ऋषिकेश/रुड़की: हिमालय संरक्षण के लिए उत्तराखंड सरकार गंभीर दिखाई दे रही है. राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हिमालय सुरक्षा, नदियों और जल स्रोतों के पुनर्जीवन के लिए एक मॉनिटरिंग कमेटी गठित करने की घोषणा की है. कमेटी सर्वे करने के बाद जो भी रिपोर्ट बनाकर सरकार को सौंपेगी. उसके आधार पर हिमालय संरक्षण के साथ पर्यावरण संरक्षण नदियों और जल स्रोतों के पुनर्जीवन के लिए सरकार विशेष रूप से काम करेगी. वहीं, रुड़की आईआईटी में भी हिमालय दिवस पर एक कार्यक्रम का आयोग किया गया. जिसमें हिमालय के अंतर्गत शोध कर रहे विभाग के एमटेक व पीएचडी विद्यार्थियों ने अपनी शोध उपलब्धियों से सम्बंधित जानकारियां दी.
दरअसल, हिमालय दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें बतौर मुख्य अतिथि के रूप में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहुंचे. उन्होंने इस प्रकार के कार्यक्रम के आयोजन को लेकर जहां आयोजकों की सराहना की. वहीं सामाजिक संस्थाओं से भी पर्यावरण संरक्षण के लिए आगे आने की अपील की. मुख्यमंत्री ने कहा कि जल्दी ही हिमालय से लगते हुए राज्यों के मुख्यमंत्रियों को हिमालय संरक्षण की दिशा में बेहतर कदम उठाने के लिए आमंत्रित किया जाएगा. साथ ही एक बड़ा सम्मेलन आयोजित कर इस संबंध में गहन विचार-विमर्श होगा.
इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने परमार्थ निकेतन में चल रही राम कथा का श्रवण भी किया. आयोजकों ने मुख्यमंत्री को हनुमान की गदा भेंट कर उन्हें एकल हनुमान की उपाधि से भी नवाजा. कार्यक्रम में मुख्य रूप से पूर्व राज्यपाल उत्तराखंड और वर्तमान उत्तर प्रदेश की कैबिनेट मंत्री बेबी रानी मौर्य, उत्तराखंड वन मंत्री सुबोध उनियाल, विधायक यमकेश्वर रेनू बिष्ट, विधायक थराली गोपालराम टम्टा, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष चिदानंद मुनि महाराज उपस्थित रहे. मुख्यमंत्री के परमार्थ निकेतन पहुंचने पर आश्रम के ऋषिकुमारों ने पुष्प वर्षा कर मुख्यमंत्री का स्वागत भी किया.
रुड़की आईआईटी में भी मनाया गया हिमालय दिवस: आईआईटी रुड़की के जल संसाधन विकास एवं प्रबन्धन विभाग द्वारा हिमालय दिवस का आयोजन किया गया. इसके तहत हिमालय क्षेत्र के अंतर्गत शोध कर रहे विभाग के एमटेक व पीएचडी विद्यार्थियों ने अपनी शोध उपलब्धियों से सम्बंधित जानकारियां दी. इस कार्यक्रम की संयोजिका प्रो. कृतिका कोठारी ने 'हिमालय दिवस' के आयोजन के बारे में विषय प्रस्तुत किया. प्रो. कोठारी ने बताया कि इण्डियन वाटर रिसोर्सेज सोसाइटी तथा जल संसाधन विकास एवं प्रबन्धन विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित उक्त कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को जल के क्षेत्र में हिमालय के व्यापक महत्त्व से वाकिफ कराना है, जिससे मानवजनित कारकों से हिमालय क्षेत्र को होने वाले नुकसान को कम किया जा सके.
वहीं, इस कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए जल संसाधन विकास एवं प्रबन्धन विभागाध्यक्ष तथा भारतीय जल संसाधन समिति के उपाध्यक्ष प्रो. आशीष पाण्डेय ने बताया कि हिमालय ने देश के तकरीबन 20 करोड़ लोगों को प्रश्रय दिया हुआ है, जिसमें से लगभग 5 करोड़ लोग हिमालय क्षेत्र के निवासी हैं, उन्होंने कहा कि दिनों दिन घटती जल उपलब्धता ने हिमालय क्षेत्र से हमारी उम्मीदों को और अधिक बढ़ा दिया है. नीति आयोग की वर्ष 2018 की एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए प्रो. पाण्डेय ने बताया कि 50 प्रतिशत जल धारियां लगभग सूख चुकी हैं, जिससे निपटना शोधकर्ताओं के लिए एक बड़ी चुनौती है, जल क्षेत्र में काम करने के नाते इन चुनौतियों से निपटने में हम सबकी महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है.