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मेडिकल कॉलेज पर पिथौरागढ़ को मिला बस इंतजार, NPCC के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का फैसला - सीमांत जनपद पिथौरागढ़

सीमांत जनपद पिथौरागढ़ वालों का मेडिकल कॉलेज (Pithoragarh Medical College) का सपना हाल फिलहाल में पूरा होने के कोई आसार नहीं हैं. जनपद में मेडिकल कॉलेज बनने का सपना फिलहाल सपना ही बना हुआ है. स्थिति यह है कि दो बार हुए शिलान्यास के बाद भी मेडिकल कॉलेज के निर्माण को लेकर पिछले कई सालों में एक भी कदम आगे बढ़ाया नहीं जा सका है.

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Published : Nov 6, 2022, 12:44 PM IST

Updated : Nov 6, 2022, 5:56 PM IST

देहरादून: पर्वतीय अंचलों में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं (Uttarakhand Health Systems) की तस्वीर अक्सर सामने आती रहती है और सरकार सिस्टम की सुस्त चाल इसको और गंभीर बना देती है. सीमांत जनपद पिथौरागढ़ वालों का मेडिकल कॉलेज (Pithoragarh Medical College) का सपना हाल फिलहाल में पूरा होने के कोई आसार नहीं हैं. जनपद में मेडिकल कॉलेज बनने का सपना फिलहाल सपना ही बना हुआ है. स्थिति यह है कि दो बार हुए शिलान्यास के बाद भी मेडिकल कॉलेज के निर्माण को लेकर पिछले कई सालों में एक भी कदम आगे बढ़ाया नहीं जा सका है. यही नहीं भारत सरकार की कार्यदायी संस्था NPCC से भी मेडिकल कॉलेज के निर्माण (Pithoragarh Medical College building construction) से जुड़ा अनुबंध खत्म कर दिया गया है. जानिए क्या है पूरा मामला.

सपना बनकर रह गया मेडिकल कॉलेज: गौर हो कि उत्तराखंड में पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज के निर्माण की खबर कोई नई नहीं है, करीब 8 साल पहले जिस मेडिकल कॉलेज की घोषणा हुई थी, उस पर साल 2022 की समाप्ति तक भी कुछ खास काम नहीं हो पाया है. सबसे पहले जानिए कि पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज की जरूरत क्यों है और इसका कैसे कुमाऊं क्षेत्र को फायदा मिलेगा. दरअसल, पिथौरागढ़ एक पहाड़ी जिला है और यह दूरस्थ क्षेत्रों के कई ऐसे गांव हैं, जो अंतरराष्ट्रीय सीमा (Pithoragarh International Border) के करीब है. पिथौरागढ़ जिले की सीमा न केवल नेपाल से मिलती है बल्कि चीन के कब्जे वाला तिब्बत भी इससे मिलता है.

NPCC के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का फैसला.
पढ़ें-पिथौरागढ़: प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज को लेकर कांग्रेस ने राज्य सरकार पर साधा निशाना

मेडिकल कॉलेज का अधर में लटका कार्य: जाहिर है कि अंतरराष्ट्रीय सीमा से मिलने के कारण इसका महत्व बेहद ज्यादा है. यही नहीं गढ़वाल मंडल के चमोली से लेकर कुमाऊं के बागेश्वर अल्मोड़ा और चंपावत जिले की सीमाएं भी इससे लगती है. साफ है कि पिथौरागढ़ में मेडिकल कॉलेज स्थापित होने से न केवल चमोली बल्कि बागेश्वर अल्मोड़ा और नैनीताल जिले के एक बड़े हिस्से को स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ी राहत मिलेगी. लेकिन पिथौरागढ़ में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने का सपना फिलहाल अधर में लटका हुआ है.

जानिए कब क्या हुआ: साल 2014 में कांग्रेस सरकार के दौरान पिथौरागढ़ में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की घोषणा हुई थी और हरीश रावत मुख्यमंत्री रहते (Uttarakhand Harish Rawat Government) हुए विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास साल 2017 में किया था. जिसके बाद भाजपा सरकार आने पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के रहते पिथौरागढ़ और हरिद्वार मेडिकल कॉलेज को केंद्र से स्वीकृति मिली थी और भारत सरकार की कार्यदायी संस्था एनपीसीसी को मिली निर्माण की जिम्मेदारी दी गई.सितंबर 2021 में निर्माण कार्य से असंतुष्ट होकर उत्तराखंड एनपीसीसी के साथ अनुबंध खत्म किया और जिसके बाद पेयजल निगम (Uttarakhand Drinking Water Corporation) को कार्य दिया गया.
पढ़ें-पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज के लिए पद सृजित करने पर जताया सीएम का आभार

समय-समय पर हुई समीक्षा: पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज को लेकर लिए गए फैसलों और किए गए कार्यों का समय-समय पर परीक्षण भी किया गया और समीक्षा भी हुई. लेकिन हैरानी इस बात की है कि अनुबंध खत्म होने के बाद भी NPCC ने इससे जुड़े फंड और कार्यों को पेयजल निगम को ट्रांसफर नहीं किया. मेडिकल एजुकेशन के प्रभारी सचिव आर राजेश कुमार कहते हैं कि इन स्थितियों को देखते हुए उन्होंने कानूनी कार्रवाई किए जाने के निर्देश दिए.

