देहरादूनः प्रदेश में कोरोना संक्रमण के बीच ब्लैक फंगस बीमारी से प्रदेशवासियों में और भी दहशत बढ़ गई है. सोमवार को मीडिया ब्रीफिंग के दौरान सचिव पंकज पांडे ने ब्लैक फंगस बीमारी के बारे में बताया. उन्होंने ब्लैक फंगस से इलाज और बचाव को लेकर कुछ महत्वपूर्ण जानकारी साझा की.
सोमवार को मीडिया ब्रीफिंग के दोरान म्यूकर माइकोसिस (ब्लैक फंगस) को लेकर जानकारी देते आईएएस अधिकारी पंकज पांडे ने बताया कि मेडिकल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर की अध्यक्षता में गठित एक्सपर्ट कमेटी में कुछ और लोगों को जोड़ा गया है. इसके तहत पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज के क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट प्रो. बरोनिया, सरकारी मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधि, दून मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी मेडिसिन के हेड के साथ ही स्टेट सर्विलांस ऑफिसर को भी इस कमेटी में जोड़ा गया है. अब ये सभी इस कमेटी में भी सलाह दे सकते हैं, जिसको लेकर एक्सपर्ट कमेटी ने संस्तुति दी है. सरकार का पूरा फोकस कोविड और ब्लैक फंगस के मामलों में प्रिवेंशन पर है.
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ब्लैक फंगस के 20 मरीज, एक की मौत
पंकज पांडे ने ब्लैक फंगस बीमारी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह फंगस सामान्य रूप से पाया जाता है. प्रदेश में अब तक इसके 20 मामले प्रकाश में आए हैं. इसमें एक मरीज की मौत हो चुकी है, जबकि 19 मरीजों का इलाज ऋषिकेश एम्स में चल रहा है. हमें इससे बचने के लिए सावधानियां रखनी हैं. ब्लैक फंगस की चुनौती से निपटने के लिए भी राज्य सरकार तैयार है. ऐसे लोग जो दूसरी गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं, उनकी इम्युनिटी कमजोर होने या अधिक समय तक आईसीयू में रहने से फंगस इंफेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है. जागरूकता और रोग की जल्दी पहचान फंगस इंफेक्शन को फैलने से रोका जा सकता है. ब्लैक फंगस के लिए आवश्यक दवाओं का प्रबंध किया जा रहा है.
गंदगी से बचें
पंकज पांडे ने बताया कि बीते रोज भारत सरकार के साथ हुई वीडियो कॉफ्रेंसिंग में एक्सपर्ट द्वारा बाताया गया कि यह ब्लैक फंगस अगर एक बार शरीर में चला जाता है तो, इसका इलाज बेहद मुश्किल होता है. इससे बचाव के लिए जरूरी है कि आप धूल भरी जगहों पर ना जाएं. गंदा पानी ना पिएं, निरंतर हाथ धोएं, मिट्टी के संपर्क में कम से कम आएं.