देहरादून: ऊर्जा विभाग में उपनल कर्मचारियों के परिवर्तनीय महंगाई भत्ते पर शासन में बवाल मच गया है. स्थिति यह है कि कर्मचारियों को शासन ने महंगाई भत्ता देने का आदेश किया और अगले 24 घंटे में ही इस आदेश को स्थगित भी करना पड़ गया. फिलहाल आदेश को स्थगित करने के पीछे राज्य भर के कर्मचारियों द्वारा इसी आधार पर महंगाई भत्ता दिए जाने की मांग करने की आशंका को देखते हुए किया गया है.
उत्तराखंड शासन में आज ऊर्जा निगम के उपनल कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिए जाने से जुड़ा आदेश चर्चाओं में रहा. खबर है कि इस आदेश के सार्वजनिक होने के बाद मामला वित्त विभाग के अफसरों से होते हुए मुख्य सचिव तक जा पहुंचा. दरअसल, ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने उपनल से तीनों ऊर्जा निगमों में काम करने वाले कर्मचारियों को परिवर्तनीय महंगाई भत्ता दिए जाने के लिए मंजूरी से जुड़ा आदेश जारी किया था. इसके बाद ऊर्जा निगम के करीब 3500 कर्मचारियों को इसका लाभ मिलना था.
लेकिन ऐसा हो पाता इससे पहले ही आदेश होने के अगले 24 घंटे में ही ऐसा विरोध हुआ कि ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम को यह आदेश वापस लेना पड़ गया. चर्चा यह भी रही कि वित्त विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने इस पर आपत्ति दर्ज कराई और यह मामला मुख्य सचिव के संज्ञान में भी ला दिया गया. इस सब के बाद ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने ऊर्जा निगम में कार्यरत उपनल कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिए जाने से जुड़े आदेश को स्थगित कर दिया है.
ऊर्जा कर्मचारियों ने भी महंगाई भत्ता दिए जाने के आदेश जारी होने के बाद शासन और सरकार का शुक्रिया अदा किया और विपरीत परिस्थितियों में काम करने की बात कहते हुए सचिव ऊर्जा के निर्णय को राज्य हित में बताया था. अभी ऊर्जा निगम के कर्मचारी पहले आदेश पर सरकार और शासन की तारीफ कर ही रहे थे कि अगले ही दिन दूसरे आदेश ने इन कर्मचारियों को निराश कर दिया है.सचिव ऊर्जा आर मीनाक्षी सुंदरम से ईटीवी भारत संवाददाता से बातचीत की और इस आदेश को स्थगित किए जाने के पीछे के कारणों पर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि वित्त विभाग की तरफ से इस पर आपत्ति दर्ज कराई गई थी, जिसके बाद फिलहाल इस आदेश को स्थगित कर दिया गया है.
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बता दें कि इससे पहले मुख्यमंत्री से लेकर मुख्य सचिव और वित्त के अधिकारियों के सामने ही इन कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिए जाने की सहमति दी जा चुकी है. जिसके बाद ऊर्जा निगमों ने बोर्ड में इन कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिए जाने पर स्वीकृति भी दी थी. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जब कर्मचारियों के सम्मुख भी मुख्यमंत्री से लेकर तमाम अधिकारियों की मौजूदगी में महंगाई भत्ता दिए जाने पर सहमति दे दी गई थी तो ऐसे में वित्त विभाग ने आदेश होने के बाद अड़ंगा क्यों लगाया.