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इस बार होली पर जमकर बिके आशा ग्रुप के बनाए ऑर्गेनिक रंग - holi with organic colours doiwala

इस बार होली के लिए आशा स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के बनाए गए ऑर्गेनिक रंगों की खूब खरीदारी हुई. आशा स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष आशा सेमवाल ने बताया कि उन्होंने होली के उपलक्ष्य में भारी मात्रा में ऑर्गेनिक रंग तैयार किए थे.

holi with organic colours doiwala dehradun
ऑर्गेनिक रंगों से खेली गई होली.
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Published : Mar 29, 2021, 2:29 PM IST

डोईवाला: इस होली पर आशा स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के बनाए गए ऑर्गेनिक रंगों की जमकर खरीदारी हुई. समूह से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि यह ऑर्गेनिक रंग उन्होंने ट्रेनिंग लेने के बाद स्वयं बनाए हैं. इन रंगों में फल, फूल और सब्जियों का इस्तेमाल किया गया है. यह रंग त्वचा पर लगाने और शरीर के अंदर भी जाने पर किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाते हैं.

ऑर्गेनिक रंगों से खेली गई होली.

आशा स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष आशा सेमवाल ने बताया कि उन्होंने होली के उपलक्ष्य में भारी मात्रा में ऑर्गेनिक रंग तैयार किए थे. इस बार लोगों ने ऑर्गेनिक रंगों की अच्छी खरीदारी की है. इससे समूह से जुड़ी महिलाओं को इनकम भी प्राप्त हुई है. उनके बेचे गए रंगों की वजह से किसी को भी नुकसान नहीं होगा और सैकड़ों महिलाएं इस बार ऑर्गेनिक रंगों से जुड़ी थी. ऑर्गेनिक रंग बनाने से रोजगार का साधन भी पैदा हो गया है. यह ऑर्गेनिक रंग दूसरे रंगों से कम कीमत पर उपलब्ध है.

यह भी पढ़ें-कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत ने खेली होली, प्रदेशवासियों को दी बधाई

वहीं सामाजिक कार्यकर्ता विजेंद्र सिंह का कहना है कि पहले ऑर्गेनिक रंगों की कमी महसूस होती थी और रासायनिक रंग हमारी त्वचा को तो खराब करते ही हैं. उन्होंने ऑर्गेनिक रंग तैयार करने वाली समूह की महिलाओं को धन्यवाद अदा किया.

डोईवाला: इस होली पर आशा स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के बनाए गए ऑर्गेनिक रंगों की जमकर खरीदारी हुई. समूह से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि यह ऑर्गेनिक रंग उन्होंने ट्रेनिंग लेने के बाद स्वयं बनाए हैं. इन रंगों में फल, फूल और सब्जियों का इस्तेमाल किया गया है. यह रंग त्वचा पर लगाने और शरीर के अंदर भी जाने पर किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाते हैं.

ऑर्गेनिक रंगों से खेली गई होली.

आशा स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष आशा सेमवाल ने बताया कि उन्होंने होली के उपलक्ष्य में भारी मात्रा में ऑर्गेनिक रंग तैयार किए थे. इस बार लोगों ने ऑर्गेनिक रंगों की अच्छी खरीदारी की है. इससे समूह से जुड़ी महिलाओं को इनकम भी प्राप्त हुई है. उनके बेचे गए रंगों की वजह से किसी को भी नुकसान नहीं होगा और सैकड़ों महिलाएं इस बार ऑर्गेनिक रंगों से जुड़ी थी. ऑर्गेनिक रंग बनाने से रोजगार का साधन भी पैदा हो गया है. यह ऑर्गेनिक रंग दूसरे रंगों से कम कीमत पर उपलब्ध है.

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वहीं सामाजिक कार्यकर्ता विजेंद्र सिंह का कहना है कि पहले ऑर्गेनिक रंगों की कमी महसूस होती थी और रासायनिक रंग हमारी त्वचा को तो खराब करते ही हैं. उन्होंने ऑर्गेनिक रंग तैयार करने वाली समूह की महिलाओं को धन्यवाद अदा किया.

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