चिकित्सा शिक्षा विभाग की सख्ती से जगी आस: चिकित्सा शिक्षा विभाग की तरफ से जिस तरह मामले में अब सख्त एक्शन का रुख अपनाया गया है. उसके बाद जल्द इस मामले में पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज के निर्माण का रास्ता साफ होने की उम्मीद जगी है. अब जानिए की मेडिकल कॉलेज के निर्माण को लेकर वित्तीय रूप से क्या व्यवस्था है.

बताते चलें कि मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए 455 करोड़ रुपए केंद्र की तरफ से स्वीकृत कर लिए गए हैं, साथ ही कॉलेज के निर्माण को सेंटर स्पॉन्सर्ड स्कीम के तहत तैयार किया जाना है. योजना के तहत 90% धन केंद्र और 10% राशि राज्य की तरफ से खर्च की जाएगी, जबकि करीब ₹82 करोड़ की राशि NPCC संस्था को दी गई थी जिसमें से 50 करोड़ वापस कर दिए गए हैं.

जानिए क्या कह रहे जिम्मेदार: मेडिकल एजुकेशन के निदेशक डॉ. आशुतोष सायना से भी इस मामले में ईटीवी संवाददाता ने बात की. मामले पर डॉ आशुतोष सायना ने कहा कि केंद्रीय कार्यालय संस्था ने कुछ फंड ट्रांसफर कर दिया है. लेकिन अभी कुछ फंड ट्रांसफर नहीं हुआ है, लिहाजा पुलिस में की गई शिकायत वापस नहीं ली गई है.

हालांकि वह यह भी कहते हैं कि इस मामले में शिकायत के आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज किया या नहीं इसकी जानकारी उन्हें नहीं है. पिथौरागढ़ में 25 एकड़ भूमि पर प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि अब तक पिथौरागढ़ से गंभीर बीमारी के मरीजों को 250 किलोमीटर दूर हल्द्वानी रेफर करना होता है, जिसमें देरी के कारण कई मरीजों की जान तक चल जाती है, इसे पिथौरागढ़ के साथ-साथ आसपास के जिले के लोगों को भी बड़ी राहत मिलेगी.

देहरादून: पर्वतीय अंचलों में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं (Uttarakhand Health Systems) की तस्वीर अक्सर सामने आती रहती है और सरकार सिस्टम की सुस्त चाल इसको और गंभीर बना देती है. सीमांत जनपद पिथौरागढ़ वालों का मेडिकल कॉलेज (Pithoragarh Medical College) का सपना हाल फिलहाल में पूरा होने के कोई आसार नहीं हैं. जनपद में मेडिकल कॉलेज बनने का सपना फिलहाल सपना ही बना हुआ है. स्थिति यह है कि दो बार हुए शिलान्यास के बाद भी मेडिकल कॉलेज के निर्माण को लेकर पिछले कई सालों में एक भी कदम आगे बढ़ाया नहीं जा सका है. यही नहीं भारत सरकार की कार्यदायी संस्था NPCC से भी मेडिकल कॉलेज के निर्माण (Pithoragarh Medical College building construction) से जुड़ा अनुबंध खत्म कर दिया गया है. जानिए क्या है पूरा मामला.

सपना बनकर रह गया मेडिकल कॉलेज: गौर हो कि उत्तराखंड में पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज के निर्माण की खबर कोई नई नहीं है, करीब 8 साल पहले जिस मेडिकल कॉलेज की घोषणा हुई थी, उस पर साल 2022 की समाप्ति तक भी कुछ खास काम नहीं हो पाया है. सबसे पहले जानिए कि पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज की जरूरत क्यों है और इसका कैसे कुमाऊं क्षेत्र को फायदा मिलेगा. दरअसल, पिथौरागढ़ एक पहाड़ी जिला है और यह दूरस्थ क्षेत्रों के कई ऐसे गांव हैं, जो अंतरराष्ट्रीय सीमा (Pithoragarh International Border) के करीब है. पिथौरागढ़ जिले की सीमा न केवल नेपाल से मिलती है बल्कि चीन के कब्जे वाला तिब्बत भी इससे मिलता है.

