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मसूरी में स्विट्जरलैंड का मजा! 26 से 30 दिसंबर तक देखें विंटरलाइन की सतरंगी बहार - 26 से 30 दिसंबर तक देखें विंटरलाइन की सतरंगी बहार

जिस विंटरलाइन कार्निवाल का पर्यटकों को साल भर इंतजार रहता है, वो दिन जल्द ही आने वाला है. मसूरी में विंटरलाइन कार्निवाल (Mussoorie Winterline Carnival) का आयोजन दिसंबर के आखिरी सप्ताह में होने जा रहा है. इस दौरान मसूरी में एक अद्भुत नजारा आसमान में देखने को मिलता है, जिसे देखने के लिए दुनियाभर से पर्यटक आते हैं.

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Published : Dec 7, 2022, 4:06 PM IST

Updated : Dec 7, 2022, 4:30 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड विश्व भर में अपनी खूबसूरती के लिए अलग ही पहचान रखता है. उत्तराखंड में कई मशहूर हिल स्टेशन हैं, जो दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करते है. इन्हीं में से एक है पहाड़ों की रानी मसूरी (Hill station mussoorie ). गर्मियों में यहां पर्यटक ठंडक का मजा लेने आते हैं. वहीं सर्दियों में वे बर्फबारी का लुफ्त उठाते हैं. इसके अलावा सर्दियों में एक और कारण के चलते बड़ी संख्या में पर्यटक मसूरी पहुंचते हैं. वो है विंटरलाइन कार्निवाल.

मसूरी में पांच दिवसीय विंटर लाइन कार्निवाल का आयोजन 26 से 30 दिसंबर तक होना है. जिसका शुभारंभ 26 दिसंबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी करेंगे. जिसकी तैयारी में जोरशोर से पर्यटक विभाग और प्रशासन जुटा हुआ है. कोरोना के कारण पिछले दो सालों से मसूरी में विंटरलाइन कार्निवाल (Mussoorie Winterline Carnival) का आयोजन नहीं हो रहा था. हालांकि अब सब सामान्य होने पर फिर से मसूरी में विंटरलाइन कार्निवाल का आयोजन किया जा रहा है.

विंटरलाइन कार्निवाल के मुख्य आकर्षण: विंटरलाइन कार्निवाल में इस बार पर्यटकों को लुभाने के लिए हेरिटेज वॉक, स्टार गेजिंग, संगीतमय प्रदर्शन, पारंपरिक फूड फेस्टिवल और बहुत कुछ होगा. पहाड़ियों की रानी मसूरी प्रेमियों के लिए विंटर सीजन में पसंदीदा केंद्र बना हुआ है. हालांकि अभीतक मसूरी विंटर लाइन कार्निवाल के लिए जगह की घोषणा नहीं की गई है.

पढ़ें- पिथौरागढ़ आ सकते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन बॉर्डर पर स्थित इस आश्रम का करेंगे दौरा!

विंटर लाइन क्या है?: विंटर लाइन के बारे में बताया जाता है कि यह रेखा धूल के कणों से बनती है, जो शाम के समय धूल के अधिक ऊपर उठने के कारण इस पर पड़ने वाली सूरज की किरणों से चमक उठती है. धूल के कण जितने अधिक होते हैं, विंटर लाइन उतनी ही अधिक गहरी बनती है. सूर्यदेव के छिपने के बाद दून के आसमान में ऋषिकेश से लेकर पौंटा साहिब तक एक पीली लाइन बन जाती है, यही विंटरलाइन है.

सूर्यास्त के बाद दिखती है विंटर लाइन: आमतौर पर मसूरी में अक्टूबर से लेकर फरवरी के बीच सूर्यास्त के बाद पश्चिम दिशा में आसमान में एक अनोखा नजारा दिखाई होता है. आसमान में एक रंग उभरता है, मानो कुदरत अपना जादू बिखेर रही हो. लाल, नारंगी इस रंगीन रेखा को जो भी देखता है, बस देखता ही रह जाता है. इसे ही विंटर लाइन कहते हैं.

कुछ जगहों पर ही दिखता है अद्भुत नजारा: प्रसिद्ध अंग्रेजी लेखक गणेश सैली का कहना है कि यह एक अद्भुत घटना है, जो दुनिया में कुछ जगहों पर ही दिखाई देती है. इसमें मसूरी, दक्षिण अफ्रीका का केपटाउन और स्विटजरलैंड शामिल हैं. ये दुनिया की सबसे बड़ी रेखा है, जो इतने बड़े आसमान में दिखाई देती है.

