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बारिश-बाढ़ में उत्तराखंड का आपदा प्रबंधन विभाग भी 'डूबा', फंड खर्च करने में फिसड्डी

भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में राज्य आपदा मद के तहत राज्य सरकार को 937 करोड़ रुपए की धनराशि उपलब्ध कराई थी. मगर राज्य सरकार ने अभी तक मात्र 263.68 करोड़ रुपए की धनराशि ही जिलों को आवंटित की है. जिससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं.

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डिजास्टर फंड को ही नहीं मैनेज कर पाया आपदा विभाग
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Published : Aug 28, 2021, 5:59 PM IST

Updated : Aug 28, 2021, 10:19 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण प्रदेश में आपदा जैसे हालात बनना आम बात है. मॉनसून सीजन के दौरान प्रदेश में स्थितियां और भी भयावह हो जाती हैं. जिससे निपटने को लेकर राज्य सरकार की तमाम तैयारियां नाकाफी साबित होती हैं. बीते दो-तीन दिनों से हो रही बारिश के कारण एक बार फिर से प्रदेश में हालात बेकाबू हो गये हैं. प्रदेश की सैकड़ों सड़कें क्षतिग्रस्त है, कई राजमार्ग बाधित हैं, क्षेत्र जलमग्न हैं, जन जीवन अस्त व्यस्त है. बावजूद इसके अब तक लोगों तक मदद नहीं पहुंच पा रही है. अभी तक के मिले आंकड़ों के लिहाज से बात करे तो आपदा मद से मिलने वाले धन को आवंटित करने में आपदा विभाग फिसड्डी साबित हुआ है.

बता दें भारत सरकार भी आपदा के मद्देनजर, राज्य को सैकड़ों करोड़ रुपये देता है. जिसका इस्तेमाल आपदा के तहत बचाव कार्य में किया जाता है. मगर वर्तमान वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार मात्र 28 प्रतिशत पैसा ही जिलों को उपलब्ध करा पायी है.

बारिश-बाढ़ में उत्तराखंड का आपदा प्रबंधन विभाग भी 'डूबा'

पढ़ें-घायलों ने रानीपोखरी पुल हादसे का आंखों देखा हाल सुनाया, कैसे दो हिस्सों में बंटा पुल...सुनिए

हर साल मॉनसून सीजन के दौरान उत्तराखंड के तमाम क्षेत्र बारिश की वजह से आपदा से प्रभावित होते हैं. इस दौरान जानमाल दोनों का ही नुकसान होता है. जिसे देखते हुए राज्य सरकार मॉनसून सीजन से पहले ही आपदा संबंधी व्यवस्थाओं को मुकम्मल करने में जुट जाती है. मगर मॉनसून सीजन के दौरान स्थितियां इतना विकट हो जाती हैं कि राज्य सरकार की व्यवस्थाएं नाकाफी साबित होती हैं.

जिसकी बानगी आजकल देखी जा सकती है. प्रदेश का एक भी ऐसा जिला नहीं है जो भारी बारिश की चपेट में न आया हो. भारी बारिश होने की वजह से प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों समेत मैदानी क्षेत्रों में न सिर्फ सड़कें बाधित और क्षतिग्रस्त हो गई हैं. बल्कि लोगों का जीना भी मुहाल हो गया है. राजधानी देहरादून समेत प्रदेश के तमाम मैदानी और पर्वतीय क्षेत्रों में बीते 2 दिनों से भारी बारिश हो रही है.

uttarakhand-government-has-been-able-to-provide-only-28-percent-of-the-disaster-fund-to-the-districts-in-this-financial-year
जिलों को आवंटित आपदा मद धनराशि

जिसके चलते जिला देहरादून के कई सड़कों और पुलों के गिरने के साथ ही प्रदेश के पर्वतीय जिलों में भी सड़कें बाधित होने की सूचनाएं लगातार आ रही हैं. यही नहीं, पर्वतीय क्षेत्रों समेत मैदानी क्षेत्रों में कई जगहों पर लोगों के घरों में पानी घुस गया है. कुछ जगहों सड़कें पूरी तरह से जलमग्न हो गई हैं. यही नहीं, राज्य में बहने वाली सभी नदियां पूरे उफान पर हैं.

