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SC और सेबी के फर्जी दस्तावेज के जरिए करोड़ों की भूमि ठिकाने लगाने वाले 3 आरोपी गिरफ्तार

सुप्रीम कोर्ट और सेबी के फर्जी दस्तावेज तैयार कर करोड़ों की भूमि घोटाले का मामला सामने आया है. मामले में उत्तराखंड एसटीएफ ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों ने 160 बीघा जमीन बेच कर 100 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति गबन कर दी. ये जमीन देहरादून, उत्तर प्रदेश, हरियाणा के लोगों को बेची गई है.

uttarakhand stf arrested three accused
फर्जी दस्तावेज से जमीन की खरीद फरोख्त के आरोपी
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Published : Jan 6, 2022, 4:51 PM IST

Updated : Jan 6, 2022, 5:25 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड एसटीएफ ने सुप्रीम कोर्ट और सेबी के फर्जी दस्तावेज तैयार कर सरकारी, गैर सरकारी भूमियों को ठिकाने लगाने वाले गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है. आरोप है कि करीब 100 करोड़ से ज्यादा भूमि की खरीद फरोख्त की गई है.

उत्तराखंड एसटीएफ (Uttarakhand STF) के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर और उत्तराखंड के देहरादून का एक संगठित भू माफिया गिरोह है. जो कि अलग-अलग स्थानों से जमीनों की धोखाधड़ी में जेल जा चुका है. इसी गिरोह ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से सीज की गई जमीन सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों के कर्मचारियों के साथ साठगांठ कर पहले फर्जी दस्तावेज तैयार किए.

जानकारी देते एसटीएफ डिप्टी एसपी जवाहर लाल सिंह.

उसके बाद PGF लिमिटेड वैशाली बिल्डिंग पश्चिम विहार नई दिल्ली की मदद से देहरादून के भाऊवाला, धोरणखास, तरला आमवाला, बडोवाला और मसूरी जैसे स्थानों में हजारों करोड़ की भूमि की अचल संपत्ति को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर एसपीके वर्ल्डकॉम, देहरादून (SPK Worldcom Pvt Ltd) के नाम आवंटित कर दिया. साथ ही उत्तराखंड, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के लोगों को करीब 160 बीघा जमीन बेच कर 100 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति गबन कर दी.

ये भी पढ़ेंः जमरानी क्षेत्र में भूमि खरीद फरोख्त पर रोक, परियोजना में तेजी लाने के लिए अधिकारी का चयन

संजीव और पूजा मलिक ने किया फर्जीवाड़े का खेलः एसटीएफ के मुताबिक इस पूरे भूमि फर्जीवाड़े में जब सेबी (SEBI) से पत्राचार किया गया तो पता चला कि संजीव मलिक और पूजा मलिक ने सेबी और सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित समिति के पत्रों के आधार पर रजिस्ट्री एवं एग्रीमेंट कराए हैं, वो न तो SEBI और न ही सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित समिति ने जारी किए गए हैं. ऐसे में यह पूरा जालसाजी का गोरखधंधा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर किया गया.

दिल्ली से पंजाब तक ठिकाना बदल छिपता रहा मुख्य आरोपी संजीवः मुख्य आरोपी संजीव मलिक को जब एसटीएफ जांच का पता चला तो वो देहरादून से दिल्ली फरार हो गया. इतना ही नहीं वो दिल्ली से लुधियाना और अमृतसर में होटलों में ठहरा. जहां पैसे के दम पर इस फर्जीवाड़े से जुड़े गवाहों को प्रभावित करता रहा. इसके बावजूद एसटीएफ की टीम सूचना के आधार पर लुधियाना के एक होटल में पहुंची.

जहां संजीव को हिरासत में लेकर पूछताछ की गयी तो उसने बताया गया कि सारे फर्जी दस्तावेज देहरादून डिफेंस कॉलोनी वाले घर पर रखे गए हैं. जांच पड़ताल और तमाम सबूतों के आधार पर एसटीएफ टीम ने मुख्य आरोपी समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है.

