देहरादून: उत्तराखंड अपनी विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते सीमित संसाधनों में सिमटा हुआ है. जिसके कारण सरकार लगातार नये-नये प्रयोग करती रहती है. इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए सरकार ने प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में हर्बल पौधों की अपार संभावना को देखते हुए इस पर काम करना शुरू कर दिया है. हालांकि, राज्य सरकार पहले से ही प्रदेश को हर्बल प्रदेश बनाने की कवायद में लगी हुई थी, मगर अब केंद्र सरकार के आर्थिक पैकेज के बाद इसकी उम्मीद और बढ़ गई है. राज्य में हर्बल खेती से किसानों को न सिर्फ बड़ा फायदा होगा, बल्कि हर्बल प्रदेश के रूप में भी उत्तराखंड की भी अलग पहचान बनेगी.
कोरोना महामारी से निपटने और जनता को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की है. इसके तहत देशभर में हर्बल पौधों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 4,000 करोड़ रुपए दिये गये हैं. जिससे देश देश के तमाम हिस्सों में लगभग 10 लाख हेक्टेयर में हर्बल प्रोडक्ट की खेती की जाएगी. केंद्र के इस एलान के बाद प्रदेश के किसानों को 5,000 करोड़ रुपये की आय होगी.
उत्तराखंड में हर्बल खेती की अपार संभावनाएं
गौर हो कि पहाड़ी क्षेत्रों में पाए जाने वाले हर्बल पौधों की डिमांड विश्व भर में है. ऐसे में अगर उत्तराखंड राज्य की बात की जाए तो उत्तराखंड के 3 जिलों को छोड़ बाकी 10 जिले पर्वतीय हैं. ऐसे में उत्तराखंड में हर्बल खेती की अपार संभावनाएं हैं. लिहाजा राज्य सरकार इसमें कोई कोर कसर न छोड़ते हुए अब प्रदेश के किसानों को हर्बल खेती के लिए तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराने की बात कह रही है. जिससे किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को भी पूरा किया जा सकेगा.
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जंगली जानवरों से मिलेगी निजात
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में की जाने वाली सामान्य खेती को जंगली जानवर खासा नुकसान पहुंचाते हैं. जिसके कारण किसानों को मोह खेती से भंग हो रहा है. वहीं अगर प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में हर्बल खेती की जाती है तो इससे किसानों को जंगली जानवरों से भी निजात मिल सकेगी. इसके अलावा इससे किसानों की आय को भी दोगुना किया जा सकेगा.
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गंगा किनारे 800 हेक्टेयर भूमि पर की जाएगी हर्बल की खेती
राहत पैकेज का एलान करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि गंगा किनारे 800 हेक्टेयर भूमि पर हर्बल खेती की जाएगी. इसके लिए उन्होंने कोरिडोर बनाने की बात कही. अगर यह काम मुख्य रूप से उत्तराखंड राज्य के पक्ष में आता है, तो उत्तराखंड के किसानों के लिए वह दिन दूर नहीं जब उनके ख्वाब पूरे हो सकेंगे. गंगा का उद्गम स्थल उत्तराखंड ही है ऐसे में उत्तराखंड से बहने वाली गंगा किनारे तमाम जगह हैं जहां हर्बल प्रोडक्ट की खेती की जा सकती है.
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जलवायु समेत बाजार की उपलब्धता पर ध्यान देने की जरूरत
पहाड़ी क्षेत्रों के जानकार भागीरथ शर्मा ने बताया कि केंद्र सरकार का ये निर्णय राज्य के लिए बेहतर साबित हो सकता है. उन्होंने कहा इसके लिए कुछ जरुरी बिंदुओं पर ध्यान देने की जरुरत है. उन्होंने कहा उत्तराखंड राज्य में हर्बल खेती की अपार संभावना है. इसके लिए जलवायु समेत बाजार की उपलब्धता पर ध्यान देने की जरूरत है.
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चकबंदी पर फोकस करने की है जरूरत
भागीरथ शर्मा का मानना है कि उत्तराखंड में चकबंदी न होने के चलते किसानों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. किसानों को खेती करने के लिए एक जगह से दूसरी जगह जाने में अधिक समय लग जाता है. जिसके चलते वे सही ढंग से खेती नहीं कर पाते हैं. उन्होंने कहा अगर उत्तराखंड का सरकार हर्बल खेती पर जोर देते हुए हर्बल प्रदेश की ओर कदम बढ़ा रही है तो सरकार को चाहिए कि वह चकबंदी को अपने मुख्य एजेंडे में शामिल करें, ताकि किसान सही ढंग से और आसानी से खेती कर सके.
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हर्बल प्रदेश के रूप में आगे बढ़ेगा उत्तराखंड
वहीं, केंद्र के राहत पैकेज के एलान के बाद कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि वित्त मंत्री ने मुख्य रूप से हर्बल खेती के लिए गंगा किनारे कॉरिडोर बनाने की बात कही है, जोकि उत्तराखंड के लिए अच्छी बात है, क्योंकि गंगा का उद्गम स्थान उत्तराखंड ही है. उन्होंने कहा केंद्र सरकार हर्बल खेती के लिए जो गाइडलाइन जारी करेगी, उसके तहत काम किया जाएगा.