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गजब! मास्साबों ने ही नहीं पढ़ी गणित-अंग्रेजी, तो पढ़ाएंगे क्या ?

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Published : Oct 5, 2019, 1:41 PM IST

राज्य के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों ने इंटरमीडिएट स्तर पर गणित और अंग्रेजी विषय की पढ़ाई की ही नहीं है. जिसे बच्चों के इन दो विषयों में कमजोरी की प्रमुख वजह माना जा रहा है.

कॉन्सेप्ट इमेज.

देहरादून: प्रदेश में शिक्षा के स्तर को उठाने के लिए सरकार हमेशा प्रयासरत रहती है. लेकिन इसी के इतर सूबे के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को लेकर चौंकाने वाली खबर सामने आई है. जानकारी के अनुसार राज्य के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों ने इंटरमीडिएट स्तर पर गणित और अंग्रेजी विषय की पढ़ाई की ही नहीं है. राज्य के बेसिक और जूनियर स्तर के हजारों शिक्षकों के पास इंटरमीडिएट स्तर पर यह दोनों ही विषय नहीं हैं. जिसे बच्चों के इन दो विषयों में कमजोरी की प्रमुख वजह माना जा रहा है.

गौर हो कि उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में छात्रों के लिए अंग्रेजी और गणित विषय बेहद कठिन दिखाई देता है. माना जाता है कि जूनियर और बेसिक स्तर पर सरकारी स्कूल के छात्र गणित और अंग्रेजी विषय में कमजोर रहते हैं. जिसके लिए अब तक इसके लिए कई वजह मानी जाती रही है लेकिन. राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के शिक्षकों के शैक्षिक रिकॉर्ड की समीक्षा के बाद आयी जानकारी से नया खुलासा हुआ है.

पढ़ें-IIT रुड़की के बाद निजी दौरे पर हरिद्वार पहुंचे महामहिम, भगवान शिव का लिया आशीर्वाद

जिसमें प्रदेश के बेसिक और जूनियर स्तर पर हजारों शिक्षकों ने इंटरमीडिएट स्तर पर अंग्रेजी और गणित के विषयों को पढ़ा ही नहीं है. वहीं, ज्यादातर शिक्षक हिंदी और संस्कृत विषय पर आधारित रहे या गणित की जगह इन टीचरों ने होम साइंस विषय की पढ़ाई की. रिकॉर्ड के अनुसार 9296 शिक्षकों ने इंटरमीडिएट में अंग्रेजी नहीं पढ़ी, जबकि 25934 शिक्षकों ने गणित की पढ़ाई की ही नहीं हैं.

देहरादून: प्रदेश में शिक्षा के स्तर को उठाने के लिए सरकार हमेशा प्रयासरत रहती है. लेकिन इसी के इतर सूबे के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को लेकर चौंकाने वाली खबर सामने आई है. जानकारी के अनुसार राज्य के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों ने इंटरमीडिएट स्तर पर गणित और अंग्रेजी विषय की पढ़ाई की ही नहीं है. राज्य के बेसिक और जूनियर स्तर के हजारों शिक्षकों के पास इंटरमीडिएट स्तर पर यह दोनों ही विषय नहीं हैं. जिसे बच्चों के इन दो विषयों में कमजोरी की प्रमुख वजह माना जा रहा है.

गौर हो कि उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में छात्रों के लिए अंग्रेजी और गणित विषय बेहद कठिन दिखाई देता है. माना जाता है कि जूनियर और बेसिक स्तर पर सरकारी स्कूल के छात्र गणित और अंग्रेजी विषय में कमजोर रहते हैं. जिसके लिए अब तक इसके लिए कई वजह मानी जाती रही है लेकिन. राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के शिक्षकों के शैक्षिक रिकॉर्ड की समीक्षा के बाद आयी जानकारी से नया खुलासा हुआ है.

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जिसमें प्रदेश के बेसिक और जूनियर स्तर पर हजारों शिक्षकों ने इंटरमीडिएट स्तर पर अंग्रेजी और गणित के विषयों को पढ़ा ही नहीं है. वहीं, ज्यादातर शिक्षक हिंदी और संस्कृत विषय पर आधारित रहे या गणित की जगह इन टीचरों ने होम साइंस विषय की पढ़ाई की. रिकॉर्ड के अनुसार 9296 शिक्षकों ने इंटरमीडिएट में अंग्रेजी नहीं पढ़ी, जबकि 25934 शिक्षकों ने गणित की पढ़ाई की ही नहीं हैं.

Intro:summary- उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को लेकर चौंकाने वाली खबर सामने आई है... जानकारी के अनुसार राज्य के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों ने इंटरमीडिएट स्तर पर गणित और अंग्रेजी विषय पढ़ा ही नहीं...दरअसल बेसिक और जूनियर स्तर के हजारों शिक्षकों के पास इंटरमीडिएट स्तर पर यह दोनों ही विषय नहीं थे।।


Body:उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में छात्रों के लिए अंग्रेजी और गणित विषय बेहद कठिन दिखाई देता है... माना जाता है कि जूनियर और बेसिक स्तर पर सरकारी स्कूल के छात्र गणित और अंग्रेजी विषय में कहां से कमजोर रहते हैं... यूं तो अब तक इसके लिए कई वजह मानी जाती रही है लेकिन... राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के शिक्षकों के शैक्षिक रिकॉर्ड की समीक्षा के बाद आयी जानकारी से नया खुलासा हुआ है... दर्शन शिक्षा के दौरान यह बात सामने आई है कि बेसिक और जूनियर स्तर पर हजारों शिक्षकों ने इंटरमीडिएट स्तर पर अंग्रेजी और गणित के विषयों को नहीं पढ़ा.... ज्यादातर शिक्षक हिंदी और संस्कृत विषय पर आधारित रहे या फिर होम साइंस विषय ही इन शिक्षकों ने गणित के बदले पढ़ा। मौजूद रिकॉर्ड के अनुसार 9296 शिक्षको ने इंटरमीडिएट में अंग्रेजी नहीं पढ़ी.. जबकि 25934 शिक्षकों ने गणित नहीं पढ़ी।।।

शिक्षकों के इस नए रिकॉर्ड के बाद अब सरकारी स्कूलों में छात्रों के अंग्रेजी और गणित में कमजोर होने के लिए इसे भी एक वजह माना जा रहा है... ऐसे में शिक्षकों को इन विषयों में और बेहतर जानकारी देने के लिए ऐप का इस्तेमाल किया जाएगा... जानकारी के अनुसार इस ऐप के जरिए शिक्षकों को कोर्स कराया जाएगा ताकि यह शिक्षक इन विषयों को गहराई और बेहतर तरीके से समझ सके...


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