देहरादून: उत्तराखंड चारधाम की यात्रा 22 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही शुरू हो रही है, जिसके मद्देनजर संबंधित सभी विभाग व्यवस्थाओं को मुकम्मल करने की कोशिशों में लगे हुए हैं. तो वहीं, स्वास्थ्य विभाग के लिए बड़ी चुनौती यही है कि पिछले साल बड़ी संख्या में हुई श्रद्धालुओं के मौत के आंकड़े पर लगाम लगाया जा सके. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग अभी से ही चारधाम यात्रा मार्ग पर स्वास्थ्य को बेहतर किए जाने की कवायद में जुट गया है.
मेडिकल कॉलेज फैकल्टी भी होगी तैनातः उत्तराखंड राज्य में स्वास्थ्य विभाग की स्थिति किसी से छिपी नहीं है. वर्तमान स्थिति यह है कि स्वास्थ्य विभाग डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है, यही वजह है कि स्वास्थ्य विधाओं को बेहतर करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है. ऐसे में चारधाम यात्रा के दौरान डॉक्टरों की कमी न हो इसके लिए चारधाम में प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों के फैकल्टी की भी तैनाती की जाएगी, ताकि यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जा सके.
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हर एक किलोमीटर पर लगाया जाएगा स्वास्थ्य बूथः उत्तराखंड के चारधाम यात्रा में बाबा केदारनाथ और यमुनोत्री धाम पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को पैदल यात्रा का सफर करना होता है. हालांकि, यह सफर काफी कठिन होता है जिसके चलते श्रद्धालुओं में स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें काफी अधिक देखी जाती हैं. इसको ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने इस बार केदारनाथ और यमुनोत्री यात्रा मार्ग पर हर एक किलोमीटर पर स्वास्थ्य बूथ बनाए जाने का निर्णय लिया है. इन सभी स्वास्थ्य बूथों पर ऑक्सीजन के साथ ही अन्य जरूरी दवाइयां और उपकरण मौजूद होंगे.
AIIMS ऋषिकेश और श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में एयर लिफ्टः चारधाम यात्रा के दौरान अगर किसी भी मरीज को रेफर करने की आवश्यकता हुई तो उस दौरान एयर एंबुलेंस के जरिए ऋषिकेश एम्स या फिर श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में एयरलिफ्ट कराया जा सकेगा. इसके लिए ऋषिकेश एम्स में एयर एंबुलेंस की तैनाती की जाएगी.
स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि इस सीजन चारधाम यात्रा के दौरान करीब 50 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है. लिहाजा स्वास्थ्य सुविधाओं को देखते हुए रुद्रप्रयाग, पौड़ी और टिहरी जिले की समीक्षा बैठक की जा चुकी है और जल्द ही बड़े स्तर पर स्वास्थ्य विभाग की बैठक की जाएगी.