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मधुशाला बंद होने से रुके बाल शोषण के मामले, ऊषा नेगी EXCLUSIVE

देहरादून में उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने ईटीवी भारत से कई सामाजिक विषयों पर चर्चा की. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार से महत्वपूर्ण कार्यालयों को सीमित समय के लिए खोलने की अपील की गई है.

Usha Negi
उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने ईटीवी भारत से की खास बातचीत.
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Published : Apr 24, 2020, 3:14 PM IST

Updated : Apr 24, 2020, 3:59 PM IST

देहरादून: प्रदेश में जारी लॉकडाउन में सभी दुकानें और बाजार निर्धारित समय के बाद पूरी तरह बंद हैं. लॉकडाउन के चलते महिला आयोग, मानव अधिकार और बाल अधिकार संरक्षण आयोग भी पूरी तरह बंद हैं. इन महत्वपूर्ण कार्यालयों के बंद होने के कारण कई लोग अपनी शिकायतों को जिम्मेदार महकमों तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं

उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने ईटीवी भारत से की खास बातचीत.

ईटीवी भारत ने उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी से विभिन्न सामाजिक विषयों पर विशेष बात की. ऊषा नेगी ने कहा कि राज्य सरकार से महत्वपूर्ण कार्यालयों को सीमित समय के लिए खोलने की अपील की है, जिससे जरूरतमंदों की शिकायतों का तुरंत निवारण किया जा सके.

पढ़ें: लॉकडाउन: दवा की कमी नहीं, बढ़ी डिमांड के बीच मेडिकल स्टोर्स पर पूरा स्टॉक

उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान अब तक बच्चों के शोषण से जुड़ा कोई गंभीर मामला आयोग के सामने नहीं आया है. उन्होंने कहा कि इसके पीछे शराब की दुकानों का बंद होना मुख्य कारण हो सकता है. शराब के सेवन के चलते अक्सर इस तरह के मामले सामने आते हैं.

अध्यक्ष ऊषा नेगी ने लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद होने के कारण बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहे असर को लेकर भी चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान बच्चों को दी जा रही ऑनलाइन क्लासेज एक बेहतर विकल्प है.

उन्होंने कहा कि ऑनलाइन क्लासेज के जरिए सिर्फ किताबी ज्ञान देना सही नहीं है. बच्चों को भारतीय इतिहास की जानकारी देने के साथ ही प्रैक्टिकल टास्क भी दिए जाने चाहिए. जिससे बच्चों का बेहतर मानसिक विकास हो सके.

देहरादून: प्रदेश में जारी लॉकडाउन में सभी दुकानें और बाजार निर्धारित समय के बाद पूरी तरह बंद हैं. लॉकडाउन के चलते महिला आयोग, मानव अधिकार और बाल अधिकार संरक्षण आयोग भी पूरी तरह बंद हैं. इन महत्वपूर्ण कार्यालयों के बंद होने के कारण कई लोग अपनी शिकायतों को जिम्मेदार महकमों तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं

उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने ईटीवी भारत से की खास बातचीत.

ईटीवी भारत ने उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी से विभिन्न सामाजिक विषयों पर विशेष बात की. ऊषा नेगी ने कहा कि राज्य सरकार से महत्वपूर्ण कार्यालयों को सीमित समय के लिए खोलने की अपील की है, जिससे जरूरतमंदों की शिकायतों का तुरंत निवारण किया जा सके.

पढ़ें: लॉकडाउन: दवा की कमी नहीं, बढ़ी डिमांड के बीच मेडिकल स्टोर्स पर पूरा स्टॉक

उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान अब तक बच्चों के शोषण से जुड़ा कोई गंभीर मामला आयोग के सामने नहीं आया है. उन्होंने कहा कि इसके पीछे शराब की दुकानों का बंद होना मुख्य कारण हो सकता है. शराब के सेवन के चलते अक्सर इस तरह के मामले सामने आते हैं.

अध्यक्ष ऊषा नेगी ने लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद होने के कारण बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहे असर को लेकर भी चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान बच्चों को दी जा रही ऑनलाइन क्लासेज एक बेहतर विकल्प है.

उन्होंने कहा कि ऑनलाइन क्लासेज के जरिए सिर्फ किताबी ज्ञान देना सही नहीं है. बच्चों को भारतीय इतिहास की जानकारी देने के साथ ही प्रैक्टिकल टास्क भी दिए जाने चाहिए. जिससे बच्चों का बेहतर मानसिक विकास हो सके.

Last Updated : Apr 24, 2020, 3:59 PM IST
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