देहरादून: ड्रग्स तस्करी को लेकर उत्तराखंड एसटीएफ ने अल्मोड़ा जेल में छापेमारी की, साथ ही अपराधियों के जेल से संचालित होने वाले 6 ठिकानों पर भी छापेमारी की गई है. इस दौरान अलग-अलग जगहों से पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है. एसटीएफ की टीम ने अल्मोड़ा, कोटद्वार, बडोवाला, ऋषिकेश, बरेली, शाहजहांपुर सहित विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की है. इस दौरान लाखों का ड्रग्स भी बरामद किया गया है. टीम ने अभी तक लाखों रुपये, नारकोटिक्स (ड्रग्स) के साथ गैंग के लिए ऑनलाइन ट्रांसक्शन से पैसे इकट्ठा करके जेल में देने वाला शख्स भी पौड़ी से गिरफ्तार किया है.
उत्तराखंड की जेलों से ड्रग्स तस्करी का काला कारोबार चल रहा है. इस पर शिकंजा कसने के मकसद से उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने बड़ी कार्रवाई की है. एसटीएफ ने जेलों से चलने वाले नारकोटिक्स गैंग का खुलासा किया है. इसी कड़ी में इस बार फिर से अल्मोड़ा जेल में छापेमारी की गई. यहां हत्याकांड मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कुख्यात महिपाल और अंकित बिष्ट से नशा तस्करी के कई राज का खुलासा हुआ है.
अल्मोड़ा जेल से मिला प्रतिबंधित सामान: सर्च ऑपरेशन में जेल के अंदर से मोबाइल, ईयरफोन और सिम कार्ड सहित कई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स बरामद किए गए हैं. इस दौरान एक आरोपी में टॉयलेट में अपना मोबाइल फेंक दिया. एसटीएफ के मुताबिक उस फोन में कई ड्रग तस्करों के नंबर और अन्य जानकारियां थीं.
इतना ही नहीं, जेल के अंदर कुख्यात अपराधियों के गैंग द्वारा नशा उपलब्ध कराने वाले 6 ठिकानों पर भी एसटीएफ ने छापेमारी कर करीब आधा दर्जन से अधिक तस्करों को गिरफ्तार कर लिया है. अभी तक की कार्रवाई में लाखों रुपए के ड्रग्स बरामद किये गए हैं.
बातचीत के लिए ऑनलाइन पेमेंट: एसटीएफ के मुताबिक जांच में यह भी पता चला कि जेल में अन्य अपराधी बंदियों की परिजनों से फोन पर बातचीत कराकर ऑनलाइन पैसा वसूलते हैं. एसटीएफ को बंदियों के परिजनों से ऑनलाइन पेमेंट ट्रांसजेक्शन के सबूत मिले हैं. ऐसे ही एक शख्स जो काशीपुर निवासी है, उसे एसटीएफ पूछताछ कर रही है.
गिरफ्तार आरोपी:-
- दीपक तिवारी उर्फ दीपू पुत्र डीसी तिवारी, निवासी कालिका कॉलोनी, खटघरिया लोहारिया, हल्द्वानी.
- संतोष रावत उर्फ संतु पुत्र लक्ष्मण निवासी बड़ोवाला आरकेडिया ग्रांट, देहरादून.
- भास्कर नेगी पुत्र सदर सिंह नेगी निवासी लिंबचोड़, कोटद्वार, पौड़ी गढ़वाल.
- संतोष पत्नी स्वर्गीय राजेश निवासी गोविंद नगर ऋषिकेश, देहरादून.
- मनीष बिष्ट उर्फ मन्नी पुत्र धन सिंह बिष्ट, निवासी बछुवावण मल्ला, गैरसैंण, चमोली.
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अल्मोड़ा जेल सहित राज्य के अन्य कारागारों में नशे का कारोबार चलाने वाले गिरोह पौड़ी गढ़वाल, कोटद्वार, देहरादून, ऋषिकेश सहित उत्तर प्रदेश के बरेली और शाहजहांपुर में छापेमारी और धरपकड़ की कार्रवाई चल रही है. इसके साथ ही राज्य की जेलों में नशा उपलब्ध कराने का खुलासा होने के बाद नेटवर्क के अलग-अलग गिरोह के विभिन्न स्थानों पर भी एसटीएफ की छापेमारी जारी है.
उत्तराखंड एसटीएफ एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि, राज्य की जेलों में मादक पदार्थों की तस्करी करने वाला यह अंतरजनपदीय नेटवर्क लंबे समय से एसटीएफ के रडार पर था. इसी क्रम में अल्मोड़ा जेल में छापेमारी की कार्रवाई कर जेल में बंद कुख्यात महिपाल और अंकित से पूछताछ कर उनके बाहरी नेटवर्क के लोगों की धरपकड़ अभियान चलाया जा रहा है. इस कार्रवाई में उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में एसटीएफ की 7 टीमें कार्रवाई कर रही हैं. एसटीएफ एसएसपी ने बताया कि जेलों में बंद अपराधियों पर लगाम कसने के लिए अंतरराज्ययीय स्तर पर STF की कार्रवाई जारी है.
बता दें कि उत्तराखंड की जेलों में बंद कुख्यात अपराधियों द्वारा जेल के अंदर से आपराधिक गतिविधियों और उनके बाहरी नेटवर्क संचालित करने का खुलासा होने के बाद अभी तक राज्य की जेलों में चार बार छापेमारी की कार्रवाई की जा चुकी है, जिसमें कई बड़े खुलासे हुए हैं. हरिद्वार, पौड़ी, अल्मोड़ा की जेलों में छापेमारी की गई है. अल्मोड़ा जेल में दो बार छापेमारी की गई है, जिसमें आपराधिक गतिविधियों का खुलासा हुआ है.
पौड़ी जेल से भी चल रहा गैंग: पौड़ी जेल में बंद कुख्यात नरेंद्र वाल्मीकि अंदर से ही अपना नेटवर्क चला रहा था. नरेंद्र वाल्मीकि जेल से ही अपने शूटर पंकज को आदेश देता और बाहर पंकज उन वारदातों को अंजाम देता था. बता दें कि बीते दिनों नरेंद्र वाल्मीकि ने जेल से ही पंकज को हरिद्वार के नवविवाहित जोड़े को जान से मारने के लिए 10 लाख रुपए की सुपारी दी थी. हालांकि, एसटीएफ को पहले ही इसकी भनक लग गई थी और सर्तकता के कारण नरेंद्र वाल्मीकि के तीन शूटरों को वारदात से पहले ही पकड़ लिया गया था. एसटीएफ के शिकंजे में आए तीनों आरोपियों के नाम- नीरज पंडित (निवासी हरियाणा), सचिन (निवासी मुजफ्फरनगर) और अंकित (निवासी सहारनपुर) हैं. तीनों के खिलाफ पहले से गैंगस्टर में मामले दर्ज हैं.