ETV Bharat / state

Western Disturbance: बदले वेदर पैटर्न ने बढ़ाई बागवानों की समस्या, वायु प्रदूषण से मैदानों में बढ़ी मरीजों की संख्या - weather Change pattern increased gardeners problem

पिछले कुछ सालों में वेदर पैटर्न में बदलाव देखने को मिल रहा है. जिसकी वजह से मौसम अपने समय पर नहीं आ रहा है. जिसकी वजह से प्रदूषण और खेती में समस्या आ रही है. वहीं, सर्दियों के मौसम में वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ जाती है, जिससे लोगों में बीमारी का खतरा बढ़ जाता है.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Jan 21, 2023, 10:03 PM IST

वायु प्रदूषण से मैदानों में बढ़ी मरीजों की संख्या.

देहरादून: वेस्टर्न डिस्टरबेंस यानी पश्चिमी विक्षोभ का असर अब हमारे मौसम पर खूब देखने को मिल रहा है. एक तरफ जहां मौसम अपने समय से पीछे चल रहा है, वहीं इससे प्रदूषण की समस्या और बागवानी में दिक्कत पैदा हो रही है. उत्तराखंड में खास तौर पर सर्दियों में मैदानी इलाकों में हवा में प्रदूषण (एयर क्वालिटी इंडेक्स) काफी बढ़ जाता है.

सर्दियों में प्रदूषण में इजाफा: हिमालयी राज्य उत्तराखंड में 70 फीसदी भूभाग हरे भरे जंगलों से घिरा हुआ है. जहां कड़ाके की ठंड बढ़ते ही मैदानी इलाकों में हवा में प्रदूषण बढ़ जाता है. उत्तराखंड पोल्युशन कंट्रोल बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार देहरादून सहित हरिद्वार, उधमसिंह नगर, हल्द्वानी और नैनीताल में AQI सामान्य से ज्यादा बढ़ जाता है. यहां पर हवा में प्रदूषण मॉडरेट हो जाता है. खासकर देहरादून और ऋषिकेश शहरों में वायु प्रदूषण का ग्राफ बहुत तेजी से बढ़ा है.

मौसम वैज्ञानिक रोहित थपलियाल बताते हैं कि पश्चिम से आने वाले हवाएं हमारे मौसम पर प्रभाव डालती है. जिसे हम वेस्टर्न डिस्टरबेंस कहते हैं. इससे हमारे मौसम पर असर पड़ता है. मौसम वैज्ञानिक बताते हैं कि विंटर सीजन के दौरान लोअर एटमॉस्फियर में एक इन्वर्जन लेयर बन जाती है. इस लेयर में धरती के सतह के आसपास का तापमान काफी ज्यादा कम हो जाता है और जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती है. तापमान बढ़ता जाता है.

इसी लेयर की वजह से जो कुछ भी प्रदूषण धरती से निकलता है. वो चाहे फैक्ट्रियों से निकलने वाला हो या फिर ऑटो मोबाइल से निकलने वाला प्रदूषण और धूल है. वो इसी इन्वर्जन लेयर के अंदर फंस जाता है और यही वजह है कि सर्दियों में अचानक प्रदूषण के आंकड़े काफी बढ़ जाते हैं. इसी वजह से हमें मैदानी इलाकों में कोहरे की मोटी चादर देखने को मिलती है.
ये भी पढ़ें: Rishabh Pant Accident: जहां हुआ था ऋषभ पंत का एक्सीडेंट, अब वहां से शिफ्ट होगी नहर!

सर्दियों में प्रदूषण बढ़ा रहा बीमारी: मैदानी इलाकों में लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण के चलते एक चुनौती खड़ी हो गई है. शासन प्रशासन स्तर पर वायु प्रदूषण से निजात पाने के लिए समय-समय पर लोगों को जागरूक किया जाता है, लेकिन बढ़ती जनसंख्या और शहर में बढ़ते ट्रैफिक को लेकर प्रदूषण की चुनौती तो जरूर खड़ी हो गई है.

