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Chardham Yatra 2023: देश के चार बड़े मंदिरों की व्यवस्था का अध्ययन करेगी टीम, ये है मकसद

तिरुपति बालाजी, वैष्णो देवी मंदिर, सोमनाथ मंदिर और महाकालेश्वर मंदिर के संचालन को जानने के लिए उत्तराखंड की टीम भेजी गई है. जिससे इन मंदिरों के सफल संचालन के तरीके को उत्तराखंड में भी अपनाया जा सके. इसकी वजह उत्तराखंड में मंदिरों की व्यवस्थाओं को बनाए रखना और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ है. देश के इन चार मंदिरों की व्यवस्था काफी अच्छी है. इसलिए उत्तराखंड की टीम इन मंदिरों की व्यवस्था संचालन का अध्ययन करेगी.

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Published : Feb 13, 2023, 10:04 AM IST

Updated : Feb 13, 2023, 2:28 PM IST

देश के चार बड़े मंदिरों की व्यवस्था का अध्ययन करेगी टीम

देहरादून: उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है. यहां देश भर से लोग देवालय और शिवालयों को देखने को पहुंचते हैं, जिनकी आय भी काफी ज्यादा है. आय को देखते हुए त्रिवेंद्र सरकार ने देवास्थानम बोर्ड बनाया था, जिसका तीर्थ पुरोहितों ने पुरजोर विरोध किया था. जिसके बाद तीरथ सरकार ने देवस्थानम बोर्ड को भंग किया था. लेकिन इस बार फिर देवस्थानम बोर्ड की तर्ज पर मठ मंदिरों का अध्ययन किया जा रहा रहा है. जिसके पीछे की वजह मंदिरों की व्यवस्था को सुदृढ़ करना बताई जा रही है. क्योंकि चारधाम यात्रा पर हर साल श्रद्धालुओं की भीड़ देखी जा रही है. जिसके बाद ये फैसला लिया गया है.

देवस्थानम बोर्ड का तीर्थ पुरोहितों ने किया था विरोध: गौर हो कि उत्तराखंड में विवादों में रहे देवस्थानम बोर्ड की तर्ज पर एक बार फिर से देश के अन्य मठ मंदिरों का अध्ययन किया जा रहा रहा है. हालांकि इस बार तरीका अलग है. उत्तराखंड के 51 मंदिरों को एक रेगुलेटरी बॉडी के तहत रखकर मंदिरों के सुव्यवस्थित संचालन और मंदिरों में आने वाले चढ़ावे का प्रदेश के हित में लाभ हो, उसको लेकर देवस्थानम बोर्ड की कवायद शुरू की गई थी. त्रिवेंद्र सरकार में लाए गए देवस्थानम बोर्ड को लेकर इतना विवाद हुआ कि चारों धामों के पंडे पुरोहितों ने जमकर देवस्थानम बोर्ड का विरोध करते हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी तक को हिला डाला था.
पढ़ें-Kedarnath Yatra: पिछली यात्रा से सबक लेकर तैयारियों में जुटा प्रशासन, स्वास्थ्य सुविधाओं को करेगा दुरुस्त

बदलना पड़ा सरकार को फैसला: आखिरकार जब मुख्यमंत्री बदले तो अगले मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सबसे पहले इस देवस्थानम बोर्ड को भंग किया और चारधाम यात्रा के दौरान मंदिर संचालन के लिए एक बार फिर से बदरीनाथ और केदारनाथ धाम में बदरी केदार समिति और गंगोत्री यमुनोत्री में पूर्ववर्ती व्यवस्था के तहत व्यवस्थाएं बहाल की गई. त्रिवेंद्र सरकार में लाए गए देवस्थानम बोर्ड की भी मूल अवधारणा यही थी कि पारंपरिक तौर तरीके से चले आ रहे मंदिरों के संचालन को व्यवस्थित किया जाए. जिसके लिए देश के सभी बड़े मठ मंदिरों का अध्ययन किया गया था और एक श्राइन बोर्ड के तहत उत्तराखंड के चारों धाम के संचालन के तहत देवस्थानम बोर्ड को लाया गया था. लेकिन तीर्थ पुरोहितों के विरोध के आगे सरकार को झुकना पड़ा.

