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निजी चिकित्सालयों के लिए सरकार ने कोरोना के इलाज का शुल्क किया तय

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Published : Sep 2, 2020, 10:23 PM IST

प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने ये निर्णय लिया है, ताकि मरीजों को सही समय पर और कम खर्च में बेहतर इलाज मिल सके.

फाइल फोटो
फाइल फोटो

देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने अब प्राइवेट अस्पतालों के लिए भी कोरोना के इलाज का शुल्क तय कर दिया है. इसके लिए सरकार ने अस्पतालों को 2 कैटेगरी में विभाजित किया है और इसी लिहाज से शुल्क का भी निर्धारण किया गया है. अब प्रदेश में निजी चिकित्सालय मरीजों को निर्धारित शुल्क पर कोरोना का इलाज दे सकेंगे.

उत्तराखंड में अब तक सरकारी अस्पतालों में ही कोरोना वायरस का इलाज हो पा रहा था, लेकिन अब सरकार ने निजी चिकित्सालय को भी वायरस से ग्रसित मरीजों के इलाज की अनुमति दे दी है. ऐसे में सरकार ने निजी चिकित्सालयों के लिए मरीजों के इलाज का शुल्क भी निर्धारित किया है.

पढ़ें- उत्तराखंड सचिवालय के सभी कर्मचारियों का होगा एंटीजन टेस्ट, आदेश जारी

इसके अनुसार प्रदेश में सामान्य, गंभीर और अति गंभीर मरीजों के लिए अलग-अलग शुल्क तय किया गया है. NABH से पंजीकृत अस्पतालों में इस शुल्क को 10,000 से 18000 रखा गया है. उधर, NABH से गैर पंजीकृत अस्पतालों के लिए 8000 से 15000 तक का शुल्क रखा गया है. इसमें आईसीएमआर की गाइड लाइन के अनुसार इलाज किया जाएगा. अस्पतालों को 25% बेड सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों और अटल आयुष्मान के मरीजों के लिए आरक्षित करने होंगे.

देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने अब प्राइवेट अस्पतालों के लिए भी कोरोना के इलाज का शुल्क तय कर दिया है. इसके लिए सरकार ने अस्पतालों को 2 कैटेगरी में विभाजित किया है और इसी लिहाज से शुल्क का भी निर्धारण किया गया है. अब प्रदेश में निजी चिकित्सालय मरीजों को निर्धारित शुल्क पर कोरोना का इलाज दे सकेंगे.

उत्तराखंड में अब तक सरकारी अस्पतालों में ही कोरोना वायरस का इलाज हो पा रहा था, लेकिन अब सरकार ने निजी चिकित्सालय को भी वायरस से ग्रसित मरीजों के इलाज की अनुमति दे दी है. ऐसे में सरकार ने निजी चिकित्सालयों के लिए मरीजों के इलाज का शुल्क भी निर्धारित किया है.

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इसके अनुसार प्रदेश में सामान्य, गंभीर और अति गंभीर मरीजों के लिए अलग-अलग शुल्क तय किया गया है. NABH से पंजीकृत अस्पतालों में इस शुल्क को 10,000 से 18000 रखा गया है. उधर, NABH से गैर पंजीकृत अस्पतालों के लिए 8000 से 15000 तक का शुल्क रखा गया है. इसमें आईसीएमआर की गाइड लाइन के अनुसार इलाज किया जाएगा. अस्पतालों को 25% बेड सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों और अटल आयुष्मान के मरीजों के लिए आरक्षित करने होंगे.

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