जिले के किसी भी सरकारी हॉस्पिटल में कैंसर का इलाज संभव नहीं है.
पढ़ें- Womens को सर्वाइकल कैंसर से बचाने में बेहद लाभकारी हो सकती है सर्ववैक वैक्सीन, एक से अधिक पार्टनर भी हो सकते हैं कैंसर के कारण

बता दें कि करीब डेढ़ साल पहले दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कैंसर वॉर्ड शुरू किया गया था. इन डेढ़ सालों में यहां कैंसर का एक ही डॉक्टर उपलब्ध है. ऐसे में डॉक्टर के साथ-साथ मरीजों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ऐसे हालत में डॉक्टर भी मरीजों को पूरा समय नहीं दे पाते हैं. दून मेडिकल कॉलेज के ऊपर न सिर्फ गढ़वाल मंडल के मरीज निर्भर हैं, बल्कि पड़ोसी राज्य यूपी और हिमाचल के मरीज भी यहां बड़ी संख्या में इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं.

तमाम दिक्कतों को देखते हुए राज्य सरकार कैंसर नियंत्रण बोर्ड बनाए जाने पर भी विचार कर रही है. राजकीय दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के कैंसर रोग विभाग के हेड डॉ दौलत सिंह ने बताया कि उत्तराखंड में सबसे अधिक मुंह के कैंसर, आहार नाल का कैंसर और फेफड़े का कैंसर देखने को मिल रहा, इससे पीड़ित 40 प्रतिशत महिलाएं हैं तो 60 प्रतिशत पुरुष हैं.
पढ़ें- विश्व कैंसर दिवस: उत्तराखंड में तेजी से बढ़ रही मुंह और गर्भाशय कैंसर रोगियों की संख्या

उन्होंने कहा कि लोगों में जागरूकता का अभाव है. यही वजह है कि कैंसर जैसी बीमारी लगातार बढ़ रही है. दून अस्पताल में वर्ष 2022 में 1800 कैंसर के मरीज देखे गए, जिसमें से 340 कैंसर के नए मरीज थे. कुल 478 मरीजों को कीमोथेरेपी दी गई. उन्होंने बताया कि कैंसर के उपचार के लिए लगातार संसाधन बढ़ाने पर कार्य चल रहा है. साथ उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में लगातार कैंसर के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है.

दूरदराज क्षेत्रों में सुविधाओं के अभाव में कैंसर के मरीजों की तादाद बढ़ने लगी है. सुविधाओं के अभाव में लोग खुद को नहीं दिखा पाते हैं. ऐसे में सरकार को चाहिए कि दूरदराज क्षेत्रों में कैंसर के कैंप लगाया जाए, जिससे कि बीमारी का पता चल सके. डॉ दौलत सिंह ने बताया कि 70 प्रतिशत मरीज ऐसे होते हैं जो कैंसर की आखिरी स्टेज में इलाज के लिए आते हैं. इसलिए इन मरीजों के ठीक होने की संभावना भी कम होती है. अगर मरीज शुरुआत में आ जाते हैं तो उनको ठीक करने में आसानी होती है.
पढ़ें- World Cancer Day: 10 साल में 2 गुना बढ़े कैंसर के रोगी, आप भी तो नहीं कर रहे ये लापरवाही!

विश्व कैंसर दिवस पर जनजागरूकता अभियान: योग करें-व्यायाम करें कैंसर का काम तमाम करें. इसी थीम के साथ विश्व कैंसर दिवस पर श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में जनजागरूकता अभियान चलाया गया. इस मौके पर मेडिकल कॉलेज के एमबीबीएस के छात्र छात्राओं ने लोगों को कैंसर बीमारी के प्रति सचेत किया. कार्यक्रम में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने मुख्य अतिथि के रूप में शिकरत की. मेडिकल कालेज के प्रांगण में आयोजित कैंसर रैली को स्वास्थ्य मंत्री एवं स्थानीय विधायक डॉ धन सिंह रावत ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.

इस मौके पर मेडिकल कॉलेज के विशेष डाक्टरों ने अपने संबोधन में कहा कि भारत में कैंसर पश्चिमी देशों की तुलना में कहीं अधिक तेजी से फैल रहा है, जिसमें महिलाओं में होने वाला ब्रेस्ट कैंसर सबसे अधिक तेजी से फैल रहा है. कहा कि मौजूदा समय का खानपान और जंगफूड कैंसर जैसी घातक बीमारियों को न्यौता दे रहा है.

Last Updated : Feb 4, 2023, 5:39 PM IST
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