मठ मंदिरों का होगा अध्ययन: एक बार फिर से चारधाम यात्रा से ठीक पहले बदरी केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बदरी केदार मंदिर समिति के तहत आने वाले सभी मंदिरों के संचालन को सुव्यवस्थित करने के लिए देश के सभी मठ मंदिरों में अपनी टीम भेजी है. इन मंदिरों में किए जा रहे सफल संचालन की तर्ज पर उत्तराखंड में आगामी सीजन में होने वाली चारधाम यात्रा के दौरान सभी मंदिरों का संचालन किया जाएगा. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए अजेंद्र अजय ने बताया कि मंदिर समिति की 4 टीमों को इसके देश के चार प्रतिष्ठित धार्मिक स्थलों तिरुपति बालाजी, वैष्णो देवी मंदिर, सोमनाथ मंदिर और महाकालेश्वर मंदिर में मंदिर संचालन और तमाम व्यवस्थाओं पर अध्ययन के लिए भेजा जा रहा है. जिसमें हर धाम पर स्कॉलर को भी इस टीम के साथ भेजा जा रहा है. जोकि इन तमाम प्रतिष्ठित धार्मिक स्थलों पर दर्शन, मंदिर संचालन सहित तीर्थ यात्रियों के मैनेजमेंट को लेकर अध्ययन करेगी और अपनी रिपोर्ट बदरी केदार मंदिर समिति के बोर्ड को देगी. इस रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद कुछ बेहतर विकल्पों को चारधाम यात्रा की सुचारू व्यवस्था बनाने के लिए लिया जाएगा.
पढ़ें-Chardham Temple: इस मंदिर के दर्शन से मिलता है चारधाम यात्रा का पुण्य, 400 साल पुरानी है कहानी

क्यों पड़ रही अध्ययन की जरूरत: बदरी केदार समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि पिछली बार चारधाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे. इस बार भी चारधाम यात्रा को लेकर अभी से ही श्रद्धालुओं का उत्साह देखने को मिल रहा है. अजेंद्र अजय का कहना है कि व्यवस्थाओं को सुचारू और अपडेट बनाने के लिए हमें कुछ बेहतर विकल्प अपनाने होते हैं और यह हर व्यवस्था पर लागू होती है. लिहाजा जिस तरह से लगातार चारधाम यात्रा पर हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु बढ़ रहे हैं, जिसे देखते हुए मंदिर समिति को लगता है कि उन्हें देश के उन बड़े प्रतिष्ठित धार्मिक स्थलों को देखना होगा और उनसे सीखना होगा, जहां पर सफल संचालन किया जाता रहा है. साथ ही मंदिर समिति में चढ़ावा, वीआईपी दर्शन और अन्य पहलुओं पर भी इन बड़े प्रतिष्ठित धार्मिक स्थलों से हमें सीखने की जरूरत है.

जोशीमठ आपदा का यात्रा पर कितना असर: आगामी चारधाम यात्रा पर जोशीमठ आपदा का कितना असर पड़ेगा, इस बात को लेकर भी बदरी केदार मंदिर समिति पूरी तरह से अपनी तैयारी कर रही है. मंदिर समिति के अंतर्गत आने वाला नरसिंह मंदिर भी जोशीमठ में स्थित है. अजय का कहना है कि जोशीमठ के हालातों पर मंदिर समिति पूरी निगरानी कर रही है. साथ ही उन्होंने कहा कि जोशीमठ पूरी तरह से सुरक्षित है. आने वाले श्रद्धालुओं को उन्होंने संदेश दिया है कि जोशीमठ का केवल एक हिस्सा दरारों से ग्रसित है, जिसे खाली करवा दिया गया है. इसके अलावा जोशीमठ में यात्रियों को रोकने के लिए होटल इत्यादि तमाम व्यवस्थाएं मौजूद हैं और यह पूर्व की तरह संचालित रहेंगे. बात राष्ट्रीय राजमार्ग में होने वाले भू-धंसाव की है तो उसे लगातार कार्यदायी संस्थाओं द्वारा सही किया जा रहा है और यात्रा में किसी भी तरह का व्यवधान नहीं होगा.

जानिए कब खुल रहे मंदिरों के कपाट: आगामी यात्रा सीजन के बारे में जानकारी देते हुए मंदिर समिति के अध्यक्ष ने बताया कि आने वाला यात्रा सीजन इस बार उत्तराखंड के लिए काफी उम्मीदों भरा होने वाला है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह भी है कि इस बार यात्रा की शुरुआत विगत वर्षों की तुलना में जल्दी रही है. अजेंद्र अजय ने बताया कि 22 अप्रैल अक्षय तृतीया के दिन गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने जा रहे हैं. इसके अलावा 27 अप्रैल को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तय हो चुकी है तो इसके अलावा केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि 18 फरवरी को होने वाली शिवरात्रि के दिन तय हो जाएगी. इस तरह से इस बार के यात्रा सीजन की तारीखें जल्द ही तय हो जाएंगी तो वहीं यात्रा सीजन को ले कर भी तैयारियां पूरे जोरों शोरों पर हैं.

