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ITBP का आज 61वां स्थापना दिवस, राज्यपाल गुरमीत सिंह और सीएम धामी ने दी शुभकामनाएं - आईटीबीपी

भारत तिब्बत सीमा पुलिस यानी आईटीबीपी का आज 61वां स्थापना दिवस है. इस मौके पर उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आईटीबीपी के जवानों की बधाई और शुभकामनाएं दी. उत्तराखंड में आईटीबीपी जवान करीब 463 किमी लंबी चीन से लगी सीमा पर भारत की रक्षा करते हैं.

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Published : Oct 24, 2022, 11:44 AM IST

देहरादून: देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले भारत तिब्बत सीमा पुलिस के जवान यानी आईटीबीपी का आज 61वां स्थापना दिवस है. इस मौके पर उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आईटीबीपी के जवानों की बधाई और शुभकामनाएं दी. उत्तराखंड में आईटीबीपी के जवान दिन रात कठिन हालत में चीन सीमा पर भारत माता की रक्षा के लिए तैनात रहते हैं.

आईटीबीपी के स्थापना दिवस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी मां भारती की रक्षा हेतु साहस, पराक्रम एवं कर्तव्यपरायणता के भाव को लेकर सदैव तत्पर रहने वाले आईटीबीपी के सभी वीर जवान हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत हैं.
पढ़ें- ITBP के जांबाजों की लॉन्ग रेंज पेट्रोलिंग टीम पहुंची उत्तराखंड, उफनती नदी में हिमवीरों का दम देखिए

वहीं, राज्यपाल ने गुरमीत सिंह ने कहा कि

मैं भारत-तिब्बत सीमा पुलिस ITBP के सभी रैंकों, पूर्व सैनिकों और परिवारों को उनके 61वें स्थापना दिवस के गौरवपूर्ण अवसर पर बधाई देता हूं. इस महान संगठन के लिए "शौर्य दृढ़ता कर्मनिष्ठा" का आदर्श वाक्य हमेशा मार्गदर्शक शक्ति बना रहे.

24 अक्टूबर 1962 को बनी आईटीबीपी: बता दें कि भारत तिब्बत सीमा पुलिस यानी आईटीबीपी का गठन 24 अक्टूबर 1962 को किया गया था. वर्तमान में आईटीबीपी लद्दाख में काराकोरम दर्रे से लेकर अरुणाचल प्रदेश के जचेप ला तक 3,488 किलोमीटर लंबी भारत-चीन सीमाओं की रक्षा करता है. जिसमें एक बड़ा हिस्सा उत्तराखंड का भी आता है. उत्तराखंड में करीब 463 किमी लंबी चीन पर भारत की रक्षा आईटीबीपी के जवान करते हैं. उत्तराखंड में चीन की सीमा उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ जिले में लगती है.

सीमा के साथ आंतरिक संकटों से भी निपटती है आईटीबीपी: भारतीय सीमा की रक्षा करने के अलावा आईटीबीपी के जवान छत्तीसगढ़ राज्य में वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ कई आंतरिक सुरक्षा कर्तव्यों और संचालन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. आईटीबीपी की अधिकांश सीमा चौकियां (बीओपी) 9,000 फीट से 18,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित हैं, जहां अत्यधिक सर्दियों में तापमान शून्य से 45 डिग्री सेल्सियस नीचे चला जाता है.

ITBP राष्ट्र का एक विशेष सशस्त्र पुलिस बल है जो अपने कर्मियों को गहन सामरिक प्रशिक्षण के अलावा पर्वतारोहण और स्कीइंग सहित विभिन्न विषयों में प्रशिक्षित करता है, जिससे बल की एक विशिष्ट छवि बनती है.

प्राकृतिक आपदा में भी बनते हैं तारणहार: ITBP हिमालयी क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं के लिए 'प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता' के रूप में राहत और बचाव कार्य भी करती है. विभिन्न आपदाओं के कारण संकट में फंसे हजारों नागरिकों को सहायता प्रदान करने के लिए बल ने पिछले कुछ वर्षों में सैकड़ों खोज, बचाव और राहत कार्यों में प्रतिक्रिया दी है. बल का पिछले 6 दशकों का एक गौरवशाली इतिहास रहा है. जिसमें ITBP के जवानों ने कर्तव्य की पंक्ति में और राष्ट्र की सेवा में कई बलिदान दिए हैं.

