देहरादून: कॉर्बेट नेशनल पार्क में पाखरो टाइगर सफारी बनाने को लेकर हुई तमाम गड़बड़ियों पर आखिरकार विजिलेंस ने चार्जशीट तैयार कर कोर्ट में पेश कर दी है. खबर है कि इससे पहले विजिलेंस ने इसके लिए शासन से मंजूरी भी ले ली थी. उधर अब इस पूरे मामले में आरोपी बनाए गए पूर्व डीएफओ किशनचंद और रेंजर बृज बिहारी शर्मा पर कोर्ट में वाद चलेगा.
उत्तराखंड में बेहद चर्चाओं में रहे कॉर्बेट नेशनल पार्क के पाखरो टाइगर सफारी मामले में आखिरकार विजिलेंस ने चार्जशीट तैयार कर ली है. इस मामले में विजिलेंस की तरफ से पूर्व डीएफओ किशनचंद और पूर्व रेंजर बृज बिहारी शर्मा पर मुकदमा किया गया था. जिसके बाद से ही पूर्व डीएफओ किशनचंद फिलहाल जेल में हैं. जबकि इस मामले में बृज बिहारी शर्मा जमानत पर जेल से बाहर आ चुके हैं. बता दें कि टाइगर सफारी का निर्माण 2019 से शुरू हुआ था. जिसमें कुछ शिकायतों के बाद एनटीसीए की तरफ से इसकी जांच की गई थी. जिसमें प्रथम दृष्टया गड़बड़ी पाए जाने के बाद एनटीसीए ने राज्य वन विभाग को इस मामले में कड़ा पत्र भी लिखा था. हालांकि इसके बाद यह पूरा मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा, जिसमें एनजीटी समेत एनटीसीए और वन विभाग तक ने भी इसपर अलग अलग जांच की.
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उधर सुप्रीम कोर्ट की सीईसी यानी सेंट्रल एमपॉवर्ड कमेटी की निगरानी में इन तमाम जांचों के आधार पर अपनी एक रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा की गई है. उधर दूसरी तरफ विजिलेंस भी लगातार इसकी जांच में जुटी हुई है, विजिलेंस की तरफ से इन संस्थाओं द्वारा की गई जांचों के तथ्यों को आधार बनाकर अपनी इन्वेस्टीगेशन आगे बढ़ाई जा रही है. खास बात यह है कि विजिलेंस की तरफ से पूर्व में ही शासन से किशन चंद के खिलाफ मुकदमा दर्ज किए जाने की अनुमति ले ली गई थी. इसके अलावा पूर्व में ही किशनचंद और बृज बिहारी शर्मा की भी गिरफ्तारी कर ली गई थी. हालांकि किशनचंद आय से अधिक संपत्ति के दूसरे मामले में पहले ही विजिलेंस के शिकंजे में हैं.
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हालांकि अब यह मामला भी उनके गले की फांस बन गया है और शासन से अनुमति के बाद कॉर्बेट में हुई गड़बड़ी मामले पर भी चार्जशीट तैयार कर कोर्ट में भेज दी गई है. इस पूरे मामले में सबसे खास बात यह है कि विजिलेंस कुछ और लोगों पर भी शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है. इस मामले में खास तौर पर आईएफएस अधिकारी जेएस सुहाग विजिलेंस के शिकंजे में आ सकते हैं. क्योंकि जेएस सुहाग रिटायर हो चुके हैं और नियमों के अनुसार रिटायर होने के एक साल बाद किसी अधिकारी की गिरफ्तारी या मुकदमा दर्ज करने के लिए शासन की अनुमति की आवश्यकता नहीं होती है. लिहाजा आने वाले समय में कुछ और लोगों पर भी विजिलेंस शिकंजा कस सकती है.