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Special Story: मॉनसून से निपटने को GIS से जोड़ा गया IRS सिस्टम, पहली बार फ्लड रेस्क्यू टीम

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Published : May 31, 2022, 12:47 PM IST

Updated : May 31, 2022, 2:26 PM IST

मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के मुताबिक, उत्तराखंड में मॉनसून सीजन 15 जून से पहले दस्तक दे सकता है. लिहाजा आपदा प्रबंधन विभाग ने मॉनसून में होने वाली प्राकृतिक घटनाओं से निपटने की तैयारी कर ली है. अभी तक DSS (डिसीजन सपोर्ट सिस्टम) सिस्टम के तहत GIS (जिओ इंफोमेटिक सिस्टम) प्लेटफार्म पर सारा डेटाबेस रखा जाता था लेकिन इस पूरे डेटाबेस को IRS (इंसिडेंट रिस्पांस सिस्टम) से कनेक्ट किया जा रहा है जो कि इस बार पहली दफा हो रहा है.

monsoon
उत्तराखंड मॉनसून

देहरादूनः उत्तराखंड में 15 जून से मॉनसून की दस्तक (Monsoon knock in Uttarakhand) होती है. उससे कुछ दिनों पहले प्री मॉनसून (pre monsoon in uttarakhand) आता है. लेकिन उत्तराखंड में प्री मॉनसून और मॉनसून में अक्सर प्राकृतिक आपदा के चलते कई प्राकृतिक और मानवीय नुकसान की घटनाएं देखने को मिलती हैं. इन घटनाओं में कई लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं. यही वजह है कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने और जल्द आ रहे मॉनसून सीजन को लेकर उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग के साथ-साथ संबंधित विभागों की चिंताएं बढ़ गई हैं. लिहाजा आपदा प्रबंधन विभाग (Uttarakhand Disaster Management Department) मॉनसून से मुकाबला की तैयारी कर रहा है.

मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक, इस बार मॉनसून अन्य वर्षों की तुलना में जल्दी उत्तराखंड में प्रवेश करेगा. इसके देखते हुए उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग ने 1 जून से ही मॉनसून की शुरुआत मान ली है और मॉनसून सीजन के लिए तमाम तैयारियां शुरू कर दी हैं.

मॉनसून से निपटने को GIS से जोड़ा गया IRS सिस्टम

तैनात किए जाएंगे नोडल अधिकारीः हर साल 15 जून से 15 सितंबर तक मॉनसून सीजन को आमतौर पर माना जाता है. इस दौरान आपदा प्रबंधन से जुड़े सभी सहायक विभाग जिनमें लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग, ऊर्जा सहित सभी विभागों के नोडल अधिकारी अलग से तैनात किए जाते हैं. जोकि आपदा प्रबंधन और विभाग के बीच में कोआर्डिनेशन का काम करते हैं. लेकिन इस बार जल्द आते मॉनसून को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा 1 जून से ही सभी नोडल अधिकारियों की तैनाती सचिवालय में स्थित आपदा कंट्रोल रूम में की जा रही है. 1 जून से ही प्रदेश की मौसम से संबंधित हर छोटी से बड़ी हरकत पर नजर रखी जाएगी और पूरा डाटा कलेक्शन 1 जून से किया जाएगा.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड मौसमः पहाड़ी जिलों में बरस सकते हैं बदरा, मैदान में शुष्क मौसम

GIS से जोड़ा गया IRS सिस्टमः उत्तराखंड आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि जल्द आ रहे मॉनसून सीजन के कारण डिस्ट्रिक्ट इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर और स्टेट इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर अप्रैल में ही एक्टिवेट कर दिए गए थे. विभागीय सचिव के मुताबिक यह पूरी तैयारी इस बार की विषम परिस्थितियों को देखते हुए की गई है. साथ ही रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि आपदा प्रबंधन के लिए लगातार नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है. अभी तक DSS (डिसीजन सपोर्ट सिस्टम) सिस्टम के तहत GIS (जिओ इंफोमेटिक सिस्टम) प्लेटफार्म पर सारा डेटाबेस रखा जाता था लेकिन इस पूरे डेटाबेस को IRS (इंसिडेंट रिस्पांस सिस्टम) से कनेक्ट किया जा रहा है जो कि इस बार पहली दफा हो रहा है.

