देहरादून: कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को लेकर स्वास्थ्य विभाग संक्रमित लोगों की ट्रैवल हिस्ट्री का पता लगाकर उन्हें चिन्हित कर रहा है. साथ ही उनसे क्वारंटाइन के नियमों का पालन भी करवा रहा है. लेकिन स्वास्थ्य विभाग कैबिनेट मंत्रियों से इन नियमों के पालन करवाने में थोड़ा लचर रवैया अपना रहा है. क्योंकि कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. बावजूद इसके स्वास्थ्य महकमे ने कैबिनेट के सदस्यों या अधिकारियों की जांच करने की जरूरत भी नहीं समझी.
बता दें कि सरकार के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज की पत्नी अमृता रावत को कोरोना हुआ, तो स्वास्थ्य विभाग और कैबिनेट मंत्रियों में इसे लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखी. लेकिन अब कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के संक्रमित आने के बाद सभी कैबिनेट मंत्रियों और कई बड़े अधिकारी संक्रमण के खतरे के घेरे में आ गए. बावजूद इसके जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने कोई गाइडलाइन जारी नहीं की.
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उधर, स्वास्थ्य विभाग इन सभी की लो रिस्क जांच करवाने से भी कतरा रहा है. इससे साफ जाहिर होता है कि स्वास्थ्य महकमे के अधिकारियों को लगता है कि कैबिनेट मंत्रियों या उच्च पदों पर आसीन आलाअधिकारियों को कोरोना के जांच की आवश्यकता ही नहीं है. वहीं, ETV भारत से बातचीत के दौरान डीजी हेल्थ ने बताया कि लो रिस्क के कारण इनके सैंपल लेने की कोई जरूरत नहीं है. सिर्फ पॉजिटिव व्यक्ति के साथ वालों की ही जांच की जाएगी.
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ऐसे में सवाल ये उठता है कि स्वास्थ्य विभाग आखिर कैबिनट मंत्रियों और आलाधिकारियों की कोरोना जांच कराने से क्यों हिचकिचा रहा है. क्या नियम केवल आम लोगों के लिए ही बनाए गए हैं? वहीं, कुछ मंत्री और उनके स्टाफ की निजी लैब में जांच करवाने की बात भी सामने आ रही है.