सर्दियों में AQI में बढ़ोत्तरी: उत्तराखंड प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारी सुशांत पटनायक ने बताया कि सर्दियों में ज्यादातर उत्तराखंड के मैदानी शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स सामान्य से ज्यादा बढ़ जाता है. जिसकी वजह से देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर, हल्द्वानी जैसे मैदानी इलाकों में AQI मॉडरेट कंडीशन में आ जाता है. जिसको लेकर उन्होंने आंकड़े भी साझा किए हैं. इसमें सबसे बुरा हाल राज्य की राजधानी देहरादून का है.

सर्दियों में अस्थमा मरीजों की बढ़ोत्तरी: देहरादून और ऋषिकेश में इन दिनों AQI का आंकड़ा 150 के पार पहुंच चुका है. सर्दियों में घने कोहरे के चलते प्रदूषण का स्तर ज्यादा बढ़ जाता है. वहीं, मैदानी इलाकों में बढ़ते हुए प्रदूषण के चलते इन बड़े शहरों में बीमारियां भी लगातार अपना घर बनाती है. दून अस्पताल के फिजिशियन डॉ कुमार कौल ने कहा बढ़ते प्रदूषण के चलते मरीजों को सांस लेने में ज्यादा दिक्कत आती है. सर्दियों के मौसम में अस्थमा के पेशेंट ज्यादा बढ़ जाते हैं. खासकर यह समस्या बुजुर्गों में देखी गई है, हालांकि बच्चों में भी यह समस्या होती है.

मौसम पैटर्न में बदलाव से पहाड़ों में समस्या: पिछले कुछ सालो में लगातार वेदर पैटर्न में बदलाव देखे जा रहे हैं. जिसके चलते उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में काश्तकारों की परेशानी बढ़ गई है. खासतौर से सर्दियों में सेब और कीवी की बागवानी के लिए बर्फबारी और धरती की चिलिंग के लिए बागवानों को काफी इंतजार करना पड़ता है. समय से बर्फबारी या बारिश ना होना से सेब और कीवी के उत्पादन में काफी समस्या होती है.

उत्तराखंड उद्यान विभाग के निदेशक एचएस बवेजा बताते हैं कि उत्तराखंड राज्य कीवी उत्पादन की दिशा में एक बड़ा लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है. निश्चित तौर पर कीवी उत्पादन में उत्तराखंड ने पिछले कुछ सालों में बेहतरीन काम भी किया है. जहां तक बात मौसम के पैटर्न में आए बदलाव की है तो सेब की तुलना में कीवी फल इस बदले हुए वेदर पैटर्न को जल्दी अडॉप्ट करता है. बर्फबारी देरी से होती है तो भी सेब की तुलना में कीवी का कम नुकसान होता है.

वायु प्रदूषण से मैदानों में बढ़ी मरीजों की संख्या.

देहरादून: वेस्टर्न डिस्टरबेंस यानी पश्चिमी विक्षोभ का असर अब हमारे मौसम पर खूब देखने को मिल रहा है. एक तरफ जहां मौसम अपने समय से पीछे चल रहा है, वहीं इससे प्रदूषण की समस्या और बागवानी में दिक्कत पैदा हो रही है. उत्तराखंड में खास तौर पर सर्दियों में मैदानी इलाकों में हवा में प्रदूषण (एयर क्वालिटी इंडेक्स) काफी बढ़ जाता है.

सर्दियों में प्रदूषण में इजाफा: हिमालयी राज्य उत्तराखंड में 70 फीसदी भूभाग हरे भरे जंगलों से घिरा हुआ है. जहां कड़ाके की ठंड बढ़ते ही मैदानी इलाकों में हवा में प्रदूषण बढ़ जाता है. उत्तराखंड पोल्युशन कंट्रोल बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार देहरादून सहित हरिद्वार, उधमसिंह नगर, हल्द्वानी और नैनीताल में AQI सामान्य से ज्यादा बढ़ जाता है. यहां पर हवा में प्रदूषण मॉडरेट हो जाता है. खासकर देहरादून और ऋषिकेश शहरों में वायु प्रदूषण का ग्राफ बहुत तेजी से बढ़ा है.

मौसम वैज्ञानिक रोहित थपलियाल बताते हैं कि पश्चिम से आने वाले हवाएं हमारे मौसम पर प्रभाव डालती है. जिसे हम वेस्टर्न डिस्टरबेंस कहते हैं. इससे हमारे मौसम पर असर पड़ता है. मौसम वैज्ञानिक बताते हैं कि विंटर सीजन के दौरान लोअर एटमॉस्फियर में एक इन्वर्जन लेयर बन जाती है. इस लेयर में धरती के सतह के आसपास का तापमान काफी ज्यादा कम हो जाता है और जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती है. तापमान बढ़ता जाता है.

