देहरादून: प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत विधानसभा को माना जाता है, जहां पर राज्य की सभी 70 विधानसभा सीटों से चुनकर आए विधायक अपने क्षेत्र के साथ साथ प्रदेश के अहम विषयों पर चर्चा करते हैं. विधानसभा सदन की यह परंपरा रही है कि यहां पर कही जाने वाली बात का बेहद महत्व होता है और सदन में कही जाने वाली बात को रिकॉर्ड में रखा जाता है, जो कि संविधान की तरह एक महत्वपूर्ण अभिलेख होते हैं. जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी अपनी भूमिका बना रही है, उसे देखते हुए विधानसभा में भी सदन के सदस्यों द्वारा कही गई तमाम महत्वपूर्ण बातों को वीडियो फॉर्मेट में संजोकर रखने की कवायद शुरू की जा रही है. जिसको लेकर विधानसभा आईटी समिति के सभापति विधायक उमेश शर्मा काऊ ने जानकारी दी है.
विधानसभा सूचना प्रौद्योगिकी समिति के सभापति और विधायक उमेश शर्मा काऊ ने जानकारी दी कि मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस को मूर्त रूप देने के मकसद से प्रदेश में सूचना प्रौद्योगिकी के क्रियान्वयन के प्रभावी अनुश्रवण, नई संभावनाओं पर नीति के विषयक विचार विमर्श और अनुषांगिक विषयों पर उत्तराखंड विधानसभा द्वारा 13 जून 2017 को पहली बार सूचना प्रौद्योगिकी समिति का गठन किया गया था. उन्होंने बताया कि भाजपा की सरकार 2017 से 2022 एक समिति का कार्यकाल रहा, तो वहीं भाजपा की लगातार दूसरी सरकार यानी धामी सरकार में एक बार फिर से विधानसभा की आईटी समिति का गठन हुआ है.
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उमेश शर्मा काऊ ने बताया कि जिस तरह से आज हर क्षेत्र में IT का प्रभाव बढ़ रहा है, निश्चित तौर से विधानसभा सचिवालय की तमाम कार्रवाई हो या फिर विधानसभा सत्र के दौरान सदन में आने वाले आईटी से जुड़े तमाम विषय इनको लेकर विधानसभा द्वारा गठित की गई सूचना प्रौद्योगिकी समिति का बेहद महत्वपूर्ण योगदान रहने वाला है. जिसको लेकर लगातार विधानसभा सचिवालय में काम किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि जल्द ही विधानसभा एक ऐसा पोर्टल शुरू करने जा रहा है, जिस पर विधानसभा में दिए जाने वाले वक्तव्य को वीडियो फॉर्मेट में रखा जाएगा. अभी इस पर काम चल रहा है. निकट भविष्य में ऐसा संभव होगा कि विधानसभा सत्र के दौरान सदन में किसी भी सदस्य द्वारा अगर कोई अभिभाषण या फिर किसी सवाल का जवाब दिया जाता है, तो उसे कभी भी और कहीं भी देखा जा सकता है.
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