देहरादून: सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के जीरो टोरलेंस वाली नीति का शासन स्तर पर किस तरह से मखौल उड़ाया जा रहा है, इसका एक ताजा उदाहरण हाल ही में देखने को मिला है. जिस प्रशासनिक अधिकारी के खिलाफ एक हफ्ते पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने तत्काल विजिलेंस जांच के आदेश भी दिए थे, उस जांच के आदेश अभी तक विजिलेंस विभाग को नहीं मिले हैं.
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दरअसल, राज्य सिविल सेवा के प्रशासनिक अधिकारी अरविंद पांडे के खिलाफ लंबे समय से शिकायतें मिल रही थीं. इन शिकायतों को संज्ञान में लेते हुए बीती 19 जनवरी को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपर जिलाधिकारी (ADM प्रशासन) अरविंद पांडे को न सिर्फ पद से हटाया था, बल्कि विजिलेंस विभाग को उनके खिलाफ जांच के आदेश भी दिए थे. हैरानी की बात ये है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के आदेश के एक हफ्ते बाद भी शासन स्तर से विजिलेंस विभाग को अरविंद पांडे के खिलाफ जांच के लिए आदेश नहीं मिले हैं. ये स्थिति तब है जब शासन से विजिलेंस विभाग के दफ्तर की दूरी मात्र तीन किमी है.
बता दें कि शासन स्तर से अरविंद पांडे को ADM प्रशासन से हटाने के आदेश जारी कर दिए गये हैं. इससे पता चलता है कि शासन स्तर पर बैठे अधिकारी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की जीरो टॉलरेंस नीतियों को आगे बढ़ाने के बजाए उन पर दाग लगाने की कोशिश कर रहे हैं. वैसे बता दें कि अरविंद पांडे उत्तराखंड में दबदबा रखने वाले प्रशासनिक अधिकारी के रूप में माने जाते हैं. यही कारण रहा कि उनका उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से एक बार भी तबादला नहीं हो सका या यूं कहें कि उन्होंने अपना तबादला अपने प्रभाव से कई बार रुकवा लिया. ऐसे में उनकी कार्यप्रणाली को लेकर लगातार मिल रही शिकायतों के मद्देनजर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने बीते दिनों उन पर कार्रवाई करते हुए विजिलेंस जांच के आदेश दिए थे.