विभागीय अधिकारी के मुताबिक डीएसएस सिस्टम को आईआरएस सिस्टम से जोड़ने के बाद सभी रिसोर्सेज के साथ-साथ सभी प्रकार की घटनाओं की सूचना ऑटोमेटिक अधिकारियों के साथ-साथ प्रभावितों को चली जाएंगी. अब तक यह सूचनाएं ऑफलाइन या फिर अन्य माध्यमों से दी जाती थी. उन्होंने बताया कि इस स्तर के लागू होने के बाद आपदा प्रबंधन का रिस्पांस सिस्टम पहले से भी और ज्यादा तेज हो जाएगा.

स्पेशल फ्लड रिस्पांस टीम तैनातः विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले हिमालयी राज्य उत्तराखंड में जब भी कोई प्राकृतिक आपदा आती है तो आपदा प्रबंधन विभाग के साथ-साथ स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स की एक बेहद महत्वपूर्ण भूमिका रहती है. हिमालय की गोद में आने वाली हर एक आफत से निपटने के लिए सबसे पहले एसडीआरएफ के जवान राहत और बचाव कार्यों के लिए मैदान में उतरते हैं.
ये भी पढ़ेंः कचरे का ढेर बनता जा रहा चारधाम, सॉलिड वेस्ट के असर से 'हिला' हिमालय

डीआईजी, एसडीआरएफ और उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग में एसीओ आईपीएस रिद्धिम अग्रवाल ने बताया कि मॉनसून सीजन शुरू होते ही प्रदेश में एसडीआरएफ की पोस्ट बढ़ा दी जाती है. रिद्धिम अग्रवाल ने बताया कि इस बार चारधाम यात्रा के जबरदस्त दबाव को देखते हुए प्रदेश के संवेदनशील इलाकों में एसडीआरएफ की 42 पोस्ट तैनात की गई हैं. वहीं, इसके अलावा डीआईजी एसडीआरएफ ने बताया कि पहली बार फ्लड रेस्क्यू की टीम एसडीआरएफ द्वारा तैयार की गई है और इन्हें अलग-अलग जगहों पर तैनात किया गया है.

देहरादूनः उत्तराखंड में 15 जून से मॉनसून की दस्तक (Monsoon knock in Uttarakhand) होती है. उससे कुछ दिनों पहले प्री मॉनसून (pre monsoon in uttarakhand) आता है. लेकिन उत्तराखंड में प्री मॉनसून और मॉनसून में अक्सर प्राकृतिक आपदा के चलते कई प्राकृतिक और मानवीय नुकसान की घटनाएं देखने को मिलती हैं. इन घटनाओं में कई लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं. यही वजह है कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने और जल्द आ रहे मॉनसून सीजन को लेकर उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग के साथ-साथ संबंधित विभागों की चिंताएं बढ़ गई हैं. लिहाजा आपदा प्रबंधन विभाग (Uttarakhand Disaster Management Department) मॉनसून से मुकाबला की तैयारी कर रहा है.

मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक, इस बार मॉनसून अन्य वर्षों की तुलना में जल्दी उत्तराखंड में प्रवेश करेगा. इसके देखते हुए उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग ने 1 जून से ही मॉनसून की शुरुआत मान ली है और मॉनसून सीजन के लिए तमाम तैयारियां शुरू कर दी हैं.