देहरादून: देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले भारत तिब्बत सीमा पुलिस के जवान यानी आईटीबीपी का आज 61वां स्थापना दिवस है. इस मौके पर उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आईटीबीपी के जवानों की बधाई और शुभकामनाएं दी. उत्तराखंड में आईटीबीपी के जवान दिन रात कठिन हालत में चीन सीमा पर भारत माता की रक्षा के लिए तैनात रहते हैं.

आईटीबीपी के स्थापना दिवस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी मां भारती की रक्षा हेतु साहस, पराक्रम एवं कर्तव्यपरायणता के भाव को लेकर सदैव तत्पर रहने वाले आईटीबीपी के सभी वीर जवान हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत हैं.
पढ़ें- ITBP के जांबाजों की लॉन्ग रेंज पेट्रोलिंग टीम पहुंची उत्तराखंड, उफनती नदी में हिमवीरों का दम देखिए

वहीं, राज्यपाल ने गुरमीत सिंह ने कहा कि

मैं भारत-तिब्बत सीमा पुलिस ITBP के सभी रैंकों, पूर्व सैनिकों और परिवारों को उनके 61वें स्थापना दिवस के गौरवपूर्ण अवसर पर बधाई देता हूं. इस महान संगठन के लिए "शौर्य दृढ़ता कर्मनिष्ठा" का आदर्श वाक्य हमेशा मार्गदर्शक शक्ति बना रहे.

24 अक्टूबर 1962 को बनी आईटीबीपी: बता दें कि भारत तिब्बत सीमा पुलिस यानी आईटीबीपी का गठन 24 अक्टूबर 1962 को किया गया था. वर्तमान में आईटीबीपी लद्दाख में काराकोरम दर्रे से लेकर अरुणाचल प्रदेश के जचेप ला तक 3,488 किलोमीटर लंबी भारत-चीन सीमाओं की रक्षा करता है. जिसमें एक बड़ा हिस्सा उत्तराखंड का भी आता है. उत्तराखंड में करीब 463 किमी लंबी चीन पर भारत की रक्षा आईटीबीपी के जवान करते हैं. उत्तराखंड में चीन की सीमा उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ जिले में लगती है.

सीमा के साथ आंतरिक संकटों से भी निपटती है आईटीबीपी: भारतीय सीमा की रक्षा करने के अलावा आईटीबीपी के जवान छत्तीसगढ़ राज्य में वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ कई आंतरिक सुरक्षा कर्तव्यों और संचालन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. आईटीबीपी की अधिकांश सीमा चौकियां (बीओपी) 9,000 फीट से 18,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित हैं, जहां अत्यधिक सर्दियों में तापमान शून्य से 45 डिग्री सेल्सियस नीचे चला जाता है.

ITBP राष्ट्र का एक विशेष सशस्त्र पुलिस बल है जो अपने कर्मियों को गहन सामरिक प्रशिक्षण के अलावा पर्वतारोहण और स्कीइंग सहित विभिन्न विषयों में प्रशिक्षित करता है, जिससे बल की एक विशिष्ट छवि बनती है.

प्राकृतिक आपदा में भी बनते हैं तारणहार: ITBP हिमालयी क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं के लिए 'प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता' के रूप में राहत और बचाव कार्य भी करती है. विभिन्न आपदाओं के कारण संकट में फंसे हजारों नागरिकों को सहायता प्रदान करने के लिए बल ने पिछले कुछ वर्षों में सैकड़ों खोज, बचाव और राहत कार्यों में प्रतिक्रिया दी है. बल का पिछले 6 दशकों का एक गौरवशाली इतिहास रहा है. जिसमें ITBP के जवानों ने कर्तव्य की पंक्ति में और राष्ट्र की सेवा में कई बलिदान दिए हैं.

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