देश के चार बड़े मंदिरों की व्यवस्था का अध्ययन करेगी टीम

देहरादून: उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है. यहां देश भर से लोग देवालय और शिवालयों को देखने को पहुंचते हैं, जिनकी आय भी काफी ज्यादा है. आय को देखते हुए त्रिवेंद्र सरकार ने देवास्थानम बोर्ड बनाया था, जिसका तीर्थ पुरोहितों ने पुरजोर विरोध किया था. जिसके बाद तीरथ सरकार ने देवस्थानम बोर्ड को भंग किया था. लेकिन इस बार फिर देवस्थानम बोर्ड की तर्ज पर मठ मंदिरों का अध्ययन किया जा रहा रहा है. जिसके पीछे की वजह मंदिरों की व्यवस्था को सुदृढ़ करना बताई जा रही है. क्योंकि चारधाम यात्रा पर हर साल श्रद्धालुओं की भीड़ देखी जा रही है. जिसके बाद ये फैसला लिया गया है.

देवस्थानम बोर्ड का तीर्थ पुरोहितों ने किया था विरोध: गौर हो कि उत्तराखंड में विवादों में रहे देवस्थानम बोर्ड की तर्ज पर एक बार फिर से देश के अन्य मठ मंदिरों का अध्ययन किया जा रहा रहा है. हालांकि इस बार तरीका अलग है. उत्तराखंड के 51 मंदिरों को एक रेगुलेटरी बॉडी के तहत रखकर मंदिरों के सुव्यवस्थित संचालन और मंदिरों में आने वाले चढ़ावे का प्रदेश के हित में लाभ हो, उसको लेकर देवस्थानम बोर्ड की कवायद शुरू की गई थी. त्रिवेंद्र सरकार में लाए गए देवस्थानम बोर्ड को लेकर इतना विवाद हुआ कि चारों धामों के पंडे पुरोहितों ने जमकर देवस्थानम बोर्ड का विरोध करते हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी तक को हिला डाला था.
पढ़ें-Kedarnath Yatra: पिछली यात्रा से सबक लेकर तैयारियों में जुटा प्रशासन, स्वास्थ्य सुविधाओं को करेगा दुरुस्त

बदलना पड़ा सरकार को फैसला: आखिरकार जब मुख्यमंत्री बदले तो अगले मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सबसे पहले इस देवस्थानम बोर्ड को भंग किया और चारधाम यात्रा के दौरान मंदिर संचालन के लिए एक बार फिर से बदरीनाथ और केदारनाथ धाम में बदरी केदार समिति और गंगोत्री यमुनोत्री में पूर्ववर्ती व्यवस्था के तहत व्यवस्थाएं बहाल की गई. त्रिवेंद्र सरकार में लाए गए देवस्थानम बोर्ड की भी मूल अवधारणा यही थी कि पारंपरिक तौर तरीके से चले आ रहे मंदिरों के संचालन को व्यवस्थित किया जाए. जिसके लिए देश के सभी बड़े मठ मंदिरों का अध्ययन किया गया था और एक श्राइन बोर्ड के तहत उत्तराखंड के चारों धाम के संचालन के तहत देवस्थानम बोर्ड को लाया गया था. लेकिन तीर्थ पुरोहितों के विरोध के आगे सरकार को झुकना पड़ा.

