देहरादून: कोरोना संक्रमण के मामलों में आ रही कमी के मद्देनजर सरकार ने कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को लेकर विचार करना शुरू कर दिया है. सरकार जून महीने के आखिरी हफ्ते या जुलाई में 12वीं की बोर्ड परीक्षा आयोजित करने पर विचार कर रही है. वहीं बोर्ड परीक्षा आयोजित करने पर शिक्षकों की राय अलग है.
सरकार बोर्ड परीक्षाओं के लिए एग्जाम सेंटर की संख्या बढ़ाकर ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन पेपर के साथ 12वीं के छात्रों की बोर्ड परीक्षा आयोजित करने पर विचार कर रही है. वहीं दूसरी तरफ नेशनल एसोसिएशन फॉर पेरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स (एनएपीएसआर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरिफ खान का कहना है कि सरकार जल्दबाजी में 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को आयोजित करने की सोच रही है. सरकार को ये भी सोचना चाहिए कि अभी तक 18 साल से कम उम्र के बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू नहीं हुआ है. ऐसे में बोर्ड परीक्षा आयोजित करना पूरी तरह से असुरक्षित है.
ये भी पढ़ेंः 'कोविड पर संभल रही स्थिति, ब्लैक फंगस पर भी सरकार सतर्क'
10वीं की तरह प्रमोट हों 12वीं के बच्चे
आरिफ खान का कहना है कि यदि सरकार परीक्षा का आयोजन कराने जा रही है तो सरकार को परीक्षा किसी बड़े कम्युनिटी हॉल या खुले मैदान में परीक्षा का आयोजन कराना चाहिए. जिससे सोशल डिस्टेंसिंग का बेहतर तरह से पालन हो सकें. वहीं पिछले कई सालों से देहरादून में निजी स्कूल का संचालन कर रहे शिक्षक राकेश काला का कहना है कि सरकार को कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षाओं के तर्ज पर ही कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को भी रद्द कर देना चाहिए. जिस तरह कक्षा दसवीं के छात्रों को प्री बोर्ड परीक्षाओं में आए अंकों के आधार पर प्रमोट किया जा रहा है. उसी आधार पर कक्षा 12वीं के छात्रों को भी प्रमोट किया जाना चाहिए.
सीएम लेंगे आखिरी फैसला
हालांकि कोरोना की तीसरी लहर की दस्तक के बीच राज्य सरकार के लिए कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा आयोजित करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. बहरहाल, बोर्ड परीक्षा कब और किस तरह से आयोजित की जाएगी, इस पर अंतिम फैसला मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को लेना है.