देहरादून/मेरठ: उत्तराखंड में फर्जी कॉलेज और फर्जी छात्र दर्शाकर करीब 6 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति घोटाला करने का मामला सामने आया था. इस घोटाले में उत्तर प्रदेश के मेरठ सेक्टर की EOW (Economic Offences Wing) की टीम ने एक आरोपी को यूपी के बिजनौर से गिरफ्तार किया है. EOW SP रामसुरेश यादव ने बताया कि आरोपी का नाम भीम सिंह है. वो बिजनौर की कोतवाली देहात क्षेत्र के ग्राम सनपता का रहने वाला है. आरोपी की गिरफ्तारी बिजनौर के ग्राम ककराला बस अड्डे के पास से हुई है.
जेल में है मुख्य आरोपी अंकित राजपूत
SP रामसुरेश यादव के मुताबिक इस घोटाले के मुख्य आरोपी ततारपुर निवासी अंकित राजपूत को 20 फरवरी 2020 को ही गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है. भीम सिंह मुख्य आरोपी अंकित राजपूत का सहयोगी है.
बिजनौर समाज कल्याण विभाग के कई अफसरों की है भूमिका
इस मामले में बिजनौर के तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी पजनेश कुमार, प्रधान लिपिक रामेश्वर दयाल, सुपरवाइजर मलिक महमूद खान और योगेश कुमार की भूमिका सामने आई है. इनके खिलाफ भी मुकदमा चलाने के लिए शासन से अनुमति मांगी जा रही है.
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2013 में पिस्टल के साथ गिरफ्तार हुए थे आरोपी
बताया जा रहा है कि मुख्य आरोपी अंकित राजपूत और भीम सिंह को साल 2013 में बिजनौर पुलिस ने पिस्टल के साथ गिरफ्तार किया था. उस वक्त उनके पास से सौ से अधिक बैंक पासबुक, चेकबुक, एटीएम कार्ड और सरकारी मुहरें बरामद हुईं थीं. उनकी गिरफ्तारी के बाद ही छात्रवृत्ति घोटाला उजागर हुआ था. इस मामले में चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है.
वर्ष 2014 में दर्ज कराया था मुकदमा
जानकारी के मुताबिक, अक्टूबर साल 2014 में यूपी के बिजनौर की कोतवाली शहर में तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी अजय गोस्वामी ने 6 करोड़ की छात्रवृत्ति घोटाले का मुकदमा दर्ज कराया था. बाद में इसकी जांच साल 2015 में EOW मेरठ सेक्टर को सौंपी गई थी.
गांव-गांव जाकर इकट्ठा किए थे छात्रों के शैक्षिक दस्तावेज
जांच के दौरान सामने आया कि आरोपियों ने गांव-गांव जा कर छात्रों से उनके शैक्षिक दस्तावेज इकट्ठा कर लिए. इसके बाद इन छात्रों को उत्तराखंड के देहरादून, उधमसिंह नगर और काशीपुर के सात कॉलेजों में अध्ययनरत दिखा कर 6 करोड़ रुपए की छात्रवृत्ति हड़प ली.
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बोर्ड लगाकर 37 फर्जी छात्रों का प्रवेश दिखाया था
देहरादून के करनपुर इलाके में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कंप्यूटर सांइस का बोर्ड लगाकर 37 छात्रों का प्रवेश भी दिखाया गया था. इसके बाद शासन से सत्र 2010-11 के लिए आई छात्रवृत्ति का कूटरचित कागज तैयार कर बैंक में खाते खुलवा कर पैसों को हड़प लिया गया था.