देहरादून: राजधानी में प्रेमनगर के सुद्दोवाला स्थित उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय (UTU) अनिमितताओं को लेकर सवालों के घेरे में है. यूनिवर्सिटी में पूर्व में रहे कुलपतियों के कार्यकाल के दौरान पीएचडी उपाधि प्रदान करने में फर्जीवाड़ा व नियुक्तियों को लेकर शासन ने जांच के आदेश दिए हैं.
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देहरादून के उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय में गड़बड़ी के साथ ही टेंडर प्रक्रिया में खरीद-फरोख्त और अन्य मामलों में भारी अनिमितताएं मिलने पर शासन ने विजिलेंस टीम से जांच कराने के आदेश दिए हैं. आरोप है कि यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपतियों ने सभी नियमों को ताक पर रखकर अभ्यर्थियों को पीएचडी की उपाधि प्रदान की हैं. मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार शासन ने इस पर आदेश जारी किया है.
यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपतियों पर आरोप लगा है कि उनके कार्यकाल में कुछ अभ्यर्थियों को बिना कॉलेज में प्रवेश प्रक्रिया के ही डेढ़ साल में पीएचडी की उपाधि दे दी गई. वहीं, साल 2009 और 2010 में ऐसे लोगों को पीएचडी की उपाधि दे दी गई जिनका स्थानांतरण दूसरे विश्वविद्यालयों से यहां हुआ था.
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साल 2017 में यूनिवर्सिटी में पीएचडी प्रवेश परीक्षा में गड़बड़ी का आरोपों पर भी अभी तक किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकी है. ऐसे में अब एसआईटी जल्द पूरे मामले की जांच कर आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगी.
जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड राज्य में पूर्व राज्यपाल डॉक्टर केके पॉल ने इस मामले में वर्ष 2016 में वित्तीय गड़बड़ियों और नियुक्तियों में हेराफेरी की शिकायत सामने आने के बाद तत्कालीन मुख्य सचिव से जांच करवाई थी. जिसके बाद राजभवन के ही निर्देश पर वर्ष 2019 में इस मामले की विभागीय जांच पड़ताल की गई.
वहीं, अब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा इस मामले की जांच की अनुमति मिलने के बाद शासन ने विजिलेंस टीम को जांच कर कानूनी कार्रवाई करने का आदेश दिया हैं.