पढ़ें- FOLLOW UP: रानीपोखरी पुल पर बनाई जा रही सुरक्षा दीवार, आवाजाही पूरी तरह बंद

बारिश-लैंडस्लाइड से 200 से ज्यादा सड़कें बाधित: उत्तराखंड में बीते दो दिनों से हो रही लगातार हो रही भारी बारिश के चलते स्थितियां दिनों-दिन बिगड़ती जा रही हैं. आलम यह है कि भूस्खलन और भू धंसाव से पांच नेशनल हाईवे समेत कुल 200 से ज्यादा सड़कें बंद हैं. जिन्हें खोलने का प्रयास किया जा रहा है.

टिहरी जिला प्रशासन ने ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग 58 को तपोवन से मलेथा तक आवागमन के लिए बंद कर दिया है. वहीं, पहाड़ियों से लगातार पत्थर और बोल्डर गिरने से पर्वतीय क्षेत्रों की यात्रा भी खतरनाक बनी हुई है. ऐसे में लोगों को इन दिनों पहाड़ की यात्रा टालने की सलाह दी गई है. यही नहीं, हरिद्वार में गंगा भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. ऐसे में प्रशासन ने पांच जिलों में हाई अलर्ट जारी किया है. साथ ही पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश को भी अलर्ट रहने को कहा गया है.

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जिलों को आवंटित आपदा मद धनराशि

पढ़ें- ऋषिकेश: विभागीय लापरवाही लोगों के जान पर पड़ रही भारी, पेड़ों के पातन की नहीं मिली परमिशन

करीब 28 फीसदी बजट किया गया है आवंटित: आपदा के दृष्टिगत भारत सरकार सभी राज्यों को आपदा से निपटने के लिए बजट उपलब्ध कराता है. जिससे आपदा के समय राहत बचाव कार्यों के दौरान बजट के अभाव के चलते स्थितियां और भयानक ना हो. इसी क्रम में भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में राज्य आपदा जोखिम प्रबंधन निधि के तहत उत्तराखंड राज्य को केंद्रांश रूप में 937 करोड़ रुपए की धनराशि उपलब्ध कराई थी.

मगर उत्तराखंड राज्य सरकार ने अभी तक मात्र 263.68 करोड़ रुपए की धनराशि ही जिलों को आवंटित की है. जबकि माॉसून सीजन से पहले इस बजट को जिलों को आवंटित किया जाना चाहिए था, ताकि आपदा से निपटने में जिलों को और आसानी होती.

आपदा मद में केंद्र से प्राप्त धनराशि का जिलावार आवंटन: बागेश्वर जिले को आपदा मद के तहत केंद्र सरकार से प्राप्त धनराशि में से अभी तक 13 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. पिथौरागढ़ जिले को अभी तक 15.667 करोड़, अल्मोड़ा को 15 करोड़, नैनीताल जिले को 16 करोड़, चंपावत जिले को 14 करोड़, उधमसिंह नगर को 18 करोड़ रुपये मिले हैं.

देहरादून जिले को आवंटित हुई सबसे अधिक धनराशि: वहीं बात अगर गढ़वाल मंडल की करें तो देहरादून जिले को आपदा मद के तहत केंद्र सरकार से प्राप्त धनराशि में से अभी तक देहरादून को 33 करोड़, हरिद्वार को 36 करोड़, टिहरी गढ़वाल जिले को 19 करोड़, चमोली जिले को 34 करोड़, रुद्रप्रयाग जिले को 15 करोड़, उत्तरकाशी जिले को 17 करोड़, पौड़ी गढ़वाल जिले को अभी तक 18 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं. अभी तक चमोली जिले को सबसे ज्यादा राशि आवंटित की गई है.

पढ़ें- हरिद्वार: बारिश के पानी में फंसी बस, भगत सिंह चौक हुआ जलमग्न

नदी-नालों के किनारे रहने वाले लोगों को सतर्क रहने के निर्देश: देहरादून, हरिद्वार, हल्द्वानी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग और टिहरी में बारिश का दौर जारी है. मौसम विभाग ने अगले 24 से 36 घंटे तक प्रदेश के नैनीताल, चंपावत, बागेश्वर और पिथौरागढ़ समेत अन्य जिलों में भारी बारिश की संभावना जताई है. इसे देखते हुए मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह ने नदी नालों के किनारे रहने वाले लोगों को सतर्क रहने के निर्देश दिये हैं. साथ ही उन्होंने कहा 30 अगस्त से 3 अगस्त तक प्रदेश में बारिश की एक्टिविटी में थोड़ी गिरावट देखी जाएगी.

