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देहरादून: सूबे में बढ़ते जा रहे महिला उत्पीड़न के मामले, जानिए क्या है वजह

उत्तराखंड में महिला उत्पीड़न के मामले इस साल अप्रैल माह से अभी तक 1,052 मामले राज्य महिला आयोग में दर्ज हो चुके हैं. वहीं अगर बात साल 2018-19 की जाए तो पिछले वित्तीय वर्ष में प्रदेश के विभिन्न जनपदों से 1474 महिला उत्पीड़न से जुड़े मामले राज्य महिला आयोग में दर्ज हुए थे.

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उत्तराखंड राज्य महिला आयोग अध्यक्षा, विजया बड़थ्वाल
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Published : Dec 16, 2019, 6:07 PM IST

देहरादून: अपनी शांत और सुरक्षित आबो हवा के लिए जाने वाले पर्वतीय प्रदेश उत्तराखंड में भी साल दर साल महिला उत्पीड़न से जुड़े मामलों में इजाफा होता जा रहा है. राज्य महिला आयोग में इस साल अप्रैल माह से अभी तक 1,052 महिला उत्पीड़न से जुड़े मामले दर्ज हो चुके हैं. वहीं अगर बात साल 2018-19 की जाए तो पिछले वित्तीय वर्ष में प्रदेश के विभिन्न जनपदों से 1474 महिला उत्पीड़न से जुड़े मामले राज्य महिला आयोग में दर्ज हुए थे. गौरतलब है कि ये सभी मामले महिलाओं के मानसिक उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, शारीरिक उत्पीड़न और जान-माल की सुरक्षा से जुड़े हैं. इन मामलों को लेकर जनपद देहरादून पहले स्थान पर काबिज है.

साल दर साल बढ़ रहे उत्तराखंड में महिला उत्पीड़न के मामले.

बता दें कि इस साल जनपद देहरादून से महिलाओं के मानसिक उत्पीड़न के 120 मामले अब तक राज्य महिला आयोग में दर्ज कराए जा चुके हैं. वहीं दूसरे स्थान पर धर्मनगरी हरिद्वार का नाम है, जहां से महिलाओं के मानसिक उत्पीड़न के 25 मामले दर्ज हुए हैं. वहीं तीसरे स्थान पर उधम सिंह नगर जनपद है, जहां से महिलाओं के मानसिक उत्पीड़न के 21 मामले दर्ज हुए हैं. वही चौथा स्थान सरोवर नगरी नैनीताल का है, जहां से महिलाओं के मानसिक उत्पीड़न के 21 मामले राज्य महिला आयोग में दर्ज कराए गए हैं.

ये भी पढ़े: नागरिकता कानून का विरोध : बिहार में भी भड़की चिंगारी, पुलिस पोस्ट फूंका

प्रदेश में साल दर साल बढ़ रहे महिला उत्पीड़न से जुड़े मामलों को लेकर उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा विजया बड़थ्वाल ने भी चिंता जाहिर की है. उन्होंने बताया कि किसी भी रिश्ते के टूटने की एक बड़ी वजह सामंजस्य की कमी और शक की बीमारी होती है. आज लोग सोशल मीडिया में जान- पहचान बढ़ा कर शादी के बंधन में बंध रहे रहें हैं. लेकिन विश्वास की कमी के चलते यह रिश्ते कम समय में ही टूट रहे हैं.

साथ ही कहा कि महिला हो या पुरुष दोनों के लिए ही यह बेहद जरूरी है कि वे रिश्ते के शुरुआती दौर में ही अपनी आर्थिक और पारिवारिक स्थिति का सही तौर पर खुलासा करें. लोग शुरुआती दौर में एक दूसरे से अपनी वास्तविक स्थिति को छुपाते हैं. जो रिश्ते में बंधने के बाद आगे चलकर लड़ाई झगड़े और मानसिक उत्पीड़न का रूप ले लेती हैं.