इसी लेयर की वजह से जो कुछ भी प्रदूषण धरती से निकलता है. वो चाहे फैक्ट्रियों से निकलने वाला हो या फिर ऑटो मोबाइल से निकलने वाला प्रदूषण और धूल है. वो इसी इन्वर्जन लेयर के अंदर फंस जाता है और यही वजह है कि सर्दियों में अचानक प्रदूषण के आंकड़े काफी बढ़ जाते हैं. इसी वजह से हमें मैदानी इलाकों में कोहरे की मोटी चादर देखने को मिलती है.
ये भी पढ़ें: Rishabh Pant Accident: जहां हुआ था ऋषभ पंत का एक्सीडेंट, अब वहां से शिफ्ट होगी नहर!

सर्दियों में प्रदूषण बढ़ा रहा बीमारी: मैदानी इलाकों में लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण के चलते एक चुनौती खड़ी हो गई है. शासन प्रशासन स्तर पर वायु प्रदूषण से निजात पाने के लिए समय-समय पर लोगों को जागरूक किया जाता है, लेकिन बढ़ती जनसंख्या और शहर में बढ़ते ट्रैफिक को लेकर प्रदूषण की चुनौती तो जरूर खड़ी हो गई है.

सर्दियों में AQI में बढ़ोत्तरी: उत्तराखंड प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारी सुशांत पटनायक ने बताया कि सर्दियों में ज्यादातर उत्तराखंड के मैदानी शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स सामान्य से ज्यादा बढ़ जाता है. जिसकी वजह से देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंह नगर, हल्द्वानी जैसे मैदानी इलाकों में AQI मॉडरेट कंडीशन में आ जाता है. जिसको लेकर उन्होंने आंकड़े भी साझा किए हैं. इसमें सबसे बुरा हाल राज्य की राजधानी देहरादून का है.

सर्दियों में अस्थमा मरीजों की बढ़ोत्तरी: देहरादून और ऋषिकेश में इन दिनों AQI का आंकड़ा 150 के पार पहुंच चुका है. सर्दियों में घने कोहरे के चलते प्रदूषण का स्तर ज्यादा बढ़ जाता है. वहीं, मैदानी इलाकों में बढ़ते हुए प्रदूषण के चलते इन बड़े शहरों में बीमारियां भी लगातार अपना घर बनाती है. दून अस्पताल के फिजिशियन डॉ कुमार कौल ने कहा बढ़ते प्रदूषण के चलते मरीजों को सांस लेने में ज्यादा दिक्कत आती है. सर्दियों के मौसम में अस्थमा के पेशेंट ज्यादा बढ़ जाते हैं. खासकर यह समस्या बुजुर्गों में देखी गई है, हालांकि बच्चों में भी यह समस्या होती है.

मौसम पैटर्न में बदलाव से पहाड़ों में समस्या: पिछले कुछ सालो में लगातार वेदर पैटर्न में बदलाव देखे जा रहे हैं. जिसके चलते उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में काश्तकारों की परेशानी बढ़ गई है. खासतौर से सर्दियों में सेब और कीवी की बागवानी के लिए बर्फबारी और धरती की चिलिंग के लिए बागवानों को काफी इंतजार करना पड़ता है. समय से बर्फबारी या बारिश ना होना से सेब और कीवी के उत्पादन में काफी समस्या होती है.

उत्तराखंड उद्यान विभाग के निदेशक एचएस बवेजा बताते हैं कि उत्तराखंड राज्य कीवी उत्पादन की दिशा में एक बड़ा लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है. निश्चित तौर पर कीवी उत्पादन में उत्तराखंड ने पिछले कुछ सालों में बेहतरीन काम भी किया है. जहां तक बात मौसम के पैटर्न में आए बदलाव की है तो सेब की तुलना में कीवी फल इस बदले हुए वेदर पैटर्न को जल्दी अडॉप्ट करता है. बर्फबारी देरी से होती है तो भी सेब की तुलना में कीवी का कम नुकसान होता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.