पढ़ें- ऋषिकेश से श्रीनगर के बीच NH-58 पर बढ़े डेंजर जोन, 24 से अधिक प्वॉइंट्स पर लैंडस्लाइड

भारी बारिश है ग्लोबल वार्मिंग का दुष्परिणाम: वहीं, पीडब्ल्यूडी मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि प्रदेश में जो भारी बारिश हो रही है वह ग्लोबल वॉर्मिंग का ही दुष्परिणाम है. उन्होंने कहा प्रदेश की स्थितियों की राज्य सरकार लगातार मॉनिटरिंग कर रही है. ऐसे में सरकार ने जनता से यह अनुरोध किया है कि बेवजह घरों से बाहर न निकले. कम यात्रा करने की भी अपील सरकार की ओर से की गई है. उन्होंने कहा पिछले 2 दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश को देखते हुए सिंचाई विभाग और पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि मौके पर जाकर स्थितियों का मुआयना करें.

पढ़ें- बारिश-लैंडस्लाइड से 200 से ज्यादा सड़कें बंद, 5 जिलों में हाई अलर्ट, गंगा डेंजर मार्क से ऊपर

आपदा प्रभावित क्षेत्रो में पहुंचाई जा रही राहत सामग्री: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा बारिश के कारण रानीपोखरी पुल समेत तमाम सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं. राज्य सरकार लगातार स्थितियों पर नजर बनाए हुए है. राहत संबंधी कार्य लगातार किए जा रहे हैं. दवाइयां, खाद्य सामग्री आदि आपदा प्रभावित क्षेत्रों में भेजी जा रही हैं.

पढ़ें- खुशखबरी: 1 सितंबर से पर्यटकों के लिए खुलेगा FRI, यहां करना होगा रजिस्ट्रेशन

सड़कें खोलने के लिए तैनात की गयी है 400 जेसीबी: वहीं, आपदा मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि राज्य में पिछले 2 दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश हो रही है. जिसके चलते तमाम सड़कें बाधित हो गई हैं. जिसे खोलने के लिए 400 जेसीबी तैनात की गई हैं, जो लगातार सड़कों को खोलने का कार्य कर रही हैं. इन सबके अतिरिक्त वैकल्पिक व्यवस्था भी की जा रही है, ताकि आवागमन सुचारू किया जा सके. धन सिंह रावत ने बताया कि पूरा आपदा तंत्र और सरकारी मशीनरी अलर्ट मोड पर है. उन्होंने सरकारी मशीनरी को निगरानी रखने के सख्त निर्देश दिये हैं.

देहरादून: उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण प्रदेश में आपदा जैसे हालात बनना आम बात है. मॉनसून सीजन के दौरान प्रदेश में स्थितियां और भी भयावह हो जाती हैं. जिससे निपटने को लेकर राज्य सरकार की तमाम तैयारियां नाकाफी साबित होती हैं. बीते दो-तीन दिनों से हो रही बारिश के कारण एक बार फिर से प्रदेश में हालात बेकाबू हो गये हैं. प्रदेश की सैकड़ों सड़कें क्षतिग्रस्त है, कई राजमार्ग बाधित हैं, क्षेत्र जलमग्न हैं, जन जीवन अस्त व्यस्त है. बावजूद इसके अब तक लोगों तक मदद नहीं पहुंच पा रही है. अभी तक के मिले आंकड़ों के लिहाज से बात करे तो आपदा मद से मिलने वाले धन को आवंटित करने में आपदा विभाग फिसड्डी साबित हुआ है.

बता दें भारत सरकार भी आपदा के मद्देनजर, राज्य को सैकड़ों करोड़ रुपये देता है. जिसका इस्तेमाल आपदा के तहत बचाव कार्य में किया जाता है. मगर वर्तमान वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार मात्र 28 प्रतिशत पैसा ही जिलों को उपलब्ध करा पायी है.

