देहरादून: सरकारी भवनों के भगवाकरण की बात हो या फिर योजनाओं के नाम बदलने की. बीजेपी सरकार अक्सर इन विवादों में घिरती हुई दिखाई देती है. इस बार मामला संस्कृत भाषा से जुड़ा हुआ है. त्रिवेंद्र सरकार ने प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के दिलों-दिमाग में संस्कृत भाषा को बैठाने के लिए खास पहल शुरू की है. जिसने अब राजनीतिक रंग ले लिया है. कांग्रेस और बीजेपी के बीच इस पर राजनीति शुरू हो गई है.
दुनिया में संस्कृत भाषा को सबसे पौराणिक और हिंदुत्व की सांस्कृतिक विरासत के रूप में देखा जाता है. उत्तराखंड में तो संस्कृत को द्वितीय राजभाषा का भी दर्जा दिया गया है. खासकर प्रदेश की त्रिवेंद्र सरकार में तो संस्कृत भाषा के उपयोग और इसके संवर्द्धन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.
पढ़ें- खतरे में आपका पैसा, देवभूमि के 2701 ATM भगवान भरोसे
इससे पहले मदरसों में भी संस्कृत शुरू करने को लेकर विवाद शुरू हो चुका है. हालांकि अब उत्तराखंड में संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा विभाग कुछ खास ही करने जा रहा है. शिक्षा विभाग ने पहली बार संस्कृत भाषा में ऑडियो और वीडियो जारी करने का निर्णय लिया है. विभाग ने संस्कृत में कई संगीत भी रिकॉर्ड करवाएं हैं, अब इनका विजुलाइजेशन कराकर बच्चों तक पहुंचाने की कोशिश की जाएगी. शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों की किताबों पर बार कोड अंकित किए जाएंगे, जिसके जरिए मोबाइल फोन पर भी संस्कृत भाषा के यह गीत देखे और सुने जा सकेंगे.
संस्कृत को लेकर योजना
- कक्षा 3 से 8 तक के बच्चों पर संस्कृत को लेकर रहेगा फोकस.
- गीतों और विजुअल उपलब्ध कराकर बच्चों के दिलो-दिमाग में संस्कृत को पहुंचाने की कोशिश.
- स्कूलों के अध्यापकों के जरिए बनाए गए 16 से ज्यादा गीत.
- किताबों में छापे जाएंगे बारकोड. इन बारकोड के जरिए स्कूल में शिक्षक और घर में परिजनों द्वारा मोबाइल पर देखे और सुने जा सकेगे संस्कृत के गीत.
- चुनाव आचार संहिता हटने के बाद मुख्यमंत्री करेंगे संस्कृत की योजना का शुभारंभ.
कांग्रेस ने जताया एतराज
सूबे में यह पहला मौका नहीं है जब संस्कृत को लेकर बीजेपी सरकार की खास रूचि दिखाई दी है. इससे पहले बीजेपी सरकार ने ही संस्कृत को दूसरी राजभाषा का दर्जा दिया था. इसके अलावा सभी मंत्रियों की नाम प्लेट और विभाग के नाम भी संस्कृत भाषा में लिखने का निर्णय लिया गया था. हालांकि संस्कृत भाषा का ये बढ़ावा कांग्रेस को नागवार गुजरा है. कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी की मानें तो बीजेपी राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के एजेंडे को ही ध्यान में रखकर काम करती है. अब बीजेपी बच्चों को संस्कृत सिखाकर उनके साथ भी ऐसा ही करना चाहती है, जबकि देश और दुनिया में आज की जरूरत अंग्रेजी की है.
पढ़ें- उत्तराखंड में शराबबंदी को लेकर हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
बीजेपी का जवाब
कांग्रेस को जबाव देने के लिए बीजेपी भी तैयार दिख रही है. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता वीरेंद्र बिष्ट प्रदेश ने कांग्रेस के बयान पर पटलवार करते हुए कहा कि त्रिवेंद्र सरकार संस्कृति को बचाने के लिए यदि संस्कृत को बढ़ावा दे रही है तो उसमें गलत क्या है? कांग्रेस को यह क्यों बुरा लगता है?