उत्तराखंड के सबसे बड़े सांस्कृतिक त्योहार: मसूरी विंटर लाइन कार्निवाल उत्तराखंड के सबसे बड़े सांस्कृतिक त्योहारों में से एक है. यह एक ऐसा समय है, जब शहर की सड़कें और चहल-पहल भरे बाजारों में कार्निवाल के रंग उतर जाते हैं. विंटरलाइन कार्निवाल की योजना और आयोजन नए साल की पूर्व संध्या के आसपास किया जाता है, जहां संगीत, कला और लोक कार्यक्रमों सहित बहुत सारी मस्ती और खेल होते हैं.
पढ़ें- उत्तराखंड से विदेशी सैलानी हो रहे दूर! कोरोना, आपदा का डर या कुछ और

खूबसूरत तस्वीरें के लिए साल भर इंतजार करते है पर्यटक: मसूरी विंटर लाइन कार्निवाल के खूबसूरत नजारों को अपने कैमरों में कैद करने के लिए पर्यटक साल भर इस मौसम का इंतजार करते है. मसूरी में विंटरलाइन कार्निवाल के दौरान अद्भुत प्राकृतिक दृश्यों के साथ ही पर्यटक पैराग्लाइडिंग, बंजी जंपिंग, बर्फ से ढके मार्ग पर साइकिल चलाना और स्केटिंग जैसे विभिन्न साहसिक खेल भी यहां होते हैं.

कैसे पहुंचे मसूरी: पर्यटक देश के किसी भी कौन से आसानी से मसूरी पहुंच सकता है. देश में सभी बड़े शहरों से पहले आपको देहरादून पहुंचाना होगा. देहरादून सड़क, ट्रेन और फ्लाइन तीनों मार्गों से जुड़ा हुआ है. देहरादून से मसूरी के लिए बस और टैक्सी दोनों मिल जाएगी. देहरादून के मसूरी की दूसरी करीब 30 किमी है. पहाड़ी रास्त होने की वजह से इस 30 किमी का सफर करने में आपको एक घंटा लग जाता है. वहीं दिल्ली से मसूरी की दूरी करीब 300 किमी है. मसूरी में रुकने के लिए बड़ी संख्या में गेस्ट हाउस, लॉज और बड़े होटल भी है, जहां पर आप अपने बजट के अनुसार रुक सकते है. मसूरी के आसपास की कई बड़े पैलेस हैं.

देहरादून: उत्तराखंड विश्व भर में अपनी खूबसूरती के लिए अलग ही पहचान रखता है. उत्तराखंड में कई मशहूर हिल स्टेशन हैं, जो दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करते है. इन्हीं में से एक है पहाड़ों की रानी मसूरी (Hill station mussoorie ). गर्मियों में यहां पर्यटक ठंडक का मजा लेने आते हैं. वहीं सर्दियों में वे बर्फबारी का लुफ्त उठाते हैं. इसके अलावा सर्दियों में एक और कारण के चलते बड़ी संख्या में पर्यटक मसूरी पहुंचते हैं. वो है विंटरलाइन कार्निवाल.

मसूरी में पांच दिवसीय विंटर लाइन कार्निवाल का आयोजन 26 से 30 दिसंबर तक होना है. जिसका शुभारंभ 26 दिसंबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी करेंगे. जिसकी तैयारी में जोरशोर से पर्यटक विभाग और प्रशासन जुटा हुआ है. कोरोना के कारण पिछले दो सालों से मसूरी में विंटरलाइन कार्निवाल (Mussoorie Winterline Carnival) का आयोजन नहीं हो रहा था. हालांकि अब सब सामान्य होने पर फिर से मसूरी में विंटरलाइन कार्निवाल का आयोजन किया जा रहा है.

विंटरलाइन कार्निवाल के मुख्य आकर्षण: विंटरलाइन कार्निवाल में इस बार पर्यटकों को लुभाने के लिए हेरिटेज वॉक, स्टार गेजिंग, संगीतमय प्रदर्शन, पारंपरिक फूड फेस्टिवल और बहुत कुछ होगा. पहाड़ियों की रानी मसूरी प्रेमियों के लिए विंटर सीजन में पसंदीदा केंद्र बना हुआ है. हालांकि अभीतक मसूरी विंटर लाइन कार्निवाल के लिए जगह की घोषणा नहीं की गई है.