बारिश-बाढ़ में उत्तराखंड का आपदा प्रबंधन विभाग भी 'डूबा'

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हर साल मॉनसून सीजन के दौरान उत्तराखंड के तमाम क्षेत्र बारिश की वजह से आपदा से प्रभावित होते हैं. इस दौरान जानमाल दोनों का ही नुकसान होता है. जिसे देखते हुए राज्य सरकार मॉनसून सीजन से पहले ही आपदा संबंधी व्यवस्थाओं को मुकम्मल करने में जुट जाती है. मगर मॉनसून सीजन के दौरान स्थितियां इतना विकट हो जाती हैं कि राज्य सरकार की व्यवस्थाएं नाकाफी साबित होती हैं.

जिसकी बानगी आजकल देखी जा सकती है. प्रदेश का एक भी ऐसा जिला नहीं है जो भारी बारिश की चपेट में न आया हो. भारी बारिश होने की वजह से प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों समेत मैदानी क्षेत्रों में न सिर्फ सड़कें बाधित और क्षतिग्रस्त हो गई हैं. बल्कि लोगों का जीना भी मुहाल हो गया है. राजधानी देहरादून समेत प्रदेश के तमाम मैदानी और पर्वतीय क्षेत्रों में बीते 2 दिनों से भारी बारिश हो रही है.

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जिलों को आवंटित आपदा मद धनराशि

जिसके चलते जिला देहरादून के कई सड़कों और पुलों के गिरने के साथ ही प्रदेश के पर्वतीय जिलों में भी सड़कें बाधित होने की सूचनाएं लगातार आ रही हैं. यही नहीं, पर्वतीय क्षेत्रों समेत मैदानी क्षेत्रों में कई जगहों पर लोगों के घरों में पानी घुस गया है. कुछ जगहों सड़कें पूरी तरह से जलमग्न हो गई हैं. यही नहीं, राज्य में बहने वाली सभी नदियां पूरे उफान पर हैं.

पढ़ें- FOLLOW UP: रानीपोखरी पुल पर बनाई जा रही सुरक्षा दीवार, आवाजाही पूरी तरह बंद

बारिश-लैंडस्लाइड से 200 से ज्यादा सड़कें बाधित: उत्तराखंड में बीते दो दिनों से हो रही लगातार हो रही भारी बारिश के चलते स्थितियां दिनों-दिन बिगड़ती जा रही हैं. आलम यह है कि भूस्खलन और भू धंसाव से पांच नेशनल हाईवे समेत कुल 200 से ज्यादा सड़कें बंद हैं. जिन्हें खोलने का प्रयास किया जा रहा है.

टिहरी जिला प्रशासन ने ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग 58 को तपोवन से मलेथा तक आवागमन के लिए बंद कर दिया है. वहीं, पहाड़ियों से लगातार पत्थर और बोल्डर गिरने से पर्वतीय क्षेत्रों की यात्रा भी खतरनाक बनी हुई है. ऐसे में लोगों को इन दिनों पहाड़ की यात्रा टालने की सलाह दी गई है. यही नहीं, हरिद्वार में गंगा भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. ऐसे में प्रशासन ने पांच जिलों में हाई अलर्ट जारी किया है. साथ ही पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश को भी अलर्ट रहने को कहा गया है.

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जिलों को आवंटित आपदा मद धनराशि

पढ़ें- ऋषिकेश: विभागीय लापरवाही लोगों के जान पर पड़ रही भारी, पेड़ों के पातन की नहीं मिली परमिशन

करीब 28 फीसदी बजट किया गया है आवंटित: आपदा के दृष्टिगत भारत सरकार सभी राज्यों को आपदा से निपटने के लिए बजट उपलब्ध कराता है. जिससे आपदा के समय राहत बचाव कार्यों के दौरान बजट के अभाव के चलते स्थितियां और भयानक ना हो. इसी क्रम में भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में राज्य आपदा जोखिम प्रबंधन निधि के तहत उत्तराखंड राज्य को केंद्रांश रूप में 937 करोड़ रुपए की धनराशि उपलब्ध कराई थी.

मगर उत्तराखंड राज्य सरकार ने अभी तक मात्र 263.68 करोड़ रुपए की धनराशि ही जिलों को आवंटित की है. जबकि माॉसून सीजन से पहले इस बजट को जिलों को आवंटित किया जाना चाहिए था, ताकि आपदा से निपटने में जिलों को और आसानी होती.

