देहरादून: उत्तराखंड के पहाड़ों में बीमार स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने के लिए सबकी नजरें मोदी सरकार के बजट पर टिकी हुई है. उम्मीद है कि केंद्र, उत्तराखंड में स्वास्थ्य की नई योजना के साथ पुरानी योजनाओं के बड़े बजट को मंजूरी दे. केंद्र के बजट पर उत्तराखंड के स्वास्थ्य हालात को लेकर ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...
प्रदेश आगामी केंद्रीय बजट से बेहद ज्यादा आशान्वित है. खासतौर पर स्वास्थ्य के क्षेत्र में ज्यादा बजट राज्य की जरूरत बन गया है. वित्तीय वर्ष 2019-20 में मोदी सरकार ने अपने बजट में स्वास्थ्य के क्षेत्र में कुल 60659 करोड रुपए का प्रावधान रखा था. ये वित्त वर्ष 2018-19 की तुलना में कुल 19 प्रतिशत ज्यादा था.
वित्त वर्ष 2018-19 में कुल 52,800 करोड़ रुपये स्वास्थ्य के लिए रखे गए थे. इसमें केंद्र की फ्लैगशिप योजना आयुष्मान भारत और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के लिए 6400 करोड़ रुपए दिए गए थे. वैलनेस सेंटर की स्थापना के लिए भी 249 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था.
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साल 2019-20 में उत्तराखंड को 510 करोड रुपए दिए गए थे, जबकि वित्तीय वर्ष 2020-21 में कुल 590 करोड रुपए की स्वीकृति मिल चुकी है. राज्य की तरफ से केंद्र से 500 उपकेंद्र और 20 एंबुलेंस के बजट समेत इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर करने के लिए बजट मांगा गया है. राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों और यात्रा मार्गों पर पीएचसी स्थापित करने, हल्द्वानी, नैनीताल में मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल खोले जाने जैसी कई जरूरतों को भी केंद्र के सामने रखा गया है.
राज्य की विभिन्न जरूरतों के साथ-साथ केंद्र से केंद्रीय योजनाओं के लिए भी बढ़े हुए बजट की मांग की गई है. इसमें वैलनेस सेंटर स्थापित करने के लिए बजट और आयुष्मान योजना के बकाया बजट समेत दूसरी योजनाओं में भी केंद्र की भागीदारी बढ़ाने को लेकर मांग की गई है.
केंद्रीय बजट राज्यों के लिए बेहद अहम होता है. खासतौर पर उत्तराखंड जैसा राज्य जहां आर्थिक रूप से दिक्कतें बेहद ज्यादा होती हैं. ऐसे में अब स्वास्थ्य के क्षेत्र में राज्य के तमाम प्रस्तावों के आधार पर केंद्र से प्रदेश को ज्यादा बजट मिलने की उम्मीद है.