ये भी पढ़े: गोलीकांड मामलाः एक आरोपी गिरफ्तार, परिजनों ने शव को कोतवाली में रखकर किया प्रदर्शन

साथ ही बताया कि जिस तरह से आज 1 साल पूरा होने से पहले ही शादियां टूट रही है. उसे देखते हुए राज्य महिला आयोग जल्द ही प्री- मैरिज काउंसलिंग शुरू कराने जा रहा है. जिसके लिए शासन को जल्द ही प्रस्ताव भेजा जाएगा.

देहरादून: अपनी शांत और सुरक्षित आबो हवा के लिए जाने वाले पर्वतीय प्रदेश उत्तराखंड में भी साल दर साल महिला उत्पीड़न से जुड़े मामलों में इजाफा होता जा रहा है. राज्य महिला आयोग में इस साल अप्रैल माह से अभी तक 1,052 महिला उत्पीड़न से जुड़े मामले दर्ज हो चुके हैं. वहीं अगर बात साल 2018-19 की जाए तो पिछले वित्तीय वर्ष में प्रदेश के विभिन्न जनपदों से 1474 महिला उत्पीड़न से जुड़े मामले राज्य महिला आयोग में दर्ज हुए थे. गौरतलब है कि ये सभी मामले महिलाओं के मानसिक उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, शारीरिक उत्पीड़न और जान-माल की सुरक्षा से जुड़े हैं. इन मामलों को लेकर जनपद देहरादून पहले स्थान पर काबिज है.

साल दर साल बढ़ रहे उत्तराखंड में महिला उत्पीड़न के मामले.

बता दें कि इस साल जनपद देहरादून से महिलाओं के मानसिक उत्पीड़न के 120 मामले अब तक राज्य महिला आयोग में दर्ज कराए जा चुके हैं. वहीं दूसरे स्थान पर धर्मनगरी हरिद्वार का नाम है, जहां से महिलाओं के मानसिक उत्पीड़न के 25 मामले दर्ज हुए हैं. वहीं तीसरे स्थान पर उधम सिंह नगर जनपद है, जहां से महिलाओं के मानसिक उत्पीड़न के 21 मामले दर्ज हुए हैं. वही चौथा स्थान सरोवर नगरी नैनीताल का है, जहां से महिलाओं के मानसिक उत्पीड़न के 21 मामले राज्य महिला आयोग में दर्ज कराए गए हैं.

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प्रदेश में साल दर साल बढ़ रहे महिला उत्पीड़न से जुड़े मामलों को लेकर उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा विजया बड़थ्वाल ने भी चिंता जाहिर की है. उन्होंने बताया कि किसी भी रिश्ते के टूटने की एक बड़ी वजह सामंजस्य की कमी और शक की बीमारी होती है. आज लोग सोशल मीडिया में जान- पहचान बढ़ा कर शादी के बंधन में बंध रहे रहें हैं. लेकिन विश्वास की कमी के चलते यह रिश्ते कम समय में ही टूट रहे हैं.

साथ ही कहा कि महिला हो या पुरुष दोनों के लिए ही यह बेहद जरूरी है कि वे रिश्ते के शुरुआती दौर में ही अपनी आर्थिक और पारिवारिक स्थिति का सही तौर पर खुलासा करें. लोग शुरुआती दौर में एक दूसरे से अपनी वास्तविक स्थिति को छुपाते हैं. जो रिश्ते में बंधने के बाद आगे चलकर लड़ाई झगड़े और मानसिक उत्पीड़न का रूप ले लेती हैं.

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साथ ही बताया कि जिस तरह से आज 1 साल पूरा होने से पहले ही शादियां टूट रही है. उसे देखते हुए राज्य महिला आयोग जल्द ही प्री- मैरिज काउंसलिंग शुरू कराने जा रहा है. जिसके लिए शासन को जल्द ही प्रस्ताव भेजा जाएगा.

