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गोविंद वन्यजीव विहार गड़बड़ी मामले की जांच कब होगी पूरी, जानकारी देने बच रहा महकमा - देहरादून न्यूज

गोविंद वन्य जीव विहार में पूर्व उपनिदेशक कोमल सिंह पर राजस्व नुकसान से लेकर चेहतों को निर्माण कार्य देने और दूसरी तमाम अनियमितताओं के आरोप है. इस मामले में मुख्यमंत्री ने उनके खिलाफ जांच के निर्देश दिए थे, लेकिन अभीतक जांच को लेकर कोई भी अधिकारी कुछ बोलने को ही तैयारी नहीं है.

Komal Singh news
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Published : Sep 9, 2021, 10:07 PM IST

देहरादून: गोविंद वन्यजीव विहार में अनियमितताओं को लेकर जांच पर अब भी पर्दा पड़ा है. मामले की मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद उच्च स्तरीय जांच तो कराए जाने की बात कही गई, लेकिन इस जांच का एक महीने बाद भी क्या निष्कर्ष निकला यह सामने नहीं आ पा रहा है. खास बात यह है कि मामले की जांच को लेकर महकमा भी चुप्पी साधे हुए है. बस यही बात है जो मामले में जांच को लेकर कई सवाल खड़े कर रही है.

वन विभाग में शिकायतों की जांच को लेकर क्या किया जाता है, इसकी बानगी हाल ही में गोविंद वन्यजीव विहार में हुई गड़बड़ी के मामले में दिखाई देती है. मामला इसलिए और भी गंभीर हो जाता है, क्योंकि जिस अधिकारी के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए थे, वह पहले भी कई शिकायतों के घेरे में रहा है और अब तक किसी भी शिकायत का विभाग के स्तर पर कोई समाधान नहीं निकाला गया.

पढ़ें- OMG: रुद्रप्रयाग में देखते ही देखते ढह गई पूरी पहाड़ी, देखिए VIDEO

बता दें कि गोविंद वन्य जीव विहार में पूर्व उपनिदेशक कोमल सिंह पर राजस्व नुकसान से लेकर चेहतों को निर्माण कार्य देने और दूसरी तमाम अनियमितताओं के आरोप हैं. इसके अतिरिक्त खरीदे गए उपकरणों के गायब होने से जुड़े आरोप भी उन पर लग चुके हैं. इतने सारे आरोप लगने के बाद मुख्यमंत्री ने शिकायतों के आधार पर जांच के निर्देश दिए थे और इसी आधार पर वन मंत्री हरक सिंह रावत ने उच्च स्तरीय जांच कराने के लिए आईएफएस अधिकारी को जिम्मेदारी देने की बात कही थी.

लेकिन इसे वन विभाग की लापरवाही कहें या कोई मिलीभगत कि इतने समय बाद भी अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. बड़ी बात यह भी है कि इस मामले में अधिकारी चुप्पी रहते हुए भी नजर आते हैं. उल्टा उस अधिकारी को हटा दिया गया, जिसकी शिकायतों को लेकर गड़बड़ियों की पुष्टि हुई थी. कोमल सिंह को लेकर इस जांच पर लेटलतीफी के मामले में न केवल वन मंत्री हरक सिंह रावत सवालों के घेरे में हैं, बल्कि शासन और वन विभाग के अधिकारियों पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं.

देहरादून: गोविंद वन्यजीव विहार में अनियमितताओं को लेकर जांच पर अब भी पर्दा पड़ा है. मामले की मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद उच्च स्तरीय जांच तो कराए जाने की बात कही गई, लेकिन इस जांच का एक महीने बाद भी क्या निष्कर्ष निकला यह सामने नहीं आ पा रहा है. खास बात यह है कि मामले की जांच को लेकर महकमा भी चुप्पी साधे हुए है. बस यही बात है जो मामले में जांच को लेकर कई सवाल खड़े कर रही है.

वन विभाग में शिकायतों की जांच को लेकर क्या किया जाता है, इसकी बानगी हाल ही में गोविंद वन्यजीव विहार में हुई गड़बड़ी के मामले में दिखाई देती है. मामला इसलिए और भी गंभीर हो जाता है, क्योंकि जिस अधिकारी के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए थे, वह पहले भी कई शिकायतों के घेरे में रहा है और अब तक किसी भी शिकायत का विभाग के स्तर पर कोई समाधान नहीं निकाला गया.

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बता दें कि गोविंद वन्य जीव विहार में पूर्व उपनिदेशक कोमल सिंह पर राजस्व नुकसान से लेकर चेहतों को निर्माण कार्य देने और दूसरी तमाम अनियमितताओं के आरोप हैं. इसके अतिरिक्त खरीदे गए उपकरणों के गायब होने से जुड़े आरोप भी उन पर लग चुके हैं. इतने सारे आरोप लगने के बाद मुख्यमंत्री ने शिकायतों के आधार पर जांच के निर्देश दिए थे और इसी आधार पर वन मंत्री हरक सिंह रावत ने उच्च स्तरीय जांच कराने के लिए आईएफएस अधिकारी को जिम्मेदारी देने की बात कही थी.

लेकिन इसे वन विभाग की लापरवाही कहें या कोई मिलीभगत कि इतने समय बाद भी अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. बड़ी बात यह भी है कि इस मामले में अधिकारी चुप्पी रहते हुए भी नजर आते हैं. उल्टा उस अधिकारी को हटा दिया गया, जिसकी शिकायतों को लेकर गड़बड़ियों की पुष्टि हुई थी. कोमल सिंह को लेकर इस जांच पर लेटलतीफी के मामले में न केवल वन मंत्री हरक सिंह रावत सवालों के घेरे में हैं, बल्कि शासन और वन विभाग के अधिकारियों पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं.

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