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75 हजार रिश्वत लेते रंगे हाथ धरा गया सिंचाई विभाग का अधिकारी, विजिलेंस टीम ने किया गिरफ्तार - Vigilance team arrested red handed

उत्तराखंड सचिवालय में तैनात सिंचाई समीक्षा अधिकारी 75 हजार रुपये की रिश्वत लेते विजिलेंस की टीम द्वारा गिरफ्तार किया गया है.

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रिश्वत लेते रंगे हाथ धरा गया सिंचाई विभाग का अधिकारी
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Published : Feb 28, 2022, 10:54 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड सचिवालय में भ्रष्टाचार को लेकर किस तरह का बोलबाला है, इसका ताजा मामला सोमवार देर शाम सामने आया. जहां 75 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए सचिवालय में तैनात सिंचाई अनुभाग के समीक्षा अधिकारी कमलेश प्रसाद थपलियाल को विजिलेंस की टीम ने रंगे हाथों गिरफ्तार किया.

विजिलेंस सेक्टर देहरादून के मुताबिक आरोपी द्वारा रिश्वत की रकम सिंचाई विभाग के ही रिटायर्ड कनिष्ठ अभियंता के ग्रेच्युटी व फंड लंबित भुगतान के एवज में ₹1 लाख रिश्वत आरोपी द्वारा मांगी गई थी. जिसमें 75 हजार पर रजामंदी हुई. इसके बाद शिकायतकर्ता महेश चंद्र अग्रवाल ने इस मामले में विजिलेंस को प्रार्थना पत्र देकर सोमवार देर शाम समीक्षा अधिकारी कमलेश थपलियाल को रिश्वत की रकम देते रंगे हाथों सचिवालय गेट पर ट्रेप करवाया.

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वहीं, आरोपी के खिलाफ अधिनियम 1988 संशोधित अधिनियम दो हजार अट्ठारह की समुचित धाराओं के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर जांच जारी है. वहीं, सतर्कता विभाग निदेशक अमित सिन्हा द्वारा विजिलेंस टीम को 10 हजार का इनाम देने की घोषणा की गई है.

क्या था मामला: विजिलेंस से मिली जानकारी के मुताबिक 25 फरवरी 2022 को शिकायतकर्ता महेश चंद्र अग्रवाल ने एक पत्र विजिलेंस को दिया था. जिसमें बताया गया कि वह 30 अप्रैल 2008 को उत्तराखंड सिंचाई विभाग के अंतर्गत मनेरीभाली परियोजना से कनिष्ठ अभियंता के पद पर सेवानिवृत्त हुए थे. रिटायरमेंट के दौरान सिंचाई विभाग स्टोर से सम्बंधित कुछ मदो में समान कमी के चलते शिकायतकर्ता की ग्रेच्युटी से साल 2013 में कटौती की गई. ऐसे में शिकायतकर्ता द्वारा अपनी भुगतान लंबित होने के चलते उत्तराखंड ट्रिब्यूनल कोर्ट में याचिका दाखिल की गई. सुनवाई के बाद ट्रिब्यूनल न्यायालय ने शिकायत कर्ता के पक्ष में निर्णय दिया गया.

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वहीं, इस निर्णय के खिलाफ सिंचाई विभाग उत्तराखंड द्वारा नैनीताल हाई कोर्ट में अपील दायर की गई. दोनों ही पक्ष सुनवाई के बाद नैनीताल हाईकोर्ट से भी शिकायतकर्ता के पक्ष में निर्णय देते हुए को अपने सिंचाई विभाग को पीड़ित पक्ष को धनराशि शीघ्र भुगतान करने के आदेश दिए. ऐसे में हाईकोर्ट के आदेश के बाद 22 फरवरी 2022 को सिंचाई विभाग अनुभाग के अधिकारी अनिल पुरोहित ने शिकायतकर्ता को फोन कर लंबित भुगतान के लिए सचिवालय बुलाया. शिकायतकर्ता के अनुसार इस दौरान विभाग के अधिकारी अनिल कुमार पुरोहित ने एक बार फिर 24 फरवरी 2022 को सचिवालय में भुगतान से संबंधित स्पष्टीकरण के लिए कहा. शिकायतकर्ता के मुताबिक वह अपने बेटे कृष्ण चंद्र अग्रवाल के साथ सिंचाई विभाग सचिवालय पहुंचे. जहां अनुभाग अधिकारी अनिल पुरोहित व समीक्षा अधिकारी के पी थपलियाल मौजूद थे. ऐसे में दोनों ही अधिकारियों ने शिकायतकर्ता को हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील दाखिल न करने और लंबित भुगतान को यथाशीघ्र अदा करने के एवज में 1 लाख रुपये रिश्वत की मांग की.