उत्तराखंड एसटीएफ की गिरफ्त में आरोपी

  • संजीव मलिक पुत्र कमल मलिक, निवासी- ए 95, सेक्टर 2, डिफेंस कॉलोनी देहरादून.
  • शुभम पुत्र ब्रह्मदत्त, निवासी- केहरी गांव, प्रेमनगर, देहरादून.
  • टिंकू सिंह पुत्र प्रकाश सिंह, निवासी- भीम वाला, अकबरपुर पथरी अमरोहा (यूपी).

हाईकोर्ट के आदेश पर देशभर में सीज की गई संपत्ति पर ही सेंधमारीः एसटीएफ के मुताबिक, करोड़ों के इस भूमि घोटाले की जांच पड़ताल में जानकारी सामने आई है कि देहरादून में भाऊवाला, धोरणखास, तरला आमवाला, बड़ोवाला एवं मसूरी की संपत्तियों को एक कंपनी एसपीके कंपनी की डायरेक्टर पूजा मलिक एवं संजीव मलिक ने रिटायर्ड न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के फर्जी हस्ताक्षरित दस्तावेजों के आधार पर कई लोगों को बेच डाले.

ऐसे में इन संपत्तियों के बारे में जांच पड़ताल की गई. जिसमें पता चला कि साल 2015 में सीबीआई की इंवेस्टिगेशन के बाद हाईकोर्ट के आदेशानुसार देशभर के विभिन्न स्थानों पर करोड़ों की अचल संपत्ति जिसमें 348 संपत्ति PGF एवं 14,000 PACL की संपत्ति को 1 अप्रैल 2015 को सीज किया गया था.

ये भी पढ़ेंः Ground Report: भू-माफिया का बेशकीमती जमीन पर कब्जा, सीएम के निर्देश पर एसआईटी गठित

उधर, इस संपत्ति के निस्तारण को लेकर भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड एवं PGF के सदस्य को नामित एक विशेष कमेटी का गठन किया गया. कमेटी के माध्यम से ही भूमि का निस्तारण करने के आदेश कोर्ट से पारित किए गए थे.

भूमि घोटाले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित विशेष कमेटी के बैंक खातों में फर्जी लेनदेन को दिखाकर रजिस्टर की जाती थी. गठित विशेष कमेटी के अपने नाम फर्जी आदेशों को तैयार कर SEBI के फर्जी प्रमाण पत्र के जरिए भूमि पर अपना कब्जा बताकर धोखाधड़ी से लोगों को जमीनें बेच करोड़ो ऐंठे जाते थे.

देहरादूनः उत्तराखंड एसटीएफ ने सुप्रीम कोर्ट और सेबी के फर्जी दस्तावेज तैयार कर सरकारी, गैर सरकारी भूमियों को ठिकाने लगाने वाले गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है. आरोप है कि करीब 100 करोड़ से ज्यादा भूमि की खरीद फरोख्त की गई है.

उत्तराखंड एसटीएफ (Uttarakhand STF) के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर और उत्तराखंड के देहरादून का एक संगठित भू माफिया गिरोह है. जो कि अलग-अलग स्थानों से जमीनों की धोखाधड़ी में जेल जा चुका है. इसी गिरोह ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से सीज की गई जमीन सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों के कर्मचारियों के साथ साठगांठ कर पहले फर्जी दस्तावेज तैयार किए.

जानकारी देते एसटीएफ डिप्टी एसपी जवाहर लाल सिंह.

उसके बाद PGF लिमिटेड वैशाली बिल्डिंग पश्चिम विहार नई दिल्ली की मदद से देहरादून के भाऊवाला, धोरणखास, तरला आमवाला, बडोवाला और मसूरी जैसे स्थानों में हजारों करोड़ की भूमि की अचल संपत्ति को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर एसपीके वर्ल्डकॉम, देहरादून (SPK Worldcom Pvt Ltd) के नाम आवंटित कर दिया. साथ ही उत्तराखंड, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के लोगों को करीब 160 बीघा जमीन बेच कर 100 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति गबन कर दी.

