मसूरी: उत्तराखंड में अलग राज्य की अलख जगाने और राज्य आंदोलन की शुरुआत करने वाले नेता स्वर्गीय हुकुम सिंह पंवार के पुत्र वरिष्ठ अधिवक्ता राजेंद्र पंवार का बीती रात ह्रदयगति रुकने से देहांत हो गया. बुधवार की शाम को अचानक उनके सीने में दर्द हुआ, जिसके बाद उन्हें कम्युनिटी अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां रात लगभग आठ बजे उन्होंने अंतिम सांस ली.
राजेंद्र पंवार अपने पीछे मां, पत्नी-बेटा सहित पूरा परिवार छोड़कर गए हैं. उनके निधन से प्रदेश ने एक सच्चा राज्य आंदोलकारी खो दिया है. बता दें कि उत्तराखंड राज्य गठन में राजेंद्र पंवार और उनके परिवार की भूमिका काफी अहम रही. उत्तराखंड क्रांति दल का अनौपचारिक गठन भी उनके स्वर्गीय पिता हुकुम सिंह पंवार की मौजूदगी में होटल अनुपम में हुआ था.
पिता के जेल जाने के बाद स्वर्गीय राजेंद्र पंवार ने संभाला था राज्य आंदोलन का मोर्चा
स्वर्गीय हुकुम सिंह पंवार ने उत्तराखंड संघर्ष समिति और मसूरी नागरिक समिति के बैनर तले आंदोलन का नेतृत्व किया था. 2 सितंबर 1994 को हुकुम सिंह पंवार को झूलाघर से बरेली जेल ले जाया गया. उनके साथ 47 अन्य लोग भी थे. इधर उनके पुत्र राजेंद्र पंवार आंदोलन के मोर्चे पर डटे गए.
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राज्य आंदोलन में खाई थी गोली
राज्य आंदोलनकारी राजेंद्र पंवार ने अपने पिता हुकुम सिंह पंवार के साथ 2 सितंबर 1994 के झूलाघर गोलीकांड में तत्कालीन समय में राज्य आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई थी. स्वर्गीय हुकुम सिंह पंवार के साथ अन्य आंदोलनकारियों कोे पुलिस पकड़ कर जेल भेज दिया था. पुलिस ने 2 सिंतबर को आंदोलन कर रहे आंदोलकारियों पर गोली चलाई, जिसमें 6 आंदोलनकारी शहीद हो गए थे. उस दौरान अपने पिता का साथ दे रहे राजेंद्र पंवार की छाती में गोली लग गई और वह गंभीर रूप से घायल हो गए.
मसूरी के प्रख्यात डॉक्टर सुनील सैनन ने बचाई थी राजेंद्र पंवार की जान
गोली लगने से उनके दिल को काफी नुकसान पहुंचा था. गंभीर हालत में राजेंद्र पंवार को मसूरी कम्युनिटी अस्पताल ले जाया गया. जहां से मसूरी के प्रख्यात डॉक्टर सुनील सैनन ओर अन्य लोगों की मदद से उनको एम्स दिल्ली में भर्ती किया गया. राजेंद्र पंवार की जान तो बच गई लेकिन उनकी आवाज चली गई थी, डॉक्टरों के प्रयासों से कुछ समय बाद उनकी आवाज वापस तो आई, परंतु राजेंद्र पंवार को बोलने में काफी दिक्कतें होती थी पर हल्के हल्के कर उन्होंने काम करना शुरू कर दिया और वहीं मसूरी और देहरादून में वकालत करते रहे.
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हाल में ही मिला था राज्य आंदोलनकारी का दर्जा
मसूरी के पूर्व पालिकाध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल ने कहा कि राजेंद्र पंवार आज हम सब के बीच से चले गए, परंतु दुर्भाग्यवश उत्तराखंड राज्य में अहम भूमिका निभाने वाले राजेंद्र पंवार को राज्य आंदोलनकारी का दर्जा हाल में दिया गया. उनको सरकार द्वारा आंदोलनकारियों को दी जा रही सुविधाओं से महरूम रखा गया. उन्होंने बताया कि राजेंद्र पंवार को आंदोलन को लेकर सीबीआई जांच झेलते हुए पांच दिनों के लिए जेल भी जाना पड़ा. उन्होंने बताया की मसूरी नगर पालिका के तत्कालिक अध्यक्ष जोत सिंह गुनसोला द्वारा 1997 में पालिका का कानूनी सलाकार नियुक्त कर उनको मेहनताना देना शुरू किया गया. 2003 में राजेंद्र पंवार को पालिका का अधिवक्ता नियुक्त किया गया.
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गोली लगने के कारण लेट नहीं पाते थे राजेंद्र पंवार
राज्य आंदोलनकारी डॉ. हरिमोहन गोयल, देवी गोदियाल और सुभाघिनी बर्तवाल ने बताया कि राजेंद्र पंवार सहित पांच अन्य आंदोलनकारियों को 30 जनवरी 1997 को देहरादून जेल भेजा गया, परंतु राजेंद्र पंवार की अवस्था को देखकर उन्हें गिरफ्तार तो किया गया, परंतु जेल से बाहर रखा गया क्योंकि गोली लगने के कारण वह लेट नहीं पाते थे.
मसूरी के पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला ने कहा कि राजेंद्र पंवार के जाने से पूरा उत्तराखंड दुखी है. वहीं मसूरी के पूर्व पालिकाध्यक्ष ओपी उनियाल ने कह कि पंवार परिवार का ऋण मसूरी और उत्तराखंड कभी नहीं उतार पाएगा.