पढ़ें- पिथौरागढ़ आ सकते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन बॉर्डर पर स्थित इस आश्रम का करेंगे दौरा!

विंटर लाइन क्या है?: विंटर लाइन के बारे में बताया जाता है कि यह रेखा धूल के कणों से बनती है, जो शाम के समय धूल के अधिक ऊपर उठने के कारण इस पर पड़ने वाली सूरज की किरणों से चमक उठती है. धूल के कण जितने अधिक होते हैं, विंटर लाइन उतनी ही अधिक गहरी बनती है. सूर्यदेव के छिपने के बाद दून के आसमान में ऋषिकेश से लेकर पौंटा साहिब तक एक पीली लाइन बन जाती है, यही विंटरलाइन है.

सूर्यास्त के बाद दिखती है विंटर लाइन: आमतौर पर मसूरी में अक्टूबर से लेकर फरवरी के बीच सूर्यास्त के बाद पश्चिम दिशा में आसमान में एक अनोखा नजारा दिखाई होता है. आसमान में एक रंग उभरता है, मानो कुदरत अपना जादू बिखेर रही हो. लाल, नारंगी इस रंगीन रेखा को जो भी देखता है, बस देखता ही रह जाता है. इसे ही विंटर लाइन कहते हैं.

कुछ जगहों पर ही दिखता है अद्भुत नजारा: प्रसिद्ध अंग्रेजी लेखक गणेश सैली का कहना है कि यह एक अद्भुत घटना है, जो दुनिया में कुछ जगहों पर ही दिखाई देती है. इसमें मसूरी, दक्षिण अफ्रीका का केपटाउन और स्विटजरलैंड शामिल हैं. ये दुनिया की सबसे बड़ी रेखा है, जो इतने बड़े आसमान में दिखाई देती है.

उत्तराखंड के सबसे बड़े सांस्कृतिक त्योहार: मसूरी विंटर लाइन कार्निवाल उत्तराखंड के सबसे बड़े सांस्कृतिक त्योहारों में से एक है. यह एक ऐसा समय है, जब शहर की सड़कें और चहल-पहल भरे बाजारों में कार्निवाल के रंग उतर जाते हैं. विंटरलाइन कार्निवाल की योजना और आयोजन नए साल की पूर्व संध्या के आसपास किया जाता है, जहां संगीत, कला और लोक कार्यक्रमों सहित बहुत सारी मस्ती और खेल होते हैं.
पढ़ें- उत्तराखंड से विदेशी सैलानी हो रहे दूर! कोरोना, आपदा का डर या कुछ और

खूबसूरत तस्वीरें के लिए साल भर इंतजार करते है पर्यटक: मसूरी विंटर लाइन कार्निवाल के खूबसूरत नजारों को अपने कैमरों में कैद करने के लिए पर्यटक साल भर इस मौसम का इंतजार करते है. मसूरी में विंटरलाइन कार्निवाल के दौरान अद्भुत प्राकृतिक दृश्यों के साथ ही पर्यटक पैराग्लाइडिंग, बंजी जंपिंग, बर्फ से ढके मार्ग पर साइकिल चलाना और स्केटिंग जैसे विभिन्न साहसिक खेल भी यहां होते हैं.

कैसे पहुंचे मसूरी: पर्यटक देश के किसी भी कौन से आसानी से मसूरी पहुंच सकता है. देश में सभी बड़े शहरों से पहले आपको देहरादून पहुंचाना होगा. देहरादून सड़क, ट्रेन और फ्लाइन तीनों मार्गों से जुड़ा हुआ है. देहरादून से मसूरी के लिए बस और टैक्सी दोनों मिल जाएगी. देहरादून के मसूरी की दूसरी करीब 30 किमी है. पहाड़ी रास्त होने की वजह से इस 30 किमी का सफर करने में आपको एक घंटा लग जाता है. वहीं दिल्ली से मसूरी की दूरी करीब 300 किमी है. मसूरी में रुकने के लिए बड़ी संख्या में गेस्ट हाउस, लॉज और बड़े होटल भी है, जहां पर आप अपने बजट के अनुसार रुक सकते है. मसूरी के आसपास की कई बड़े पैलेस हैं.

Last Updated : Dec 7, 2022, 4:30 PM IST
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