मठ मंदिरों का होगा अध्ययन: एक बार फिर से चारधाम यात्रा से ठीक पहले बदरी केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बदरी केदार मंदिर समिति के तहत आने वाले सभी मंदिरों के संचालन को सुव्यवस्थित करने के लिए देश के सभी मठ मंदिरों में अपनी टीम भेजी है. इन मंदिरों में किए जा रहे सफल संचालन की तर्ज पर उत्तराखंड में आगामी सीजन में होने वाली चारधाम यात्रा के दौरान सभी मंदिरों का संचालन किया जाएगा. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए अजेंद्र अजय ने बताया कि मंदिर समिति की 4 टीमों को इसके देश के चार प्रतिष्ठित धार्मिक स्थलों तिरुपति बालाजी, वैष्णो देवी मंदिर, सोमनाथ मंदिर और महाकालेश्वर मंदिर में मंदिर संचालन और तमाम व्यवस्थाओं पर अध्ययन के लिए भेजा जा रहा है. जिसमें हर धाम पर स्कॉलर को भी इस टीम के साथ भेजा जा रहा है. जोकि इन तमाम प्रतिष्ठित धार्मिक स्थलों पर दर्शन, मंदिर संचालन सहित तीर्थ यात्रियों के मैनेजमेंट को लेकर अध्ययन करेगी और अपनी रिपोर्ट बदरी केदार मंदिर समिति के बोर्ड को देगी. इस रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद कुछ बेहतर विकल्पों को चारधाम यात्रा की सुचारू व्यवस्था बनाने के लिए लिया जाएगा.
पढ़ें-Chardham Temple: इस मंदिर के दर्शन से मिलता है चारधाम यात्रा का पुण्य, 400 साल पुरानी है कहानी

क्यों पड़ रही अध्ययन की जरूरत: बदरी केदार समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि पिछली बार चारधाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे. इस बार भी चारधाम यात्रा को लेकर अभी से ही श्रद्धालुओं का उत्साह देखने को मिल रहा है. अजेंद्र अजय का कहना है कि व्यवस्थाओं को सुचारू और अपडेट बनाने के लिए हमें कुछ बेहतर विकल्प अपनाने होते हैं और यह हर व्यवस्था पर लागू होती है. लिहाजा जिस तरह से लगातार चारधाम यात्रा पर हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु बढ़ रहे हैं, जिसे देखते हुए मंदिर समिति को लगता है कि उन्हें देश के उन बड़े प्रतिष्ठित धार्मिक स्थलों को देखना होगा और उनसे सीखना होगा, जहां पर सफल संचालन किया जाता रहा है. साथ ही मंदिर समिति में चढ़ावा, वीआईपी दर्शन और अन्य पहलुओं पर भी इन बड़े प्रतिष्ठित धार्मिक स्थलों से हमें सीखने की जरूरत है.

जोशीमठ आपदा का यात्रा पर कितना असर: आगामी चारधाम यात्रा पर जोशीमठ आपदा का कितना असर पड़ेगा, इस बात को लेकर भी बदरी केदार मंदिर समिति पूरी तरह से अपनी तैयारी कर रही है. मंदिर समिति के अंतर्गत आने वाला नरसिंह मंदिर भी जोशीमठ में स्थित है. अजय का कहना है कि जोशीमठ के हालातों पर मंदिर समिति पूरी निगरानी कर रही है. साथ ही उन्होंने कहा कि जोशीमठ पूरी तरह से सुरक्षित है. आने वाले श्रद्धालुओं को उन्होंने संदेश दिया है कि जोशीमठ का केवल एक हिस्सा दरारों से ग्रसित है, जिसे खाली करवा दिया गया है. इसके अलावा जोशीमठ में यात्रियों को रोकने के लिए होटल इत्यादि तमाम व्यवस्थाएं मौजूद हैं और यह पूर्व की तरह संचालित रहेंगे. बात राष्ट्रीय राजमार्ग में होने वाले भू-धंसाव की है तो उसे लगातार कार्यदायी संस्थाओं द्वारा सही किया जा रहा है और यात्रा में किसी भी तरह का व्यवधान नहीं होगा.

जानिए कब खुल रहे मंदिरों के कपाट: आगामी यात्रा सीजन के बारे में जानकारी देते हुए मंदिर समिति के अध्यक्ष ने बताया कि आने वाला यात्रा सीजन इस बार उत्तराखंड के लिए काफी उम्मीदों भरा होने वाला है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह भी है कि इस बार यात्रा की शुरुआत विगत वर्षों की तुलना में जल्दी रही है. अजेंद्र अजय ने बताया कि 22 अप्रैल अक्षय तृतीया के दिन गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने जा रहे हैं. इसके अलावा 27 अप्रैल को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तय हो चुकी है तो इसके अलावा केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि 18 फरवरी को होने वाली शिवरात्रि के दिन तय हो जाएगी. इस तरह से इस बार के यात्रा सीजन की तारीखें जल्द ही तय हो जाएंगी तो वहीं यात्रा सीजन को ले कर भी तैयारियां पूरे जोरों शोरों पर हैं.

Last Updated : Feb 13, 2023, 2:28 PM IST
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