देहरादूनः उत्तराखंड क्रांति दल में चंदे के नाम पर उगाही का खेल अब पूरी तरह से बंद हो जाएगा. ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि, देहरादून जिले में पार्टी की तरफ से लिए गए उस फैसले से लग रहा है, जिसमें पार्टी के देहरादून जिले में चंदे पर पूरी तरह से रोक लगाई गई है. इतना ही नहीं सदस्यता अभियान के तहत जमा होने वाली राशि को भी नकदी के रूप से लेने पर रोक लगाई गई है.
बता दें कि देहरादून जिले में पार्टी के कुछ पदाधिकारियों की तरफ से चंदे के नाम पर अवैध उगाही की खबरें सामने आ रही थीं. इन्हीं खबरों का संज्ञान लेते हुए यूकेडी की तरफ से यह फैसला लिया गया है. इसके तहत न केवल अब देहरादून जिला इकाई आगामी आदेशों तक कोई भी चंदा नहीं लेगी. बल्कि सदस्यता अभियान के तहत जो भी व्यक्ति नया सदस्य बनेगा, वो सदस्यता की फीस को भी कैश न देकर सीधे पार्टी के खाते में भेज सकेगा. यह सब पाबंदियां पार्टी में वित्तीय रूप से चल रही गड़बड़ियों को रोकने के लिए लगाई गई हैं.
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उत्तराखंड क्रांति दल चुनाव के दौरान भी वित्तीय रूप से काफी कमजोर दिखाई देता रहा है. तमाम कार्यक्रमों में भी आर्थिक कमजोरी कार्यक्रमों के भव्यता और उसके वृहद रूप को करने में समस्या डालती रही है. ऐसे में पार्टी को सूचना मिल रही थी कि पार्टी के कुछ पदाधिकारी और खुद को यूकेडी का नेता बताने वाले लोग निजी रूप से चंदे के नाम पर उगाही कर रहे थे. इन स्थितियों पर काबू पाने के लिए पार्टी ने चंदा ना लेने का बड़ा फैसला लिया है. इतना ही नहीं चंदा लेने के लिए पहले एक कमेटी बनाने का भी फैसला लिया गया है. यह कमेटी इस पर विशेष फैसला लेगी और उसी आधार पर भविष्य में चंदा लिया जाएगा.
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उत्तराखंड में यूकेडी का राजनीतिक रूप से अस्तित्व खतरे में है. इसके पीछे पार्टी नेताओं की गलतियों को ही मुख्य वजह माना जाता है. राज्य आंदोलन से निकले क्षेत्रीय दल में वित्तीय रूप से गड़बड़ी का मामला सामने आने के बाद पार्टी ने तो बड़ा कदम उठाया है, लेकिन आम जनता भी पार्टी के भीतर चल रही इसी तरह की निजी हित की राजनीति के कारण यूकेडी से दूर हो रही है. बता दें कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में यूकेडी एक भी सीट नहीं जीत पाई थी.