देहरादून: वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भूगर्भीय गर्म जलस्रोतों से बिजली बनाने की तैयारी है. योजना के पहले चरण में जोशीमठ के आगे तपोवन में पांच मेगावाट का प्लांट लगाने की तैयारी की जा रही है. बतौर एक्सपेरिमेंट शुरू किए जा रहे यह प्रोजेक्ट अगर सफल रहा तो भविष्य में हिमालयी क्षेत्रों में मौजूद अन्य भूगर्भीय गर्म जलस्रोतों पर पावर प्लांट लगाए जा सकते हैं. पहले चरण में वाडिया इंस्टीट्यूट हिमालयी क्षेत्रों के 40 भूगर्भीय गर्म जलस्रोतों को चिन्हित किया है.
वैज्ञानिक डॉ. संतोष कुमार राय के मुताबिक हिमालय क्षेत्र में करीब 300 भूगर्भीय गर्म पानी के स्रोत हैं. ऐसे में इन भूगर्भीय गर्म जल के तापमान को विभिन्न तरीकों से अवशोषित कर बिजली बनाने, स्पेस हिटिंग, पूल हीटिंग के साथ ही ग्रीन हाउस के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है. डॉ संतोष कुमार राय का कहना है कि यह प्रक्रिया उन जगहों के लिए ज्यादा कारगर साबित होता है, जहां पर पानी का तापमान बहुत ज्यादा होता है.
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी का कहना है कि जोशीमठ से आगे तपोवन में एक थर्मल स्प्रिंग है. जहां बिजली उत्पादन की संभावना ज्यादा है. जिसे देखते हुए वाडिया की टीम इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. इस प्रोजेक्ट के जरिए पांच मेगावाट का जियो थर्मल एनर्जी पावर प्लांट स्थापित किया जा रहा है. हालांकि, जियो थर्मल एनर्जी पावर प्लांट लगाने के लिए वाडिया ने अल्मोड़ा की एक निजी पावर कंपनी के साथ एमओयू साइन किया है. जिसके तहत पहले चरण में 5 मेगावाट बिजली जनरेट किया जाएगा और प्रोजेक्ट सफल होने पर 20 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा.
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हिमालय क्षेत्र में मौजूद हैं 300 भूगर्भीय गर्म जलस्रोत
वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने बताया कि वर्तमान समय में हिमालय क्षेत्र में करीब 300 भूगर्भीय गर्म जलस्रोत मौजूद हैं. जिसमें से फिलहाल अभी 40 भूगर्भीय जलस्रोत ऐसे हैं, जिन्हें बिजली उत्पादन के लिए चिन्हित किया गया है.
ऐसे बनेगी बिजली
वैज्ञानिक डॉ. संतोष कुमार रॉय ने बताया कि इन गर्म जल स्रोतों के पानी का तापमान बढ़ाकर 100 डिग्री सेल्सियस से अधिक किया जा सकता है. गर्म जल से निकलने वाली भाप को पंप के माध्यम से खींचा जाएगा और टरबाइन को चलाया जाएगा. जिसे बिजली का उत्पादन होगा. इस प्रक्रिया से पानी की गुणवत्ता पर कोई असर नहीं पड़ेगा. लिहाजा इस प्रोजेक्ट के तहत बिना वातावरण को नुकसान पहुंचाए, सिर्फ तापमान बढ़ाकर नेचुरल थर्मल एनर्जी का उत्पादन किया जा सकता है.
गर्म स्रोतों का पानी क्यों रहता है गर्म
मैग्मा चट्टानों का पिघला हुआ रूप है. जिसकी रचना ठोस, आधी पिघली अथवा पूरी तरह पिघली चट्टानों के द्वारा होती है और जो पृथ्वी के सतह के नीचे निर्मित होता है. यह मैग्मा ( 8001300 डिग्री सेल्सियस) पृथ्वी की विभिन्न परतों से घिरा हुआ है. यदि पृथ्वी की परतों में ये गलती से फट जाता है तो जबरदस्त मात्रा मैग्मा से आसपास के चट्टानों में स्थानांतरित हो जाता है. जिसके बाद वहां मौजूद पानी में उस थर्मल ऊर्जा को चट्टानों से स्थानांतरित कर दिया जाएगा तो पानी का तापमान बढ़ेगा. जिसके परिणामस्वरूप गर्म पानी बनता है. ये पानी हमेशा गर्म रहता है.