मॉनसून से निपटने को GIS से जोड़ा गया IRS सिस्टम

तैनात किए जाएंगे नोडल अधिकारीः हर साल 15 जून से 15 सितंबर तक मॉनसून सीजन को आमतौर पर माना जाता है. इस दौरान आपदा प्रबंधन से जुड़े सभी सहायक विभाग जिनमें लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग, ऊर्जा सहित सभी विभागों के नोडल अधिकारी अलग से तैनात किए जाते हैं. जोकि आपदा प्रबंधन और विभाग के बीच में कोआर्डिनेशन का काम करते हैं. लेकिन इस बार जल्द आते मॉनसून को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा 1 जून से ही सभी नोडल अधिकारियों की तैनाती सचिवालय में स्थित आपदा कंट्रोल रूम में की जा रही है. 1 जून से ही प्रदेश की मौसम से संबंधित हर छोटी से बड़ी हरकत पर नजर रखी जाएगी और पूरा डाटा कलेक्शन 1 जून से किया जाएगा.
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GIS से जोड़ा गया IRS सिस्टमः उत्तराखंड आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि जल्द आ रहे मॉनसून सीजन के कारण डिस्ट्रिक्ट इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर और स्टेट इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर अप्रैल में ही एक्टिवेट कर दिए गए थे. विभागीय सचिव के मुताबिक यह पूरी तैयारी इस बार की विषम परिस्थितियों को देखते हुए की गई है. साथ ही रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि आपदा प्रबंधन के लिए लगातार नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है. अभी तक DSS (डिसीजन सपोर्ट सिस्टम) सिस्टम के तहत GIS (जिओ इंफोमेटिक सिस्टम) प्लेटफार्म पर सारा डेटाबेस रखा जाता था लेकिन इस पूरे डेटाबेस को IRS (इंसिडेंट रिस्पांस सिस्टम) से कनेक्ट किया जा रहा है जो कि इस बार पहली दफा हो रहा है.

विभागीय अधिकारी के मुताबिक डीएसएस सिस्टम को आईआरएस सिस्टम से जोड़ने के बाद सभी रिसोर्सेज के साथ-साथ सभी प्रकार की घटनाओं की सूचना ऑटोमेटिक अधिकारियों के साथ-साथ प्रभावितों को चली जाएंगी. अब तक यह सूचनाएं ऑफलाइन या फिर अन्य माध्यमों से दी जाती थी. उन्होंने बताया कि इस स्तर के लागू होने के बाद आपदा प्रबंधन का रिस्पांस सिस्टम पहले से भी और ज्यादा तेज हो जाएगा.

स्पेशल फ्लड रिस्पांस टीम तैनातः विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले हिमालयी राज्य उत्तराखंड में जब भी कोई प्राकृतिक आपदा आती है तो आपदा प्रबंधन विभाग के साथ-साथ स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स की एक बेहद महत्वपूर्ण भूमिका रहती है. हिमालय की गोद में आने वाली हर एक आफत से निपटने के लिए सबसे पहले एसडीआरएफ के जवान राहत और बचाव कार्यों के लिए मैदान में उतरते हैं.
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डीआईजी, एसडीआरएफ और उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग में एसीओ आईपीएस रिद्धिम अग्रवाल ने बताया कि मॉनसून सीजन शुरू होते ही प्रदेश में एसडीआरएफ की पोस्ट बढ़ा दी जाती है. रिद्धिम अग्रवाल ने बताया कि इस बार चारधाम यात्रा के जबरदस्त दबाव को देखते हुए प्रदेश के संवेदनशील इलाकों में एसडीआरएफ की 42 पोस्ट तैनात की गई हैं. वहीं, इसके अलावा डीआईजी एसडीआरएफ ने बताया कि पहली बार फ्लड रेस्क्यू की टीम एसडीआरएफ द्वारा तैयार की गई है और इन्हें अलग-अलग जगहों पर तैनात किया गया है.

Last Updated : May 31, 2022, 2:26 PM IST
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