पढ़ें- यूक्रेन से सकुशल लौटीं कोटद्वार की विभूति और पायल, बयां किये युद्ध के हालात

शिकायतकर्ता के मुताबिक एक लाख की रिश्वत देने में असमर्थता जताते हुए भ्रष्ट अधिकारियों से 75 हजार में सौदा तय किया गया. इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए 28 फरवरी 2022 सोमवार देर शाम सचिवालय गेट के बाहर आरोपित समीक्षा अधिकारी द्वारा बुलाया गया. जहां अनिल पुरोहित द्वारा समीक्षा अधिकारी केपी थपलियाल को रिश्वत की रकम देते समय विजिलेंस की टीम ने गिरफ्तार किया.

देहरादूनः उत्तराखंड सचिवालय में भ्रष्टाचार को लेकर किस तरह का बोलबाला है, इसका ताजा मामला सोमवार देर शाम सामने आया. जहां 75 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए सचिवालय में तैनात सिंचाई अनुभाग के समीक्षा अधिकारी कमलेश प्रसाद थपलियाल को विजिलेंस की टीम ने रंगे हाथों गिरफ्तार किया.

विजिलेंस सेक्टर देहरादून के मुताबिक आरोपी द्वारा रिश्वत की रकम सिंचाई विभाग के ही रिटायर्ड कनिष्ठ अभियंता के ग्रेच्युटी व फंड लंबित भुगतान के एवज में ₹1 लाख रिश्वत आरोपी द्वारा मांगी गई थी. जिसमें 75 हजार पर रजामंदी हुई. इसके बाद शिकायतकर्ता महेश चंद्र अग्रवाल ने इस मामले में विजिलेंस को प्रार्थना पत्र देकर सोमवार देर शाम समीक्षा अधिकारी कमलेश थपलियाल को रिश्वत की रकम देते रंगे हाथों सचिवालय गेट पर ट्रेप करवाया.

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वहीं, आरोपी के खिलाफ अधिनियम 1988 संशोधित अधिनियम दो हजार अट्ठारह की समुचित धाराओं के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर जांच जारी है. वहीं, सतर्कता विभाग निदेशक अमित सिन्हा द्वारा विजिलेंस टीम को 10 हजार का इनाम देने की घोषणा की गई है.

क्या था मामला: विजिलेंस से मिली जानकारी के मुताबिक 25 फरवरी 2022 को शिकायतकर्ता महेश चंद्र अग्रवाल ने एक पत्र विजिलेंस को दिया था. जिसमें बताया गया कि वह 30 अप्रैल 2008 को उत्तराखंड सिंचाई विभाग के अंतर्गत मनेरीभाली परियोजना से कनिष्ठ अभियंता के पद पर सेवानिवृत्त हुए थे. रिटायरमेंट के दौरान सिंचाई विभाग स्टोर से सम्बंधित कुछ मदो में समान कमी के चलते शिकायतकर्ता की ग्रेच्युटी से साल 2013 में कटौती की गई. ऐसे में शिकायतकर्ता द्वारा अपनी भुगतान लंबित होने के चलते उत्तराखंड ट्रिब्यूनल कोर्ट में याचिका दाखिल की गई. सुनवाई के बाद ट्रिब्यूनल न्यायालय ने शिकायत कर्ता के पक्ष में निर्णय दिया गया.

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शिकायतकर्ता के मुताबिक एक लाख की रिश्वत देने में असमर्थता जताते हुए भ्रष्ट अधिकारियों से 75 हजार में सौदा तय किया गया. इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए 28 फरवरी 2022 सोमवार देर शाम सचिवालय गेट के बाहर आरोपित समीक्षा अधिकारी द्वारा बुलाया गया. जहां अनिल पुरोहित द्वारा समीक्षा अधिकारी केपी थपलियाल को रिश्वत की रकम देते समय विजिलेंस की टीम ने गिरफ्तार किया.

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