Intro:Special one to one interview Attached With uttrakhand rajy mahila aayog adhyaksh Vijaya Barthwal

देहरादून- अपनी शांत और सुरक्षित आबो हवा के लिए जाने- जाने वाले पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड में भी साल दर साल महिला उत्पीड़न से जुड़े मामलों में इजाफा होता जा रहा है । बात करें राज्य महिला आयोग में इस साल अप्रैल माह से अब तक दर्ज हुए महिला उत्पीरण से जुड़े मामलों की तो इस साल अब तक राज्य महिला आयोग में 1052 महिला उत्पीड़न से जुड़े मामले दर्ज हो चुके हैं।

वहीं अगर बात वित्तीय वर्ष 2018-19 की करें तो पिछले वित्तीय वर्ष में प्रदेश के विभिन्न जनपदों से 1474 महिला उत्पीड़न से जुड़े मामले राज्य महिला आयोग में दर्ज हुए थे । गौरतलब है कि ये सभी मामले महिलाओं के मानसिक उत्पीड़न , घरेलू हिंसा, शारीरिक उत्पीड़न और जान-माल सुरक्षा से जुड़े हैं। इसमें सबसे अधिक मामले महिलाओं के मानसिक उत्पीड़न से जुड़ा है । जिसमें जनपद देहरादून पहले स्थान पर है ।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस साल जनपद देहरादून से महिलाओं के मानसिक उत्पीड़न के 120 मामले अब तक राज्य महिला आयोग में दर्ज कराए जआ चुके हैं । वही दूसरे स्थान पर धर्मनगरी हरिद्वार का नाम है । यहां से महिलाओं के मानसिक उत्पीड़न के 25 मामले दर्ज हुए हैं । वहीं तीसरे स्थान पर उधम सिंह नगर जनपद का नाम है। यहां से महिलाओं के मानसिक उत्पीड़न के 21 मामले दर्ज हुए हैं ।वही चौथा स्थान सरोवर नगरी नैनीताल का है । यहां से भी महिलाओं के मानसिक उत्पीड़न के 21 मामले राज्य महिला आयोग में दर्ज कराए गए।




Body:प्रदेश में साल- साल बढ़ रहे महिला उत्पीड़न से जुड़े मामलों को लेकर उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा विजया बड़थ्वाल ने भी चिंता जाहिर की है ।

ईटीवी भारत से बात करते हुए उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा विजया बड़थ्वाल का कहना था किसी भी रिश्ते के टूटने की एक बड़ी वजह सामंजस्य की कमी और शक की बीमारी होती है । आज लोग सोशल मीडिया में जान- पहचान बढ़ा कर शादी के बंधन में तो बंध रहे रहें । लेकिन विश्वास की कमी की विजह से यह रिश्ते कम समय मे ही टूट रहे हैं ।




Conclusion:उनके अनुसार कोई भी महिला हो या पुरुष दोनों के लिए ही यह जरूरी है कि वह रिश्ते के शुरुआती दौर में ही अपनी आर्थिक के साथ ही पारिवारिक स्थिति का सही तौर पर खुलासा करें आज योग शुरुआती दौर में एक दूसरे से अपनी वास्तविक स्थिति को छुपाते हैं । और यही छुपना छुपाना आगे चलकर लड़ाई झगड़े और मानसिक उत्पीड़न का रूप ले लेता है।

ईटीवी भारत से बात करते हुए राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष विजय भारद्वाज ने बताया जिस तरह से आज 1 साल पूरा होने से पहले ही शादियां टूट रही है । उसे देखते हुए राज्य महिला आयोग जल्दी प्री- मैरिज काउंसलिंग शुरू कराने जा रहा है । इसके लिए शासन को जल्द ही प्रस्ताव भेजा जाएगा उन्हें उम्मीद है की शादी से पहले होने वाली इस प्री मैरिज काउंसलिंग से कहीं घर टूटने से बच सकेंगे ।







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