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वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान पर संकट, सेंटर फॉर ग्लेशियोलॉजी प्रोजेक्ट बंद

वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान स्थित सेंटर फॉर ग्लेशियोलॉजी प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार ने बंद कर दिया है. जिससे अब ग्लेशियरों पर अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों को संस्थान के अल्प बजट पर निर्भर रहना पड़ेगा. वहीं, अलग से बजट न मिल पाने से चुनौती भी बढ़ गई है.

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सेंटर फॉर ग्लेशियोलॉजी प्रोजेक्ट बंद
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Published : Aug 19, 2020, 1:58 PM IST

देहरादून: वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान में साल 2009 में शुरू किया गया सेंटर फॉर ग्लेशियोलॉजी प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने बंद कर दिया है. ऐसे में अब हिमालय के ग्लेशियरों का अध्ययन नहीं हो पायेगा. इसके साथ ही विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने निर्णय लिया है कि अब वो सेंटर फॉर ग्लेशियोलॉजी प्रोजेक्ट के लिए कोई भी बजट जारी नहीं करेगा. जिससे अब हिमालय के ग्लेशियरों पर चल रही रिसर्च सही ढंग से नही हो पाएगी.

आपको बता दें कि हिमालय के ग्लेशियरों के अध्ययन के लिए साल 2009 में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान में पांच साल के लिए सेंटर फॉर ग्लेशियोलॉजी प्रोजेक्ट शुरू किया गया था. इस प्रोजेक्ट के लिए उस दौरान 23 करोड़ रुपये भी जारी किए गए थे. लेकिन साल 2013 में उत्तराखंड की केदार घाटी में आई भीषण आपदा के बाद इस प्रोजेक्ट की महत्ता को देखते हुए साल 2014 में इस प्रॉजेक्ट को हर साल बढ़ाने का निर्णय लिया था. जिसके बाद सेंटर फॉर ग्लेशियोलॉजी प्रोजेक्ट को साल 2014 में 5 साल पूरा होने के बाद ग्लेशियरों पर अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों को हर साल करीब डेढ़ करोड़ रुपये दिए जाते रहे थे.

पढ़ें- 17 साल के युवा ने बनाई भारतीय tik-tok ऐप, महज तीन दिनों में जुड़े हजारों लोग

वहीं, अब केंद्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने सेंटर फॉर ग्लेशियोलॉजी प्रोजेक्ट को बंद कर दिया है. ऐसे में अब ग्लेशियरों पर अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों को संस्थान के अल्प बजट पर निर्भर रहना पड़ेगा. हालांकि, वाडिया संस्थान का सेंटर फॉर ग्लेशियोलॉजी प्रोजेक्ट जब बेहतर ढंग से काम कर रहा था, तब विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने तय किया था कि उत्तराखंड में नेशनल ग्लेशियोलॉजी सेंटर भी स्थापित किया जाएगा. जिसका प्रस्ताव भी तैयार कर लिया गया था, लेकिन अब उत्तराखंड में नेशनल ग्लेशियोलॉजी सेंटर भी स्थापित किये जाने को लेकर संशय हो गया है.

वाडिया संस्थान के निदेशक डॉ. कालाचांद साईं ने कहा कि ग्लेशियरों पर अध्ययन किसी भी तरह से जारी रहेगा. क्योंकि यह बहुत जरूरी है. यही नहीं साल 2013 में केदार घाटी में आयी आपदा के बाद इसकी भूमिका भी बढ़ गयी थी. जिसके बाद से ही सेंटर फॉर ग्लेशियोलॉजी प्रोजेक्ट के तहत लगातार रिसर्च किया जाता रहा है. साथ ही कहा कि ग्लेशियरों पर अध्ययन के लिए अब अलग से बजट न मिल पाने से चुनौती जरूर बढ़ गई है.

देहरादून: वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान में साल 2009 में शुरू किया गया सेंटर फॉर ग्लेशियोलॉजी प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने बंद कर दिया है. ऐसे में अब हिमालय के ग्लेशियरों का अध्ययन नहीं हो पायेगा. इसके साथ ही विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने निर्णय लिया है कि अब वो सेंटर फॉर ग्लेशियोलॉजी प्रोजेक्ट के लिए कोई भी बजट जारी नहीं करेगा. जिससे अब हिमालय के ग्लेशियरों पर चल रही रिसर्च सही ढंग से नही हो पाएगी.

आपको बता दें कि हिमालय के ग्लेशियरों के अध्ययन के लिए साल 2009 में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान में पांच साल के लिए सेंटर फॉर ग्लेशियोलॉजी प्रोजेक्ट शुरू किया गया था. इस प्रोजेक्ट के लिए उस दौरान 23 करोड़ रुपये भी जारी किए गए थे. लेकिन साल 2013 में उत्तराखंड की केदार घाटी में आई भीषण आपदा के बाद इस प्रोजेक्ट की महत्ता को देखते हुए साल 2014 में इस प्रॉजेक्ट को हर साल बढ़ाने का निर्णय लिया था. जिसके बाद सेंटर फॉर ग्लेशियोलॉजी प्रोजेक्ट को साल 2014 में 5 साल पूरा होने के बाद ग्लेशियरों पर अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों को हर साल करीब डेढ़ करोड़ रुपये दिए जाते रहे थे.

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वहीं, अब केंद्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने सेंटर फॉर ग्लेशियोलॉजी प्रोजेक्ट को बंद कर दिया है. ऐसे में अब ग्लेशियरों पर अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों को संस्थान के अल्प बजट पर निर्भर रहना पड़ेगा. हालांकि, वाडिया संस्थान का सेंटर फॉर ग्लेशियोलॉजी प्रोजेक्ट जब बेहतर ढंग से काम कर रहा था, तब विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने तय किया था कि उत्तराखंड में नेशनल ग्लेशियोलॉजी सेंटर भी स्थापित किया जाएगा. जिसका प्रस्ताव भी तैयार कर लिया गया था, लेकिन अब उत्तराखंड में नेशनल ग्लेशियोलॉजी सेंटर भी स्थापित किये जाने को लेकर संशय हो गया है.

वाडिया संस्थान के निदेशक डॉ. कालाचांद साईं ने कहा कि ग्लेशियरों पर अध्ययन किसी भी तरह से जारी रहेगा. क्योंकि यह बहुत जरूरी है. यही नहीं साल 2013 में केदार घाटी में आयी आपदा के बाद इसकी भूमिका भी बढ़ गयी थी. जिसके बाद से ही सेंटर फॉर ग्लेशियोलॉजी प्रोजेक्ट के तहत लगातार रिसर्च किया जाता रहा है. साथ ही कहा कि ग्लेशियरों पर अध्ययन के लिए अब अलग से बजट न मिल पाने से चुनौती जरूर बढ़ गई है.

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