आपदा मद में केंद्र से प्राप्त धनराशि का जिलावार आवंटन: बागेश्वर जिले को आपदा मद के तहत केंद्र सरकार से प्राप्त धनराशि में से अभी तक 13 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. पिथौरागढ़ जिले को अभी तक 15.667 करोड़, अल्मोड़ा को 15 करोड़, नैनीताल जिले को 16 करोड़, चंपावत जिले को 14 करोड़, उधमसिंह नगर को 18 करोड़ रुपये मिले हैं.

देहरादून जिले को आवंटित हुई सबसे अधिक धनराशि: वहीं बात अगर गढ़वाल मंडल की करें तो देहरादून जिले को आपदा मद के तहत केंद्र सरकार से प्राप्त धनराशि में से अभी तक देहरादून को 33 करोड़, हरिद्वार को 36 करोड़, टिहरी गढ़वाल जिले को 19 करोड़, चमोली जिले को 34 करोड़, रुद्रप्रयाग जिले को 15 करोड़, उत्तरकाशी जिले को 17 करोड़, पौड़ी गढ़वाल जिले को अभी तक 18 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं. अभी तक चमोली जिले को सबसे ज्यादा राशि आवंटित की गई है.

पढ़ें- हरिद्वार: बारिश के पानी में फंसी बस, भगत सिंह चौक हुआ जलमग्न

नदी-नालों के किनारे रहने वाले लोगों को सतर्क रहने के निर्देश: देहरादून, हरिद्वार, हल्द्वानी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग और टिहरी में बारिश का दौर जारी है. मौसम विभाग ने अगले 24 से 36 घंटे तक प्रदेश के नैनीताल, चंपावत, बागेश्वर और पिथौरागढ़ समेत अन्य जिलों में भारी बारिश की संभावना जताई है. इसे देखते हुए मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह ने नदी नालों के किनारे रहने वाले लोगों को सतर्क रहने के निर्देश दिये हैं. साथ ही उन्होंने कहा 30 अगस्त से 3 अगस्त तक प्रदेश में बारिश की एक्टिविटी में थोड़ी गिरावट देखी जाएगी.

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भारी बारिश है ग्लोबल वार्मिंग का दुष्परिणाम: वहीं, पीडब्ल्यूडी मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि प्रदेश में जो भारी बारिश हो रही है वह ग्लोबल वॉर्मिंग का ही दुष्परिणाम है. उन्होंने कहा प्रदेश की स्थितियों की राज्य सरकार लगातार मॉनिटरिंग कर रही है. ऐसे में सरकार ने जनता से यह अनुरोध किया है कि बेवजह घरों से बाहर न निकले. कम यात्रा करने की भी अपील सरकार की ओर से की गई है. उन्होंने कहा पिछले 2 दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश को देखते हुए सिंचाई विभाग और पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि मौके पर जाकर स्थितियों का मुआयना करें.

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आपदा प्रभावित क्षेत्रो में पहुंचाई जा रही राहत सामग्री: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा बारिश के कारण रानीपोखरी पुल समेत तमाम सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं. राज्य सरकार लगातार स्थितियों पर नजर बनाए हुए है. राहत संबंधी कार्य लगातार किए जा रहे हैं. दवाइयां, खाद्य सामग्री आदि आपदा प्रभावित क्षेत्रों में भेजी जा रही हैं.

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सड़कें खोलने के लिए तैनात की गयी है 400 जेसीबी: वहीं, आपदा मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि राज्य में पिछले 2 दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश हो रही है. जिसके चलते तमाम सड़कें बाधित हो गई हैं. जिसे खोलने के लिए 400 जेसीबी तैनात की गई हैं, जो लगातार सड़कों को खोलने का कार्य कर रही हैं. इन सबके अतिरिक्त वैकल्पिक व्यवस्था भी की जा रही है, ताकि आवागमन सुचारू किया जा सके. धन सिंह रावत ने बताया कि पूरा आपदा तंत्र और सरकारी मशीनरी अलर्ट मोड पर है. उन्होंने सरकारी मशीनरी को निगरानी रखने के सख्त निर्देश दिये हैं.

Last Updated : Aug 28, 2021, 10:19 PM IST
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