देहरादूनः उत्तराखंड को यहां के पर्यटक, धार्मिक स्थल और खूबसूरत वादियों से पहचाना जाता है. यही कारण है कि 20 सालों में जितनी भी सरकारें आयीं हैं उन्होंने सिर्फ और सिर्फ पर्यटन और यहां की खूबसूरत वादियों से ही लोगों को राज्य में आमंत्रित किया है. इतना ही नहीं उत्तराखंड के लाखों परिवार यहां के पर्यटन से अपनी आजीविका चला रहे हैं. अगर सीधी बात करें तो मात्र एक पर्यटन विभाग ही ऐसा विभाग है, जो राज्य की आर्थिक गतिविधियों में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सरकारी आंकड़ों में यह विभाग हमेशा से सरकार की आर्थिक उपेक्षाओं का शिकार रहा है. आप यकीन नहीं करेंगे कि राज्य सरकारें पर्यटन विभाग को बजट के नाम पर सिर्फ उतना ही देती रही हैं, जितना ऊंट के मुंह में जीरा!
आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2018-19 में राज्य का कुल घरेलू सकल उत्पाद 2,18,645 करोड़ रुपये था. जिसमें से सिर्फ पर्यटन विभाग की हिस्सेदारी 32,710 करोड़ रुपये थी. जो कुल घरेलू सकल उत्पाद का 14.96 फीसदी है. लेकिन वित्तीय वर्ष 2019-20 में राज्य सरकार ने राज्य के कुल आय-व्ययक का मात्र 0.60 फीसदी हिस्सा ही पर्यटन विभाग को आय-व्यय के लिए दिया था.
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वहीं, वित्तीय वर्ष 2020-21 में कुल 53526.97 करोड़ रुपये आय- व्यय अनुमानित हैं. जिसमें से पर्यटन विभाग को आय व्यय में 285.45 करोड़ का प्रावधान किया गया है. जो कि पिछले वित्तीय वर्ष 2019-20 की तुलना में कम है. यानी कुल मिलाकर देखें तो पर्यटन विभाग घरेलू सकल उत्पाद में अपनी एक बड़ी हिस्सेदारी निभा रहा है. बावजूद इसके बजट के नाम पर एक परसेंट से भी कम बजट पर्यटन विभाग को मिल रहा है.
वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने बताते हैं कि उत्तराखंड एक हिमालयी राज्य है. जिसका 84.6 फीसदी हिस्सा पहाड़ी है, बाकी 15.4 फीसदी हिस्सा मैदानी है. प्रदेश में करीब 13 फीसद हिस्से में कृषि होती है. हालांकि, उत्तराखंड आज की खूबसूरत वादियों को देखते राज्य सरकार तमाम दावे तो जरूर करती है कि पर्यटन राज्य बनाया जाएगा, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही रहती है.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से दावे तो जरूर कर दिए जाते हैं, लेकिन इन कामों के लिए बजट नहीं रहता है. हालांकि सस्ती लोकप्रियता के लिए अधिकांश बजट खर्च हो जाता है, लेकिन जिससे राज्य का विकास होना है, उन विभागों पर सरकार ध्यान नहीं देती है.
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वहीं, पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि राज्य के जीडीपी में करीब 15 प्रतिशत का योगदान पर्यटन विभाग का रहता है. ऐसे में जब से जीएसटी लागू हुई है प्रदेश के भीतर सेवा क्षेत्रों को बढ़ाना बेहद जरूरी हो गया है. ऐसे में सेवा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए निवेश की भी आवश्यकता होगी. हालांकि, इन मामलों को लेकर पर्यटन विभाग, वित्त विभाग के सामने अपने प्रस्ताव को रखता रहा है. साथ ही सचिव ने बताया कि वर्तमान समय में मुख्य मांग है कि भारत सरकार की जो महत्वपूर्ण योजना है, उसके तहत ही इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा किया जा रहा है.
सचिव ने बताया कि जो स्टेट जैकेट योजनाएं होती हैं, जिसके गाइडलाइन बहुत सारे कार्यों को करने में प्रतिबंधित करती हैं. ऐसे में स्थानीय स्तर पर योजनाओं को शुरू करना होगा और इसे करने के लिए राज्य सरकार से बड़ी मात्रा में बजट की आवश्यकता होगी. इतना ही नहीं राज्य सरकार से बजट आना और बजट खर्च करने के लिए पर्यटन विभाग की क्षमता को भी विकसित करने की आवश्यकता है. लिहाजा, पर्यटन विभाग वर्तमान समय में इन दोनों विषयों पर कार्य कर रहा है. तभी पर्यटन विभाग को बढ़ावा मिलेगा और यात्रियों को बेहतर सुविधा उपलब्ध करा पाएंगे.