ये भी पढ़ेंः जमरानी क्षेत्र में भूमि खरीद फरोख्त पर रोक, परियोजना में तेजी लाने के लिए अधिकारी का चयन

संजीव और पूजा मलिक ने किया फर्जीवाड़े का खेलः एसटीएफ के मुताबिक इस पूरे भूमि फर्जीवाड़े में जब सेबी (SEBI) से पत्राचार किया गया तो पता चला कि संजीव मलिक और पूजा मलिक ने सेबी और सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित समिति के पत्रों के आधार पर रजिस्ट्री एवं एग्रीमेंट कराए हैं, वो न तो SEBI और न ही सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित समिति ने जारी किए गए हैं. ऐसे में यह पूरा जालसाजी का गोरखधंधा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर किया गया.

दिल्ली से पंजाब तक ठिकाना बदल छिपता रहा मुख्य आरोपी संजीवः मुख्य आरोपी संजीव मलिक को जब एसटीएफ जांच का पता चला तो वो देहरादून से दिल्ली फरार हो गया. इतना ही नहीं वो दिल्ली से लुधियाना और अमृतसर में होटलों में ठहरा. जहां पैसे के दम पर इस फर्जीवाड़े से जुड़े गवाहों को प्रभावित करता रहा. इसके बावजूद एसटीएफ की टीम सूचना के आधार पर लुधियाना के एक होटल में पहुंची.

जहां संजीव को हिरासत में लेकर पूछताछ की गयी तो उसने बताया गया कि सारे फर्जी दस्तावेज देहरादून डिफेंस कॉलोनी वाले घर पर रखे गए हैं. जांच पड़ताल और तमाम सबूतों के आधार पर एसटीएफ टीम ने मुख्य आरोपी समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है.

उत्तराखंड एसटीएफ की गिरफ्त में आरोपी

  • संजीव मलिक पुत्र कमल मलिक, निवासी- ए 95, सेक्टर 2, डिफेंस कॉलोनी देहरादून.
  • शुभम पुत्र ब्रह्मदत्त, निवासी- केहरी गांव, प्रेमनगर, देहरादून.
  • टिंकू सिंह पुत्र प्रकाश सिंह, निवासी- भीम वाला, अकबरपुर पथरी अमरोहा (यूपी).

हाईकोर्ट के आदेश पर देशभर में सीज की गई संपत्ति पर ही सेंधमारीः एसटीएफ के मुताबिक, करोड़ों के इस भूमि घोटाले की जांच पड़ताल में जानकारी सामने आई है कि देहरादून में भाऊवाला, धोरणखास, तरला आमवाला, बड़ोवाला एवं मसूरी की संपत्तियों को एक कंपनी एसपीके कंपनी की डायरेक्टर पूजा मलिक एवं संजीव मलिक ने रिटायर्ड न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के फर्जी हस्ताक्षरित दस्तावेजों के आधार पर कई लोगों को बेच डाले.

ऐसे में इन संपत्तियों के बारे में जांच पड़ताल की गई. जिसमें पता चला कि साल 2015 में सीबीआई की इंवेस्टिगेशन के बाद हाईकोर्ट के आदेशानुसार देशभर के विभिन्न स्थानों पर करोड़ों की अचल संपत्ति जिसमें 348 संपत्ति PGF एवं 14,000 PACL की संपत्ति को 1 अप्रैल 2015 को सीज किया गया था.

ये भी पढ़ेंः Ground Report: भू-माफिया का बेशकीमती जमीन पर कब्जा, सीएम के निर्देश पर एसआईटी गठित

उधर, इस संपत्ति के निस्तारण को लेकर भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड एवं PGF के सदस्य को नामित एक विशेष कमेटी का गठन किया गया. कमेटी के माध्यम से ही भूमि का निस्तारण करने के आदेश कोर्ट से पारित किए गए थे.

भूमि घोटाले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित विशेष कमेटी के बैंक खातों में फर्जी लेनदेन को दिखाकर रजिस्टर की जाती थी. गठित विशेष कमेटी के अपने नाम फर्जी आदेशों को तैयार कर SEBI के फर्जी प्रमाण पत्र के जरिए भूमि पर अपना कब्जा बताकर धोखाधड़ी से लोगों को जमीनें बेच करोड़ो ऐंठे जाते थे.

Last Updated : Jan 6, 2022, 5:25 PM IST
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