देहरादून: उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) का शिकंजा इन दिनों साइबर क्रिमिनल के खिलाफ कसता जा रहा है. शनिवार को भी एसटीएफ ने ऋषिकेश-हरिद्वार के बीच एक साइबर ठग को गिरफ्तार किया है. आरोपी का नाम मयंक है, जो हरियाणा के रोहतक का रहने वाला है. आरोपी अपने दोस्तों के साथ मिलकर कई राज्यों में सस्ते ब्याज पर बैंक लोन दिलाने के नाम पर ठगी कर चुका है.
देहरादून में महिला को बनाया था शिकार
एसटीएफ के मुताबिक बीते दिनों आरोपी ने देहरादून की एक महिला को ठगी का शिकार बनाया था. महिला ने पुलिस को तहरीर दी थी, उसके अनुसार उसके अज्ञात व्यक्ति का कॉल आया था. अज्ञात व्यक्ति ने खुद को रिलायंस कंपनी का कर्मचारी बताया था. जिसने महिला को तीन प्रतिशत ब्याज पर लोन दिलाने का लालच दिया था. आरोपी ने महिला की कई बार कॉल किया. आरोपी ने महिला को विश्वास में लेते हुए लोन से जुड़े सभी दस्तावेज लिए.
कुछ दिनों बात लोन स्वीकृत होने का लेटर भी दिया गया. ऐसे में आरोपी ने फाइल और इंश्योरेंस चार्ज जैसे अन्य शुल्क जमा कराने का झांसा देते हुए महिला से अलग-अलग बैंकों में कुल साल लाख रुपए इंटरनेट बैंकिंग के जरिए जमा कराए. लेकिन जब महिला को लोन नहीं मिला तो उसे अहसास हुआ की उसके साथ ठगी हुई है. इसके बाद उसने थाने में अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज कराया.
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कई राज्यों में फैला है नेटवर्क
एसटीएफ की गिरफ्त में आए आरोपी मंयक का नेटवर्क दिल्ली, बिहार, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात समेत कई राज्यों में फैला है. ये गिरोह सस्ते ब्याज पर लोन दिलानों के नाम पर करोड़ों रुपए की ठगी कर चुका है. आरोपी के पास से एसटीएफ को एटीएम कार्ड, पहचान पत्र, पुराने सिम और हजारों रुपए की नगदी भी बरामद हुई है. पुलिस अभी इस गिरोह के अन्य सदस्यों का पता लगाने में जुटी हुई है.
ऐसे तलाशते थे शिकार
मयंक ने पूछताछ में बताया कि पहले वे फेसबुक समेत अन्य सोशल साइट पर सस्ते ब्याज पर लोन लेने का झांसा दिया करते थे. इसके अलावा वे दैनिक समाचार पत्रों में भी सस्ती दरों प्रधानमंत्री मुद्रा लोन समेत अन्य कंपनियों के लोन का विज्ञापन दिया करते थे. इसी तरह उन्हें जो कॉल आते थे, उन्हें ही ये अपना शिकार बनाते थे.
इसके बाद ये लोगों को झांसे में लेकर लोन की स्वीकृति लेटर दिया जाता करते थे और उन्हें विश्वास में लेकर फाइल व इंश्योरेंस चार्ज के नाम पर लाखों रुपए ले लिया करते थे. इस काम के लिए आरोपी अलग-अलग नंबरों के सिम का इस्तेमाल किया करते थे.