NPCC के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का फैसला.
पढ़ें-पिथौरागढ़: प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज को लेकर कांग्रेस ने राज्य सरकार पर साधा निशाना

मेडिकल कॉलेज का अधर में लटका कार्य: जाहिर है कि अंतरराष्ट्रीय सीमा से मिलने के कारण इसका महत्व बेहद ज्यादा है. यही नहीं गढ़वाल मंडल के चमोली से लेकर कुमाऊं के बागेश्वर अल्मोड़ा और चंपावत जिले की सीमाएं भी इससे लगती है. साफ है कि पिथौरागढ़ में मेडिकल कॉलेज स्थापित होने से न केवल चमोली बल्कि बागेश्वर अल्मोड़ा और नैनीताल जिले के एक बड़े हिस्से को स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ी राहत मिलेगी. लेकिन पिथौरागढ़ में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने का सपना फिलहाल अधर में लटका हुआ है.

जानिए कब क्या हुआ: साल 2014 में कांग्रेस सरकार के दौरान पिथौरागढ़ में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की घोषणा हुई थी और हरीश रावत मुख्यमंत्री रहते (Uttarakhand Harish Rawat Government) हुए विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास साल 2017 में किया था. जिसके बाद भाजपा सरकार आने पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के रहते पिथौरागढ़ और हरिद्वार मेडिकल कॉलेज को केंद्र से स्वीकृति मिली थी और भारत सरकार की कार्यदायी संस्था एनपीसीसी को मिली निर्माण की जिम्मेदारी दी गई.सितंबर 2021 में निर्माण कार्य से असंतुष्ट होकर उत्तराखंड एनपीसीसी के साथ अनुबंध खत्म किया और जिसके बाद पेयजल निगम (Uttarakhand Drinking Water Corporation) को कार्य दिया गया.
पढ़ें-पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज के लिए पद सृजित करने पर जताया सीएम का आभार

समय-समय पर हुई समीक्षा: पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज को लेकर लिए गए फैसलों और किए गए कार्यों का समय-समय पर परीक्षण भी किया गया और समीक्षा भी हुई. लेकिन हैरानी इस बात की है कि अनुबंध खत्म होने के बाद भी NPCC ने इससे जुड़े फंड और कार्यों को पेयजल निगम को ट्रांसफर नहीं किया. मेडिकल एजुकेशन के प्रभारी सचिव आर राजेश कुमार कहते हैं कि इन स्थितियों को देखते हुए उन्होंने कानूनी कार्रवाई किए जाने के निर्देश दिए.

चिकित्सा शिक्षा विभाग की सख्ती से जगी आस: चिकित्सा शिक्षा विभाग की तरफ से जिस तरह मामले में अब सख्त एक्शन का रुख अपनाया गया है. उसके बाद जल्द इस मामले में पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज के निर्माण का रास्ता साफ होने की उम्मीद जगी है. अब जानिए की मेडिकल कॉलेज के निर्माण को लेकर वित्तीय रूप से क्या व्यवस्था है.

बताते चलें कि मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए 455 करोड़ रुपए केंद्र की तरफ से स्वीकृत कर लिए गए हैं, साथ ही कॉलेज के निर्माण को सेंटर स्पॉन्सर्ड स्कीम के तहत तैयार किया जाना है. योजना के तहत 90% धन केंद्र और 10% राशि राज्य की तरफ से खर्च की जाएगी, जबकि करीब ₹82 करोड़ की राशि NPCC संस्था को दी गई थी जिसमें से 50 करोड़ वापस कर दिए गए हैं.

जानिए क्या कह रहे जिम्मेदार: मेडिकल एजुकेशन के निदेशक डॉ. आशुतोष सायना से भी इस मामले में ईटीवी संवाददाता ने बात की. मामले पर डॉ आशुतोष सायना ने कहा कि केंद्रीय कार्यालय संस्था ने कुछ फंड ट्रांसफर कर दिया है. लेकिन अभी कुछ फंड ट्रांसफर नहीं हुआ है, लिहाजा पुलिस में की गई शिकायत वापस नहीं ली गई है.

हालांकि वह यह भी कहते हैं कि इस मामले में शिकायत के आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज किया या नहीं इसकी जानकारी उन्हें नहीं है. पिथौरागढ़ में 25 एकड़ भूमि पर प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि अब तक पिथौरागढ़ से गंभीर बीमारी के मरीजों को 250 किलोमीटर दूर हल्द्वानी रेफर करना होता है, जिसमें देरी के कारण कई मरीजों की जान तक चल जाती है, इसे पिथौरागढ़ के साथ-साथ आसपास के जिले के लोगों को भी बड़ी राहत मिलेगी.

Last Updated : Nov 6, 2022, 5:56 PM IST
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